1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोविड: बढ़ रही है मरने वालों की संख्या

चारु कार्तिकेय
१३ जनवरी २०२२

भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर के बीच ना सिर्फ संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, बल्कि मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. इसके अलावा संक्रमण के तेज प्रसार की चपेट में आने वाले जिलों की संख्या भी बढ़ रही है.

https://p.dw.com/p/45SR5
Westbengalen Gangasagar Mela Festival
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW

भारत में पिछले 24 घंटों में लगभग 2.50 लाख नए मामले सामने आए और 380 लोगों की मौत हो गई. इनमें से 176 मौतों के आंकड़े अकेले केरल से आए हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि केरल में पिछले कई दिनों से पुराने आंकड़ों की जांच करके कुल आंकड़ों को ठीक किया जा रहा है.

यानी यह केरल में ताजा मौतों की संख्या नहीं है बल्कि पुराने आंकड़ों का सामने आना है. लेकिन केरल को देश के आंकड़ों से हटा भी दें तो भी ताजा मौतों का आंकड़ा चिंताजनक है. कई राज्यों में मरने वालों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है.

कई राज्यों में बढ़ोतरी

दिल्ली में ताजा आंकड़ों के मुताबिक 24 घंटों में 40 लोगों की मौत हो गई. उसके एक दिन पहले 23 लोगों की मौत हुई थी और उसके एक दिन पहले 17. एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे दिल्ली में जनवरी में अभी तक मरने वाले कोविड संक्रमित लोगों की संख्या 133 हो गई है.

Westbengalen Gangasagar Mela Festival
दिल्ली के अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, और पंजाब में मरने वालों की संख्या बढ़ रही हैतस्वीर: Satyajit Shaw/DW

यानी पिछले छह महीनों में राजधानी में जितने लोगों की मृत्यु हुई थी, उससे ज्यादा लोगों की मृत्यु सिर्फ पिछले 12 दिनों में हो गई.

यह आश्चर्यजनक है क्योंकि अभी तक भारत समेत दुनिया भर में संक्रमण की नई लहर लाने वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट के बारे में माना यही जा रहा है कि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं करता है. ऐसे में भारत में मरने वालों की संख्या में होने वाली बढ़ोतरी का कोई सीधा स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है.

दिल्ली के अलावा पिछले 24 घंटों में महाराष्ट्र में 32, पश्चिम बंगाल में 23, तमिल नाडु में 19 और पंजाब में 10 लोगों की मौत हो गई. दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक करीब 20 राज्यों में एक भी मृत्यु का मामला सामने नहीं आ रहा था. अब ऐसे सिर्फ 10 राज्य बचे रह गए हैं.

हालांकि स्वास्थ्य अधिकारी अभी भी इन मौतों में कोई पैटर्न नहीं देख रहे हैं. उनका कहना है कि मरने वालों में अधिकांश लोगों को कोई न कोई गंभीर बीमारी थी.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी