1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

साइंस की दुनिया की स्टार, इमानुएल कारपेंटिये

२८ सितम्बर २०१६

इमानुएल कारपेंटिये विज्ञान जगत की स्टार हैं. ऐसी स्टार की लोग उनके साथ सेल्फी खिंचाने को तरसते हैं. इस कामयाबी का राज है उनकी एक खोज.

https://p.dw.com/p/2Qds5
Preisträger 2015 der Jung-Stiftung für Wissenschaft und Forschung
तस्वीर: HZI Braunschweig

कुछ साल पहले मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट इमानुएल कारपेंटिये को अभूतपूर्व कामयाबी मिली. एक अमेरिकी सहयोगी के साथ उन्होंने इस बात की खोज की कि बैक्टीरिया बाहर से आने वाले वायरस को कैसे असरहीन बनाते हैं. साथ ही उन्होंने ये भी पता किया कि ये प्राकृतिक मैकेनिज्म जीन को बदलने में इस्तेमाल हो सकता है. अपनी खोज के बारे में वह कहती हैं, " इस खोज में रोमांचक बात ये है कि हम जीवन के मैकेनिज्म को समझना चाहते थे और इस प्रक्रिया में हमने कुछ ऐसा पाया जिसे बायोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी और बायोमेडिसिन में इस्तेमाल किया जा सकता है." कारपेंटिये की खोज का नाम है क्रिसपरकैस 9.

कारपेंटिये की इस खोज की मदद से इंसान में कैंसर और वंशानुगत बीमारियों का इलाज हो सकता है. हालांकि मानव जीनोम में किस हद तक हस्तक्षेप किया जा सकता है, यह नैतिक सवाल है लेकिन इसका जवाब मिलने तक खोज को रोका नहीं जा सकता. लिहाजा पौधों पर खोज जारी है. क्रपरकैस 9 को मक्के पर टेस्ट किया जा रहा है ताकि उसकी फसल को बेहतर किया जा सके. सफेद मशरूम पर भी काम चल रहा है, ताकि पीले होने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सके. और मूंगफली को एलर्जी से मुक्त करने के लिए भी क्रिसपर कैस 9 का इस्तेमाल हो रहा है.

तस्वीरों में, देखिए जर्मन बच्चे क्या क्या कमाल कर रहे हैं

इमानुएल कारपेंटिये हाल ही में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इनफेक्शन बायोलॉजी की डाइरेक्टर बनी हैं. उनके जीवन का यह नया पड़ाव है जिससे वह खुश हैं. उनका मानना है कि नयापन उत्सुकता बनाए रखता है. लेकिन जिंदगी इतनी आसान नहीं है. वह पेटेंट का का एक मुकदमा झेल रही हैं. विज्ञान जगत में यह नई बात नहीं है. एक अमेरिकी रिसर्चर का दावा है कि उसने पहली बार क्रिसपर कैस नाइन को मानवीय कोशिकाओं पर टेस्ट किया था. लेकिन कारपेंटिये अपनी बात पर कायम हैं. वह कहती हैं, "मैं समझती हूं कि हर अच्छी खोज के साथ पेटेंट का विवाद होता ही है. यही बात क्रिसपर कैस नाइन पर भी लागू होती है. लेकिन मुझे पूरा भरोसा है."

समय बताएगा कि इस झगड़े का क्या नतीजा निकलता है. इस समय पहली चुनौती है प्रयोगशाला को संगठित करना और नई टीम का गठन. समय कम है क्योंकि फ्रांसीसी इमानुएल कारपेंटिये विज्ञान जगत की स्टार हैं. उन्हें बड़े बड़े इनाम मिले हैं. न सिर्फ मीडिया जगत उनके पीछे रहता है, बल्कि सेल्फी लेने वाले प्रशंसक भी. प्रसिद्धि उन्हें अच्छी लगती है, लेकिन इसमें समय भी खर्च होता है. इसे वह शोध में लगाना चाहती हैं. अभी वे बहुत कुछ करना चाहती हैं. वह कहती हैं कि क्रिसपर कैस 9 जैसी खोज दोबारा कर पाना तो शायद मुश्किल होगा लेकिन मेरा लक्ष्य शोध को जारी रखना है, शायद हम और अनोखी खोज करने में कामयाब रहेंगे.

तस्वीरों में: क्लोनों की रेस में फर्स्ट

क्रिसपर कैस नाइन कोई छोटी खोज नहीं थी. इसके लिए इमानुएल को बड़ा इनाम मिल सकता है. लोग नोबेल पुरस्कार की भी उम्मीद कर रहे हैं.

एमजे/वीके