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रेप की सबसे बड़ी लड़ाई भ्रष्टाचार से है

२ दिसम्बर २०१६

रेप से लड़ने में कंबोडिया में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा बन गया है. भ्रष्ट अधिकारी पैसे लेकर समझौते करा देते हैं जिससे अपराधी सजा से बच जाते हैं.

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Kambodscha Straßenverkehr Straßenszene
तस्वीर: Getty Images/AFP

दक्षिणी पूर्व एशिया देश कंबोडिया में रेप करने पर सजा होने की संभावना बहुत कम होती है. इसकी वजह है भ्रष्टाचार. रेप की समस्या से लड़ने के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता बताते हैं कि भ्रष्ट अधिकारी अवैध समझौते कराने में भूमिका निभाते हैं. इस वजह से पीड़ित महिलाएं सामने आने से डरती हैं. करीब डेढ़ करोड़ लोगों का देश कंबोडिया इस कारण रेप की त्रासदी से गुजर रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में यौन हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया जाता. 2015 में कंबोडियन लीग फॉर द प्रमोशन एंड डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स नाम की संस्था ने एक अध्ययन किया. इस अध्ययन में पता चला कि बलात्कार और उसकी कोशिशों के 282 मामलों में से सिर्फ 53 फीसदी में सजा हुई.

संस्था की अधिकारी नैली पिलोर्जे कहते हैं, "न्याय व्यवस्था भ्रष्ट और कमजोर है. पीड़ित न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अगर दोषियों को सजा नहीं हो रही है तो साफ है कि न्याय व्यवस्था काम नहीं कर रही है. इसका असर सिर्फ मौजूदा पीड़ितों पर ही नहीं पड़ता. भविष्य में भी पीड़ित सामने आने से झिझकेंगे क्योंकि उन्हें पता है कि न्याय नहीं मिलेगा."

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संस्था की ओर से जारी रिपोर्ट बताती है कि कई मामलों में पीड़ितों ने शिकायतें वापस ले लीं क्योंकि पुलिस, न्यायिक अधिकारियों या फिर जजों ने मुआवजे का समझौता करा दिया. संस्था का आरोप है कि इस मुआवजे में अक्सर अधिकारियों का हिस्सा तय होता है. संस्था की इस रिपोर्ट पर सरकार ने भी प्रतिक्रिया दी है. कंबोडिया के महिला मामलों के मंत्रालय ने कहा कि महिलाओं के साथ मिलकर समस्या को सुलझाने पर काम किया जा रहा है. मंत्रालय का कहना है कि महिलाओं को अपने साथ हुए अपराध के लिए सामने आने को लेकर तो जागरूक किया ही जा रहा है, साथ ही अधिकारियों को भी समझौते कराने से हतोत्साहित किया जा रहा है.

मंत्रालय के प्रवक्ता पुथोबरे फोन कहते हैं, "बलात्कार एक घिनौना अपराध है जिसे कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता. हर बलात्कारी को कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए. बलात्कार के मामलों में मध्यस्थता और मुआवजा अवैध है."

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कंबोडियन लीग ने जिन 282 मामलों का अध्ययन किया था उनमें से 217 में पीड़ितों की आयु 18 साल से कम थी. हालांकि रिपोर्ट कहती है कि वयस्क पीड़ितों की संख्या कम होने का यह मतलब नहीं कि उनके साथ बलात्कार की घटनाएं कम होती हैं. इसका मतलब यह भी हो सकता है कि वयस्क महिलाएं सामने कम आती हैं क्योंकि उन्हें सामाजिक प्रताड़ना का डर होता है और कई बार पति भी हतोत्साहित करते हैं.

2013 में संयुक्त राष्ट्र ने एक अध्ययन जारी किया था जिसके सर्वे में शामिल एक तिहाई पुरूषों ने कहा था कि उन्होंने अपने साथी के साथ यौनिक या शीरीरिक हिंसा की थी. 5 फीसदी लोगों ने तो गैंग रेप तक में शामिल होने की बात मानी थी. यूएन की रिपोर्ट बताती है कि रेप की बात मानने वाले 45 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें कोई कानूनी परिणाम भुगतना नहीं पड़ा.

वीके/एके (रॉयटर्स)