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विज्ञानसंयुक्त राज्य अमेरिका

मंगल पर मरने वाला है नासा का यान

१८ मई २०२२

नासा के लिए मंगल ग्रह पर काम कर रहा अंतरिक्ष यान ‘इनसाइट’ अपने अंत की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि दो महीने के भीतर लैंड रोवर काम करना बंद कर देगा.

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नासा का यान इनसाइट
नासा का यान इनसाइटतस्वीर: IPGP/Nicolas Sarter

चार साल से मंगल पर लगातार काम कर रहे ‘इनसाइट' का अंत नजदीक दिख रहा है. नासा के वैज्ञानिकों ने बताया कि उसके सोलर पैनल पर धूल जम गई है. मंगलवार को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि सोलर पैनलों के काम बंद कर देने के बाद भी इनसाइट का प्रयोग जब तक संभव हो जारी रखा जाएगा क्योंकि उसमें सीज्मोमीटर यानी भूकंप आंकने वाले वाला यंत्र लगा है, जिससे मंगल पर आने वाले भूकंपों का पता लगाया जाता रहेगा. हालांकि जुलाई के बाद ऐसा होना शायद संभव ना हो.

उसके बाद भी इनसाइट पर इस साल के आखिर तक नजर बनाए रखी जाएगी, जिसके बाद उसे पूरी तरह मृत मान लिया जाएगा. नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री के प्रधान वैज्ञानिक ब्रूस बैनेर्ट ने बताया, "टीम में बहुत ज्यादा दुख का माहौल नहीं है. हम अभी भी अपना ध्यान इसे चलाए रखने पर लगा रहे हैं.”

विकल्प सोचना होगा

इनसाइट 2018 में मंगल ग्रह पर उतरा था. इस यान ने वहां 1,300 भूकंप दर्ज किए हैं. उनमें से सबसे शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता 5 आंकी गई जो दो हफ्ते पहले ही आया था. इनसाइट धूल के कारण मंगल पर बेकार होने वाला दूसरा नासा यान होगा. 2018 में ऑपर्च्युनिटी के साथ भी यही हुआ था धूल भरे एक तूफान ने उसे बेकार कर दिया था. फर्क बस इतना है कि ऑपर्च्युनिटी एक ही तूफान में खराब हो गया था जबकि इनसाइट के काम करना बंद होने की प्रक्रिया धीमी रही है.

इस वक्त नासा के दो अन्य यान भी मंगल पर कार्यरत हैं. क्यूरियॉसिटी और परसेवेरंस दोनों यान काम कर रहे हैं. लेकिन इसका श्रेय परमाणु ऊर्जा को जाता है, जिससे ये दोनों यान चलते हैं. प्लेनटरी साइंस डाइरेक्टर लोरी ग्लेज कहती हैं कि दो यान एक ही तरह बर्बाद हो जाने के बाद नासा सोलर पैनलों को लेकर अपनी नीति पर पुनर्विचार कर सकती है. या हो सकता है कि वे नई तरह की पैनल साफ करने वाली तकनीक पर विचार करें अथवा यान को मंगल पर भेजने के लिए ऐसे मौसम चुनें जबकि तूफान कम आते हैं.

हवा भी काम ना आई

इनसाइट को सौर पैनलों से अपने अभियान की शुरुआत में जितनी ऊर्जा मिलती थी, अब उसका दसवां हिस्सा ही पैदा हो रही है. डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर कात्या जमोरा गार्सिया बताती हैं कि शुरुआत में इनसाइट के सोलर पैनल इतनी बिजली पैदा कर रहे थे कि इलेक्ट्रिक अवन को एक घंटा 40 मिनट तक चलाया जा सकता था. अब उस अवन को दस मिनट चलाने लायक बिजली ही पैदा हो रही है.

इनसाइट के अभियान को देखने वाले दल को पहले से अनुमान था कि धूल के गुब्बार परेशानी पैदा कर सकते हैं लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि हवा इस धूल को साफ कर देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, जबकि तेज हवाओं के चलने के कई हजार वाकये हो चुके हैं. बेनेर्ट कहते हैं, "हवा के किसी भी झोंके ने सही जगह पर निशाना नहीं लगाया जिससे धूल साफ हो पाती.”

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मंगल की धूल ने एक अन्य उपकरण ‘मोल' को भी नष्ट किया है. जर्मनी में बना खुदाई करने वाला यह उपकरण मंगल पर खुदाई के लिए भेजा गया था. इसका मकसद 16 फुट गहराई तक खुदाई करना था लेकिन यह दो फुट भी नहीं जा पाया क्योंकि मंगल की लाल मिट्टी की प्रकृति और संरचना के सामने उसकी तकनीक नाकाम रही. आखिरकार इस साल की शुरुआत में उसे मृत घोषित कर दिया गया.

वीके/एए (एपी)

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