दुनिया की अलग-अलग वैक्सीनों पर एक नजर
पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए कोविड-19 की वैक्सीन पर निर्भर है. वैक्सीन इंसान के शरीर को बीमारी, संक्रमण या वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है. एक नजर विभिन्न वैक्सीनों पर और वह कैसे काम करती है.
फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना
अमेरिका में इस्तेमाल हो रही है फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की कोविड वैक्सीन, दोनों मैसेंजर आरएनए वैक्सीन हैं जिन्हें तैयार करने में वायरस के आनुवांशिक कोड के एक हिस्से का इस्तेमाल किया जाता है. दोनों ही वैक्सीन की दो खुराक दी जाती हैं. फाइजर की वैक्सीन को स्टोरेज के लिए -80 से -60 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है. मॉडर्ना वैक्सीन को -25 से -15 डिग्री में 6 महीने के लिए रखा जा सकता है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका
ब्रिटेन में इस्तेमाल में लाई जा रही ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन वायरल वेक्टर वैक्सीन है. इसके दोनों डोज एक दूसरे से अलग होते हैं. इसकी भी दो खुराक दी जाती है. इस वैक्सीन को दो डिग्री सेल्सियस से लेकर आठ डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच छह महीने के लिए रखा जा सकता है.
स्पुतनिक वी
रूस में इस्तेमाल की जाने वाली स्पुतनिक वी वैक्सीन की दोनों खुराकों में दो अलग अलग सामग्री का इस्तेमाल होता है. इनमें दो अलग अलग किस्म के एडिनोवायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है. इस वैक्सीन को 60 से अधिक देशों ने इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है. इसको माइनस 18.5 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर किया जाता है. इस वैक्सीन का इस्तेमाल भारत में भी हो रहा है.
जॉनसन एंड जॉनसन
अमेरिका में इस्तेमाल में आ रही जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल खुराक वाली वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जा सकता है. लेकिन इस वैक्सीन के लगाने के बाद कई बार खून के थक्के बनने की भी शिकायतें आई हैं.
सिनोवैक-सिनोफार्म चीन की वैक्सीन
सिनोवैक-सिनोफार्म दोनों को ही बनाने के लिए वायरस के निष्क्रिय अंशों का इस्तेमाल किया गया है. दोनों टीकों की दो खुराक दी जाती है. इसके भंडारण के लिए दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है.
कोवैक्सीन
भारत बॉयोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल भारत में बड़े पैमाने पर हो रहा है. इस टीके को कई देशों की मदद के लिए भी भेजा गया है. कोवैक्सिन एक निष्क्रिय टीका है. यह टीका मरे हुए कोरोना वायरस से बनाया गया है जो टीके को सुरक्षित बनाता है.
कोविशील्ड
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर इसे तैयार किया है. यह भी वायरल वेक्टर टीका है. इसे टीके को एडेनोवायरस का इस्तेमाल करके विकसित किया गया है- जो कि चिंपाजी के बीच आम सर्दी के संक्रमण का कारण बनता है.