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'हराम की बोटी' औरत को भटकाए ना, इसलिए होता है खतना!

वीके/एमजे (रॉयटर्स)२ अगस्त २०१६

महिलाओं के खतने को लेकर मुंबई में दो मर्दों के बीच विवाद चल रहा है. लेकिन औरतें इस बारे में क्या कहती हैं? जिस दर्द से उन्हें गुजरना होता है, उस पर उनकी क्या राय है?

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Massenpanik in Mumbai Indien während einer Trauerfeier
तस्वीर: Reuters

बिल्किस ने जब अपनी छोटी सी बच्ची का खतना कराया था, तो वह पूरी तरह खुश बिल्कुल नहीं थीं. उन्हें अफसोस तो था कि अपनी नन्ही सी जान को उन्हें इतनी तकलीफ से गुजारना पड़ा, वो भी एक धार्मिक परंपरा के नाम पर. लेकिन वह कहती हैं कि खतना तो बस नाम का था. मुंबई में रहने वाली 50 साल की डॉक्टर बिल्किस बताती हैं, "खतने का बस शगुन किया गया. छोटा सा एक कट. कोई नुकसान नहीं हुआ."

बिल्किस भारत की शिया मुसलमान हैं और उन्होंने अपनी बेटी का खतना उस इस्लामिक परंपरा के तहत कराया जिसे संयुक्त राष्ट्र लड़कियों के अधिकारों का हनन मानता है. हालांकि बिल्किस बार-बार कहती हैं, "यह बहुत मामूली था. बस एक प्रतीक. यह कुछ भी नहीं था." वैसे, बिल्किस उनका असली नाम नहीं है क्योंकि वह अपनी पहचान जाहिर नहीं करना चाहतीं. वह जानती हैं कि खतना एक फिजूल चीज है और इससे कोई मदद नहीं मिलती. वह कहती हैं, "मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि यह फिजूल है. अगर अब मेरी कोई बेटी होती तो मैं उसका खतना कभी ना कराती."

देखें, महिला खतने के डरावने सच

बिल्किस के मन और दाऊदी बोहरा समुदाय की परंपराओं के बीच चलती यह कश्मकश दरअसल दिखाती है कि इस परंपरा को खत्म करना कितना मुश्किल है. दुनियाभर में कम से कम 20 करोड़ लड़कियां या महिलाएं ऐसी हैं जिनकी योनि को खतने के नाम पर काट दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 2014 में 7 करोड़ लड़कियों का खतना किया गया. रिपोर्ट के अनुसार आने वाले 15 साल तक यह तादाद तेजी से बढ़ेगी क्योंकि जनसंख्या बढ़ रही है.

इस बात को समझते हए विशेषज्ञ कुछ विकल्प भी सुझा चुके हैं. जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स में फरवरी में कुछ विशेषज्ञों ने लिखा था कि योनि में ऐसे मामूली कट लगाए जा सकते हैं जिनसे धार्मिक परंपरा का सम्मान भी रह जाए और सेहत को कोई नुकसान भी ना हो. भारत में, खासकर दाऊदी बोहरा समुदाय में महिला खतने के खिलाफ आवाज उठाने वालीं मासूमा रानालवी कहती हैं, "वे हमेशा कहते हैं, छोटा सा कट है, बस मामूली सा कट है. छोटी सी बात है. लेकिन ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जहां ये छोटे से कट खतरनाक साबित हुए हैं." रानालवी इस पर पूरी तरह से बैन चाहती हैं. वह याद करती हैं कि जब वह 7 साल की थीं तो उनकी मां ने उनसे टॉफी का वादा किया. उन्हें एक घर के पिछवाड़े में एक अंधेरे से कमरे में ले जाया गया. उन्हें कसकर पकड़ लिया गया. और फिर उन्हें बस असहनीय दर्द ही याद है. वह घर आते हुए पूरा रास्ता रोती रही थीं. उन्हें अगले 20-25 साल तक समझ नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या था. फिर उन्होंने महिला खतने के बारे में पढ़ा. भारत में इसके बारे में कोई कानून नहीं है. रानालवी ने इस बारे में दाऊदी बोहरा समुदाय के नेताओं को चिट्ठियां भी लिखी हैं लेकिन कोई जवाब नहीं आया.

देखें, बिना खतने के औरत कहलाने का हक

दाऊदी बोहरा मजबूत व्यापारी मुस्लिम समुदाय है. करीब 10 लाख लोग मुंबई और आसपास के इलाकों में रहते हैं और अब यूरोप और अमेरिका तक पहुंच चुके हैं. ये लोग अपने आजाद ख्याल रुख के लिए जाने जाते हैं. लेकिन पुरुष धर्मगुरू गहरा प्रभाव रखते हैं. दक्षिणी मुंबई के मालाबार हिल इलाके में इनका मुख्यालय हैं. यहां भारत के कुछ सबसे अमीर लोग रहते हैं. यहीं सैयदना बैठते हैं, बोहरा धर्मगुरु. जब लड़के-सड़कियां अपने किशोरवय में पहुंचते हैं तो उन्हें शपथ दिलाने सैयदना के पास लाया जाता है. उनकी जिंदगी के हर पहलू में, फिर चाहे वह शादी हो या अंतिम संस्कार, सैयदना की भूमिका अहम होती है.

मुंबई से लेकर न्यू यॉर्क तक, जब डॉक्टर खतने को अंजाम देते हैं तो सैयदना का आशीर्वाद लेते हैं. लेकिन अब दो पुरुषों के बीच यह खतना झगड़े की जड़ बन गया है. और वजह है सैयदना की कुर्सी. दरअसल, पूर्व सैयदना के बेटे और सौतेले भाई के बीच कुर्सी को लेकर खींचतान चल रही है. सौतेले भाई का कहना है कि खतना बंद होना चाहिए जबकि बेटा चाहता है कि यह परंपरा जारी रहे. हालांकि उन्होंने इस बारे में बात करने से इनकार कर दिया लेकिन अपने भाषणों में वह अपनी राय रख चुके हैं. उन्होंने कहा था कि दूसरे लोगों के मुकाबले हमारा समुदाय बहुत पवित्र है और इसकी पवित्रता बनाए रखना हमारा फर्ज है, इसलिए लड़कों का खतना होना चाहिए और लड़कियों का भी. लेकिन असली विवाद लड़कियों के खतने को लेकर है. कुछ कार्यकर्ता कहते हैं कि रिसर्च बताती हैं कि लड़कों का खतना सेहतमंद होता है.

तस्वीरों में, जननांगों की विकृति की परंपरा

अमेरिका में रहने वालीं 34 साल की अलेफिया का खतना न्यू यॉर्क में उनकी दादी की बहन ने किया था. जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें बुजुर्ग महिलाओं ने कहा कि यह हरम की बोटी है, जिसे काटा जाना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से औरत 'भटक' सकती है. अलेफिया कहती हैं, "यह भयानक और घिनौना है कि जो भावनाएं पूरी तरह कुदरती होती हैं उन्हें लेकर आपको घिनौना महसूस कराया जाता है. सेक्स को लेकर हमारे दिमागों में अपराध बोध भरा जाता है. मैं अपनी मां पर गुस्सा नहीं हूं. मैं तो उन मर्दों पर गुस्सा हूं जिन्होंने ये नियम बनाए हैं."