कीटो डायट: क्या सच में फायदा होता है?
खूब तला हुआ, मक्खन मलाई से भरा खाना खाओ और वजन घटाओ. इससे बढ़िया और क्या हो सकता है. कीटो डायट में लोग यही करते हैं. लेकिन इससे वजन घटता कैसे है?
यूं हुई शुरुआत
इसे लोकप्रियता भले ही हाल फिलहाल में मिली हो लेकिन दरअसल यह करीब सौ साल पुरानी डायट है. 1924 में इसे मिरगी के इलाज के रूप में शुरू किया गया था. इसके साइड इफेक्ट के तौर पर वजन के घटने के बारे में जब पता चला तो 1970 के दशक में पश्चिमी देशों में इसे "वेट लॉस डायट" के नाम से बेचा जाने लगा.
कैसे काम करती है
वजन कम करने के लिए दो चीजों पर ध्यान देना होता है: कार्बोहाइड्रेट और फैट. कीटो डायट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम की जाती है फैट की बढ़ा दी जाती है. यानी आप मक्खन से भरा खाना तो खा सकते हैं लेकिन चीनी वाला नहीं.
तर्क क्या है
हमारे शरीर को ऊर्जा के लिए शुगर की जरूरत होती है जो चीनी यानी कार्बोहाइड्रेट वाले खाने से मिलती है. जब इनकी कमी होती है, तो शरीर वसा यानी फैट को जला कर ऊर्जा पैदा करता है. कीटो डायट में कार्बोहाइड्रेट दिया ही नहीं जाता, इसलिए शरीर को हर वक्त फैट जलाना पड़ता है.
कीटो का क्या मतलब
जब शरीर फैट जलाने की स्थिति में पहुंच जाता है, तो उसे विज्ञान की भाषा में कीटोसिस कहा जाता है. इस अवस्था में पहुंचने में शरीर को दो से चार दिन का वक्त लग जाता है.
क्या क्या खाते हैं
आपको दिन में 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने की इजाजत होती है. यह शरीर की कुल कैलोरी जरूरतों का मात्र 10 फीसदी है. बाकी 20% प्रोटीन और 70% फैट लेना होता है. यानी खूब सारा मक्खन मलाई वाला खाना.
ऐसा भी करते हैं
कुछ लोग तो इस डायट को इस हद तक ले जाते हैं कि दिन का सिर्फ 2% कार्बोहाइड्रेट, 8% प्रोटीन और बाकी का 90% फैट लेते हैं. हालांकि डॉक्टर ऐसा ना करने की सलाह देते हैं.
बीमार भी करता है
जब शरीर को ऐसी अजीब डायट पर रखा जाता है, तो शरीर भी समझ नहीं पाता कि हो क्या रहा है. नतीजतन शुरुआत में सिरदर्द, थकान और चक्कर आना आम है. इसे कीटो फ्लू कहते हैं. लेकिन दो हफ्तों बाद ये लक्षण चले जाते हैं.
साइड इफेक्ट्स भी
फल, सब्जी, चावल और रोटी से हमें कार्बोहाइड्रेट मिलते हैं. अगर इन्हें लेना बिलकुल ही बंद कर देंगे, तो पाचन पर असर पड़ेगा. ऐसे में कीटो डायट करने वालों को कॉन्स्टिपेशन की समस्या रहती है.
डॉक्टरों की राय
शरीर में कई तरह के विटामिन की कमी और लंबे समय तक इस डायट से लीवर खराब होने का खतरा, किडनी स्टोन और गठिये जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इस डायट का लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
दिल को खतरा
ज्यादा वसा वाला खाना खाने से दिल को जो नुकसान पहुंचता है, वह सब जानते हैं. यानी इससे डायबिटीज और हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है. जितना ज्यादा फैट से भरपूर खाना, उतना ही ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल.
कौन सी डायट करें
आप कोई भी डायट कर लें, डॉक्टरों के अनुसार नतीजा एक ही होगा: शुरू में शरीर में हो रहे बदलावों के कारण आपका वजन घटेगा, आप खुश हो जाएंगे लेकिन कुछ वक्त बाद वजन का घटना रुक जाएगा.
तो फिर क्या करें
अच्छा खाना खाइए, जो पोषण से भरपूर हो, कसरत कीजिए, अपनी सोच को पॉजिटिव रखिए, जितना हो सके तनाव से दूर रहिए, अपने शरीर का सम्मान कीजिए, आपकी सेहत इसी सब से अच्छी बनेगी. रिपोर्ट: फाराह आकेल/आईबी