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समाज

कोरोनाः आवारा जानवरों की देखरेख भी जरूरी

आमिर अंसारी
३० अप्रैल २०२०

कोरोना वायरस के कारण आवारा जानवरों के सामने भी खाने का संकट है. आवारा कुत्ते, गाय को पहले जहां खाना मिल जाया करता था वही अब भूखे रहने को मजबूर हैं. कुछ एनजीओ और लोग अब ऐसे जानवरों की मदद को आगे आए हैं.

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Pakistan Karachi Haustiere von Lockdown bedroht
तस्वीर: AFP/A. Hassan

कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह की पोस्ट शेयर की जा रही हैं. कुछ पोस्ट जानवरों से भी जुड़ी हैं जिसमें कहा जा रहा है कि पालतू जानवरों से भी कोरोना वायरस फैलता है, हालांकि यह अब तक साबित नहीं हुआ है कि जानवरों के कारण कोरोना वायरस फैलता है. भारत में भी कई लोग अपने पालतू जानवरों को सड़क पर छोड़ दे रहे हैं. आवारा पशुओं और कुत्तों के लिए काम करने वाले समूह और कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के कारण जानवरों के जीवन पर प्रभाव पड़ा है.

जानवरों के लिए काम करने वाले एनजीओ और कार्यकर्ताओं का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जानवरों को छोड़ देने की घटनाएं बढ़ी हैं. उनके मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि कुत्तों और बिल्लियों के लिए शेल्टर होम लॉकडाउन की वजह से बंद हो गए हैं. यही नहीं आवारा जानवरों के साथ इस दौरान क्रूरता के मामले भी बढ़े हैं. कई बार तेज रफ्तार गाड़ियां भी उन्हें टक्कर मार दे रही है.

पीपल फॉर एनिमल (पीएफए) ट्रस्ट जो कि भारत का सबसे बड़ा पशु कल्याण संगठन है, वह हर रोज ऐसे आवारा जानवरों के लिए कैंप लगाता है जो जख्मी हो गए या फिर उन्हें मेडिकल मदद की जरूरत है. इस संगठन के 36 अस्पताल हैं और ढाई लाख के करीब सदस्य हैं. संगठन के सदस्य कोविड-19 के खतरे के बावजूद घरों से बाहर निकल आवारा कुत्तों को भोजन दे रहे हैं.

जाने माने गायक मोहित चौहान भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर आवारा कुत्तों को लगातार खाने खिलाते हुए तस्वीरें पोस्ट करते हैं. मोहित चौहान दूसरों से भी आवारा जानवरों की मदद करने की अपील करते हैं. मोहित लिखते हैं कि वह लगातार आवारा कुत्तों को इसी तरह से खाना देते हैं और लोगों से ऐसा करने को कहते हैं.

लॉकडाउन के पहले तक कॉलोनियों के भीतर गायों के लिए खाना और रोटी इकट्ठा करने वाले ठेले आया करते थे लेकिन रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और पुलिस की सख्ती के बाद गायों के लिए भी खाने का संकट हो गया है. शुरुआत में तो इन जानवरों पर लोगों का ध्यान ही नहीं गया लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ ऐसे जानवरों की तरफ भी ध्यान गया और उनके लिए पशु विभाग के साथ एनजीओ और आम लोग हरा चारा और भोजन इकट्ठा करने लगे. पशुओं को पहले होटल और बड़े आयोजनों में बचा खाना मिल जाता था लेकिन इन सबके बंद होने से उन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा है.

पशुओं की चिंता कोर्ट को भी है और ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार और नगर निगम को लॉकडाउन के दौरान आवारा पशुओं और कुत्तों समेत पक्षियों की अतिरिक्त देखभाल करने को कहा है. एक याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जानवरों को भोजन समेत चिकित्सीय सहायता देने के निर्देश दिए हैं. सरकार की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि हर जिले में जानवरों और पक्षियों के लिए कंट्रोल रूम भी बनाए गए हैं.

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