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समाज

दोबारा जीते जस्टिन ट्रूडो, नहीं मिला बहुमत

२१ सितम्बर २०२१

2015 से सत्ता मौजूद जस्टिन ट्रूडो ने इस बार चुनाव जल्दी करवाकर एक पासा फेंका था जो उनके पक्ष में पड़ा है. सोमवार को उनकी पार्टी ने सत्ता पर पकड़ बनाए रखी. हालांकि लिबरल पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हो पाया.

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तस्वीर: Justin Tang/The Canadian Press/ZUMA Press/picture alliance

चुनाव जीतने का ऐलान करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ओटावा में अपने परिवार के साथ एक रैली को संबोधित किया. उन्होंने कहा, "आप (कनाडाई) लोग हमें फिर से एक स्पष्ट जनादेश के साथ वापस भेज रहे हैं कि महामारी से गुजरना है और बेहतर दिन लाने हैं.”

चुनाव प्रचार के दौरान जस्टिन ट्रूडो की हालत कमजोर दिख रही थी और एकबारगी लगने लगा था कि वह सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल करने से पिछड़ सकते हैं. लेकिन नतीजा 2019 के चुनावों वाला ही रहा, जिसमें ट्रूडो ने अल्पमत की सरकार बनाई और चलाई थी.

बहुमत से फिर चूके

मुख्य विपक्षी दल कंजर्वेटिव पार्टी की नेता एरिन ओ'टूल ने हार स्वीकार कर ली है. उनकी पार्टी दूसरे नंबर पर रही और उसे 121 सीटों पर बढ़त है. सीबीसी और सीटीवी ने अनुमान जाहिर किया है कि ट्रूडो की लिबरल पार्टी को निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत नहीं मिलेगा. यानी उन्हें किसी पार्टी के समर्थन की जरूरत होगी.

देश के चुनाव आयोग इलेक्शन कनाडा के मुताबिक लिबरल पार्टी पिछली बार से एक सीट ज्यादा 156 सीटों पर बढ़त में है. ओंतारियो और क्यूबेक में उसे 111 सीटें मिल रही हैं. हाउस ऑफ कॉमन्स में 338 सीटें हैं और बहुमत के लिए किसी दल को 170 की जरूरत है.

तस्वीरों मेंः कनाडा का यह 'ग्रेटेस्ट आउटडोर मेला'

कंजरवेटिव पार्टी को पॉप्युलर वोट में जीत मिलती दिख रही थी लेकिन लिबरल पार्टी को शहरी इलाकों में भारी समर्थन मिला है, जहां ज्यादातर सीटें हैं. ओ'टूल ने हार स्वीकार करते हुए अपने समर्थकों से कहा, "हमारा समर्थन बढ़ा है. पूरे देश में हमारा समर्थन बढ़ा है. लेकिन स्पष्ट है कि हमें कनाडा वासियों का समर्थन पाने के लिए और काम करने की जरूरत है. मैं और मेरा परिवार कनाडा के लिए इस यात्रा पर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.”

ट्रूडो का करिश्मा

49 वर्षीय जस्टिन ट्रूडो एक करिश्माई नेता साबित हुए हैं. उनके पिता पिएरे ट्रूडो एक किसान थे और लिबरल पार्टी से प्रधानमंत्री भी बने थे. 2015 में जस्टिन ट्रूडो पूरे बहुमत से सत्ता में आए थे लेकिन 2019 में उनका बहुमत छिन गया था और उन्होंने चार साल अल्पमत की सरकार चलाई.

अब दोबारा अल्पमत में होना का अर्थ होगा कि अहम प्रस्ताव पारित कराने के लिए ट्रूडो को फिर से न्यू डेमोक्रैटिक पार्टी पर निर्भर रहना होगा, जिसके नेता भारतीय मूल के जगमीत सिंह हैं.

कोविड-19 की महामारी के दौरान ट्रूडो ने जो काम किया, उसके भरोसे पर उन्होंने जल्दी चुनाव कराए थे. उन्होंने वैक्सीन का सहारा लेकर महामारी का मुकाबला करने की बात कही जिसका 48 वर्षीय कंजर्वेटिव नेता ने विरोध किया. ओ'टूल ने टीकाकरण को स्वैच्छिक बनाने और वायरस रोकने के लिए ज्यादा टेस्ट करने की नीति का समर्थन किया था.

देखिएः भारतीय मूल के नेता छाए दुनियाभर में

चुनाव का ऐलान कराते वक्त ट्रूडो ने कहा था कि उन्हें कोरोनावायरस से लड़ने के लिए अपनी योजना पर जनादेश की जरूरत है. लिबरल पार्टी की नीति में आर्थिक बहाली के लिए अरबों डॉलर खर्च करने का प्रस्ताव है, जो जीडीपी का 23 प्रतिशत तक होगा.

कैब्रिज ग्लोबल पेमेंट्स के मुख्य रणनीतिकार कार्ल शामोटा कहते हैं कि चुनाव के नतीजे यथास्थिति बनाए रखेंगे और मोटे तौर पर यह सुनिश्चित करेंगे कि अर्थव्यवस्था को जो समर्थन सरकारी खर्च के जरिए मिल रहा है, वह जारी रहेगा.  ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर जेराल्ड बाएर कहते हैं कि यह चुनाव जस का तस रखने वाला साबित हुआ.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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