1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सीपीएम पहली बार आगे लाया एक दलित चेहरा

चारु कार्तिकेय
११ अप्रैल २०२२

सीपीएम के इतिहास में पहली बार एक दलित नेता को पार्टी की सर्वोच्च संस्था का सदस्य बनाया गया है. राम चंद्र डोम पश्चिम बंगाल से पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और सात बार सांसद रह चुके हैं.

https://p.dw.com/p/49lfL
सीताराम येचुरी
फाइल तस्वीरतस्वीर: Sandip Saha/Pacific Press/picture alliance

10 अप्रैल को केरल के कन्नूर में सीपीम की 23वीं पार्टी कांग्रेस का समापन हुआ. सीताराम येचुरी को लगातार तीसरी बार पार्टी का महासचिव चुना गया. उनके अलावा 17 सदस्यीय पोलिटब्यूरो को भी चुना गया और डोम के रूप में पार्टी के 58 साल के इतिहास में पहली बार पोलिटब्यूरो में एक दलित नेता को शामिल किया गया.

पोलिटब्यूरो पार्टी की सर्वोच्च संस्था है. हर तीन साल पर होने वाली पार्टी कांग्रेस के बाद 85 सदस्यीय केंद्रीय समिति पोलिटब्यूरो के सदस्य चुनती है. माना जा रहा है कि इसमें पहली बार एक दलित नेता को शामिल कर पार्टी दलित मतदताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है.

(पढ़ें: बंगाल: उपचुनाव ने बताया कि विपक्ष कितने पानी में)

सीपीएम में दलित नेता

63 साल के डोम पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और सात बार सांसद रह चुके हैं. वो पेशे से एक डॉक्टर हैं. पोलिटब्यूरो के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि यह पार्टी का एक नया कदम जरूर है लेकिन दलित, आदिवासी और पिछड़े समुदायों के सैकड़ों कामरेड पार्टी के लिए काम करते ही रहे हैं.

सीपीएम पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वो राजनीति तो दलितों, आदिवासियों और सभी पिछड़ों के नाम की करती है लेकिन पार्टी के अंदर इन समुदायों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर काम नहीं करती. अब जा कर ऐसे समय में पार्टी ने पहली बार एक दलित नेता को पोलिटब्युरो में शामिल किया है जब वो अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है.

(पढ़ें: चुनाव जीतने के लिए अब मंदिरों का रुख कर रही है सीपीएम)

सिमटता जनाधार

पार्टी इस समय सिर्फ केरल में सत्ता में है. लोक सभा में इसके सिर्फ तीन सदस्य हैं और राज्य सभा में पांच. पश्चिम बंगाल में पार्टी कभी लगातार 34 सालों तक सत्ता में रही लेकिन आज हाल ये है कि राज्य की विधान सभा में पार्टी का एक विधायक तक नहीं है.

दूसरे राज्यों में भी पार्टी का जनाधार सिमटता जा रहा है. खुद येचुरी ने माना है कि भारत की आजादी के बाद पार्टी इस समय सबसे चुनौतीपूर्ण हालात का सामान कर रही है. पार्टी के नेतृत्व के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि कैसे एक बार फिर पार्टी को मतदाताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाए.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी