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जापान के पास ब्रिटिश जहाजों की स्थायी तैनाती

२२ जुलाई २०२१

ब्रिटेन ने एशियाई समुद्र में दो युद्धपोत स्थायी रूप से तैनात करने का ऐलान किया है. जापान ने चीन के मंसूबों को लेकर चिंता जताई थी, जिसके बाद ब्रिटेन ने यह फैसला किया है.

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तस्वीर: Andrew Matthews/PA Wire/picture alliance

ब्रिटेन का विमानवाहक युद्धतपोत क्वीन एलिजाबेथ और उसके सहयोगी जहाज सितंबर में जापान पहुंच रहे हैं. जापान के टोक्यो में एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि उसके दो पोत स्थायी तौर पर एशिया में तैनात रहेंगे. टोक्यो और लंदन के बीच मजबूत होते रणनीतिक संबंधों के बीच यह ऐलान हुआ है. हाल ही में जापान ने चीन के अपनी सीमाओं के प्रसार के मंसूबों को लेकर चिंता जताई थी. इसमें ताईवान को लेकर चीन के इरादों की ओर भी इशारा किया गया था.

जहाजों की स्थायी तैनाती

ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने टोक्यो में अपने समकक्षण नोबुओ किशी से मुलाकात की. वॉलेस के जापान दौरे को ब्रिटेन की एशिया में बढ़ती गतिविधियों का ही एक संकेत माना जा रहा है मुलाकात के बाद जारी एक साझा बयान में दोनों नेताओं ने कहा, "जहाजी बेड़े की पहली तैनाती के बाद साल के आखिर में ब्रिटेन दो जहाजों को इस इलाके में स्थायी रूप से तैनात करेगा.” किशी ने बताया कि सितंबर में जापान पहुंचने के बाद क्वीन एलिजाबेथ जहाज और उसके साथ आए सहयोगी पोत अलग-अलग बंदरगाहों पर रहेंगे. बेड़े का एक हिस्सा अमेरिकी बेड़े के साथ रहेगा जबकि दूसरा जापानी नौसेना के साथ.

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जापान और अमेरिका पुराने सैन्य सहयोगी हैं. जापान में ही अमेरिका का सबसे बड़ा सैनिक ठिकाना है, जहां युद्धपोत, विमान और हजारों सैनिक तैनात हैं. एफ-35बी विमानों से लैस ब्रिटिश जहाज अपने पहले सफर पर योकोशुका स्थित सैन्य अड्डे पर रहेगा. टोक्यो के नजदीक स्थित इस शहर में जापान के जहाजी बेडे के अलावा अमेरिका का विदेश में मोर्चे पर तैनात एकमात्र विमानवाहक पोत यूएसएस रॉनल्ड रीगन भी है.

दक्षिणी चीन सागर से सफर

टोक्यो में ब्रिटिश दूतावास ने एक बयान में बताया है कि ब्रिटेन के युद्धपोत स्थायी बेस नहीं बनाएंगे. क्वीन एलिजाबेथ पोत के साथ अमेरिका और नीदरलैंड्स से दो डिस्ट्रॉयर, दो फ्राईगेट और दो सहायक नौकाएं व पोत भी होंगे. यह बेड़ा भारत, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में रुकता हुआ दक्षिणी चीन सागर होते हुए जापान पहुंचेगा. दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्सों को चीन और अन्य दक्षिण-एशियाई देश अपना-अपना बताते हैं.

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वॉलेस ने कहा कि आने वाले समय में ब्रिटेन आतंक-रोधी और बचाव अभियानों में विशेष प्रशिक्षण पाए सैनिकों का समूह लिटोरल रिस्पॉन्स ग्रूप भी इलाके में तैनात करेगा. उन्होंने कहा कि उनके जहाजों को जापान आने की आजादी है और इस आजादी को जताना उनका फर्ज है. ब्रिटेन एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए कई तरह के कदम उठा रहा है. जापान के दौरे पर ब्रिटिश विदेश मंत्री अपने साथ कई सैन्य कमांडरों को प्रतिनिधिमंडल लेकर आए थे.

चीन का दावा

चीन दक्षिणी चीन सागर के बड़े हिस्से पर अपने अधिकार का दावा करता है. यह दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तनाव और विवाद की बड़ी वजह है क्योंकि कई अन्य देश भी इन इलाकों पर दावा करते हैं, जिन्हें अमेरिका और यूरोप का भी समर्थन मिलता है. कथित ‘नाईन डैश लाइन' पर उसके अधिकार का दावा द हेग स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भी खारिज हो चुका है.

वॉलेस ने एक जापानी अखबार द टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, "यह कोई छिपी बात नहीं है कि चीन एक बहुत ही वैध रास्ते पर जहाजों की आवाजाही को चुनौती देता है. हम चीन का सम्मान करेंगे और उम्मीद करते हैं कि चीन भी हमारा सम्मान करेगा.” पिछले महीने ब्रिटेन का एक जहाज काला सागर से गुजरा था, तब रूस ने उसे अपनी सीमाओं का उल्लंघ बताया था.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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