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‘मुश्किल बातचीत के लिए’ चीन दौरे पर अमेरिकी विदेश मंत्री

२५ अप्रैल २०२४

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अपील की है कि चीन के साथ मतभेदों को ‘जिम्मेदाराना तरीके से’ सुलझाया जाना चाहिए.

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चीन में एंटनी ब्लिंकेन
चीन में एंटनी ब्लिंकेनतस्वीर: Mark Schiefelbein/AP//Pool AP/dpa/picture alliance

गुरुवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने चीन के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की. ब्लिंकेन के इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच हाल के महीनों में तनाव इस हद तक बढ़ गया है कि दोनों एक-दूसरे पर एक के बाद एक प्रतिबंध थोप रहे हैं.

चीन और अमेरिका के नेताओं और अधिकारियों के कई समूह दोनों देशों के बीच मतभेद सुलझाने के लिए अलग-अलग मुद्दों पर बात कर रहे हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है ब्लिंकेन की यात्रा के दौरान सेनाओं के बीच संवाद से लेकर वैश्विक व्यापार तक कई मुद्दों पर बातचीत होगी और मतभेदों को दूर करने की दिशा में कुछ प्रगति होगी.

ब्लिंकेन ने चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी की शंघाई शाखा के महासचिव चेन जिनिंग से कहा, "सीधे संवाद की अहमियत को समझना जरूरी है, जो वास्तविक हो और उसके जरिए आगे बढ़ने की कोशिश हो.”

अनुवादकों के जरिए बात करते हुए चेन ने ब्लिंकेन से कहा कि हाल ही में दोनों देशों के नेताओं के बीच फोन पर हुई बातचीत ने "रिश्तों को स्थिर और स्वस्थ रूप से बढ़ने में मदद की है.”

चेन ने कहा, "हम सहयोग चुनते हैं या विवाद, इसका असर दोनों देशों पर, उसके लोगों पर और मानवता के भविष्य पर होगा.”

मुश्किल बातचीत

अपने दौरे के दौरान ब्लिंकेन चीनी उद्योगपतियों और छात्रों से भी मिल रहे हैं. शुक्रवार को वह बीजिंग जाएंगे जहां वह अपने समकक्ष वांग यी से मिलेंगे. राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी उनकी मुलाकात संभावित है. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि तनाव की तीव्रता को देखते हुए ये मुलाकातें आसान नहीं होंगी.

जिस दिन ब्लिंकेन शंघाई पहुंचे हैं, उसी दिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सेनेट से पारित एक बिल पर दस्तखत किए हैं, जिसमें चीनी सैन्य शक्ति का मुकाबला करने के लिए आठ अरब डॉलर के अनुदान का प्रस्ताव है. इसके अलावा ताइवान को भी रक्षा सहायता के रूप में धन देने का प्रस्ताव है.

साथ ही, इस बिल में टिकटॉक पर अमेरिका में प्रतिबंध का प्रस्ताव भी है. अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर टिकटॉक की मालिक कंपनी चीन की बाइटडांस अगले नौ महीने के अंदर निवेश को अमेरिकी हाथों में नहीं सौंपती है तो उस पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है. 

रूस भी एक मुद्दा

अमेरिका इस कोशिश में है कि यूक्रेन के मुद्दे पर चीन रूस पर दबाव बनाए और उसकी सहायता तो बिल्कुल ना करे. ऐसी खबरें हैं कि ब्लिंकेन चीन पर दबाव बना सकते हैं कि उसकी कंपनियों रूस के रक्षा उद्योगों को सप्लाई ना दे.

रूस के यूक्रेन पर हमले से ठीक पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन का दौरा किया था और तब दोनों देशों ने कहा था कि उनकी दोस्ती की "कोई सीमा नहीं है.”

चीन ने रूस को हथियार सप्लाई नहीं किए हैं लेकिन अमेरिका का कहना है कि चीनी कंपनियां ऐसी तकनीक रूस को बेच रही हैं, जो युद्ध में उसकी मदद कर रही हैं. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि चीनी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है क्योंकि ये कंपनियां अमेरिका और यूरोप की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही हैं.

बहुत नाराजगी है

चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने एक संपादकीय में कहा कि ब्लिंकेन और चीनी नेताओं के बीच क्या चर्चा होगी, इस पर एक बड़ा सवालिया निशान है और हाल के समय में दोनों पक्ष "आमतौर पर एक दूसरे से परोक्ष संवाद ही करते रहे हैं.”

अखबार ने लिखा, "पूरी दुनिया देख पा रही है कि यूक्रेन का मुद्दा चीन और अमेरिका के बीच का मुद्दा नहीं है और अमेरिका को उसे ऐसा बना देने से बचना चाहिए.”

चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक टिप्पणी में लिखा है, "बहुत सारी नाराजगी बची हुई जो वॉशिंगटन की बदले की मानसिकता और चीन को एक खतरा बताने के कारण पैदा हुई है.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)