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समाज

भारत से ऑस्ट्रेलिया जाने पर 5 साल तक की सजा

विवेक कुमार, सिडनी से
३ मई २०२१

भारत से ऑस्ट्रेलिया आने पर प्रतिबंध लगाने और किसी भी तरह पहुंच जाने पर जेल और जुर्माने का आदेश ऑस्ट्रेलिया सरकार की खासी किरकिकरी करवा रहा है.

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ऑस्ट्रेलिया में भारत से  आने वालों पर बैन
भारत से दो लोगों के दोहा होकर ऑस्ट्रेलिया पहुंचने के बाद सरकार ने उठाया सख्त कदमतस्वीर: Getty Images/Boing Australia/J. Morgan

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने ऐलान किया है कि भारत से ऑस्ट्रेलिया आने पर न सिर्फ 66 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगेगा बल्कि पांच साल तक की सजा भी हो सकती है. सरकार ने यह फैसला शनिवार को तब लिया, जब दो लोग भारत से फ्लाइट बैन के बावजूद दोहा होते हुए ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए. इसके बाद देश के बायो सिक्यॉरिटी ऐक्ट में बदलाव करके देश के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने जुर्माने और सजा का ऐलान किया, जो सोमवार से लागू हो गया है.

माना जा रहा है कि ऐसा पहली बार है जब ऑस्ट्रेलिया ने इस तरह का प्रतिबंध लगाया है. हालांकि देश के मानवाधिकार आयोग समेत बहुत सी संस्थाओं और नेताओं ने इस आदेश को अमानवीय बताते हुए इसका विरोध किया है.

मानवाधिकारों का सवाल

मानवाधिकार आयोग ने एक बयान जारी कर कहा है इन असाधारण नई पाबंदियों को लेकर वह चिंतित है. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था द ह्यूमनिज्म प्रोजेक्ट ने इस आदेश को फौरन वापस लेने की मांग की है.

Australien South Australia Adelaide | Neue Coronaeinschränkungen
भारत से आने वाली फ्लाइटों पर ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने रोक लगा रखी हैतस्वीर: Brenton Edwards/AFP/Getty Images

संस्था के हारून कासिम ने डॉयेचे वेले से बातचीत में कहा, "बेशक ऑस्ट्रेलिया को हमारी सुरक्षा को लेकर तमाम प्रयास करने चाहिए लेकिन अपने नागरिकों की देखभाल भी सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है. बिना कोई अन्य योजना बनाए सिर्फ प्रतिबंध लगा देना और अपने ही देश लौटने पर लोगों को सजा देने का ऐलान न सिर्फ गैरजिम्मेदाराना है बल्कि मानवाधिकारों के बारे में भी गंभीर सवाल उठाता है.”

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के नौ हजार से ज्यादा लोग भारत में फंसे हैं और लौटना चाहते हैं. हालांकि सरकार ने कहा है कि वह लोगों को भारत से लाने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन मौजूदा प्रतिबंध को स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह पर लिया गया फैसला बताती है. विदेश मंत्री मरीस पेन ने कहा, "क्वॉरन्टीन में रह रहे लोगों में जितने कोरोना वायरस संक्रमित लोग मिले हैं उनमें से 57 प्रतिशत भारत से आए थे. यह स्थिति देश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव बहुत ज्यादा बढ़ा रही थी.”

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भेदभाव?

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र मुदित व्यास स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह पर ही सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि किन अधिकारियों ने किन आंकड़ों के आधार पर यह सलाह दी है, उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए. व्यास कहते हैं, "यह सलाह देने के लिए कौन से जन-सांख्यिकीय आंकड़े इस्तेमाल किए गए हैं? भारत से लौटने वाले भारतीयों में संक्रमित लोगों का अनुपात क्या उतना ही है, जितना कि अमेरिका या यूरोप से आने वाले लोगों के बीच तब था जब वहां महामारी अपने चरम पर थी?”

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ज्यादा क्वॉरन्टीन सुविधाएं बनाने का प्रबंध करना चाहिए ताकि लोग सुरक्षित अपने घर लौट सकें और समुदाय को भी नुकसान न हो. मेलबर्न स्थित सामाजिक कार्यकर्ता सालेहा सिंह कहती हैं कि वह इस फैसले से हतप्रभ हैं. डॉयेचे वेले से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह बिना सोचे समझे लिया गया फैसला है, जो मौजूदा सरकार की पहचान बन गए हैं. अपनी क्वॉरन्टीन व्यवस्था को सुधारने के बजाय सरकार ने लोगों को ही सजा देने का फैसला किया. जब अमेरिका और यूरोप में महामारी अपने चरम पर थी, तब तो ऐसा फैसला नहीं लिया गया.”

ऑस्ट्रेलिया ने भारत से आने वाली सारी उड़ानों को भी 15 मई तक रद्द कर रखा है. कई महीनों से ऐसी व्यवस्था लागू है कि विदेश से आने वालों को दो हफ्ते तक सरकार द्वारा चुने गए किसी होटल में क्वॉरन्टीन में रहना होता है और उसका खर्चा खुद वहन करना होता है जो दो बच्चों वाले एक परिवार के लिए पांच हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर यानी करीब तीन लाख भारतीय रुपयों तक हो सकता है.