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यूएसबी में नहीं, डीएनए में सेव होगा डेटा

१७ मार्च २०१७

यूएसबी स्टिक, हार्ड ड्राइव या मैग्नेटिक टेप. इंसान का डाटा सेव करने के लिए अरबों ऐसी डिवाइसेस चाहिए. लेकिन दो युवा वैज्ञानिक डाटा स्टोरेज की दुनिया में क्रांति लाने में जुटे हैं.

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Symbolbild Grundsatzurteil USA zur Patentierung menschlichen Erbguts
तस्वीर: Fotolia/majcot

फिल्में देखने के शौकीन लोग कई बार अपनी पसंद की फिल्मों की कॉपी यूएसबी स्टिक या हार्ड डिस्क में रख लेते हैं. लेकिन एक टेराबाइट वाली हार्ड डिस्क भी कोई 250 फिल्मों से भर जाती है. अगर आपको किसी ऐसे स्टोरेज डिवाइस का पता चले, जिसमें आज तक दुनिया भर में बनी सारी फिल्में स्टोर की जा सकें, तो? कैलिफोर्निया के दो रिसर्चर ह्युजुन पार्क और नाथानियल रोक अथाह जानकारी को जमा करने का ऐसा अनोखा तरीका ढूंढ रहे हैं, जो डाटा स्टोरेज की दुनिया में क्रांति ला सकता है.

माइक्रोबायोलॉजिस्ट ह्युजुन पार्क कहते हैं, "अगर आप इसे डीएनए में स्टोर करें, तो हम सब के शरीर में इतने डीएनए हैं कि ये सारी सूचना स्टोर हो जाएगी.” ह्युनजुन पार्क और उनके साथी नाथानियल रोक अथाह डाटा को डीएनए में जमा करना चाहते हैं. एन्जाइमों की मदद से वे डीएएनए स्टोरेज वाले बिल्डिंग ब्लॉक्स बनाना चाहते हैं. ऐसे पैटर्न, जिनमें खास जानकारी जमा की जा सके.

माइक्रोबायोलॉजिस्ट नाथानियल रोक एक छोटी सी ट्यूब दिखाते हैं जिसमें एक किलोबाइट इनफॉर्मेशन बड़े आराम से आ जाती है. उन्होंने इसमें एक कविता की लाखों कॉपियां रखी हैं. वह बताते हैं, "अक्षरों के बीच की जगह में एक 8 बिट नंबर है. हम इसे डीएनए पर इनकोड करते हैं. हम शून्य और एक के बीच के स्ट्रिंग को AGCTA के स्ट्रिंग में बदलते हैं. हम एक सॉफ्टवेयर बना रहे हैं जिसमें यह मैपिंग होगी, वैसे हम असल में डीएनए बना रहे हैं.”

रिसर्चर इस सिस्टम के फायदों को लेकर उत्साहित हैं. रोक बताते हैं. "आप अथाह जानकारी एक छोटी सी जगह पर स्टोर कर सकते हैं. विश्वसनीयता की बात करें तो अगर आप डीएनए को फ्रीज करें तो यह बहुत ही लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा, शायद लाखों साल तक. इसीलिए हम एक हिमहाथी के जीनों की सिक्वेंसिंग कर सकते हैं जो 60 हजार साल से बर्फ में दबा है. डीएनए आसानी से कॉपी भी हो जाता है."

फिलहाल, यह भविष्य की योजना है. अपनी रिसर्च की बदौलत दोनों ने एक बायोटेक स्टार्ट अप कंपनी खोली है. हर हफ्ते वे निवेशकों को बताते हैं कि काम कितना आगे बढ़ा है.

ह्युनजुन पार्क को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वे पहले किलोबाइट को इनकोड कर चुके हैं. माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनी ने भले ही इससे ज्यादा डाटा स्टोर करने में सफलता पा ली हो, लेकिन इन युवा वैज्ञानिकों को लगता है कि वह तरीका बेहद महंगा साबित होगा, क्योंकि उसमें स्टोरेज मॉलिक्यूल स्टेप बाय स्टेप बनते हैं. उनके मुताबिक यह रूबिक क्यूब पर एक एक कर ब्लॉक रखने जैसा है.

नाथानियल रोक कहते हैं, "हमारा तरीका दूसरा है. हम पहले से तैयार डीएनए का समूह बनाते हैं. डीएनए जो अपने मूल रूप में भी मौजूद हैं. लेकिन ये अवस्था मायने नहीं रखती. फिर हम कॉम्बिनेशनल एन्जाइमैटिक रिएक्शंस करते हैं ताकि डीएनए उस मैसेज में बदल जाए, जिसे हम इनकोड करना चाह रहे हैं.”

ये तरीका बहुत सस्ता है, लेकिन फिलहाल उन्हें निवेशकों को भरोसा दिलाते रहना है कि यह डाटा स्टोरेज का सबसे क्रांतिकारी तरीका होगा.

ग्रिट होफमन