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यूक्रेन को सदस्यता के लिए प्रक्रिया तेज नहीं होगीः ईयू

११ मार्च २०२२

फ्रांस में गुरुवार को हुई यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की बैठक में यूक्रेन के प्रति समर्थन तो जताया गया लेकिन उसकी संघ की सदस्यता के लिए प्रक्रिया को तेज करने की संभावना नकार दी गई.

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फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों (बाएं) के साथ जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों (बाएं) के साथ जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्सतस्वीर: Chema Moya/IMAGO/Agencia EFE

यूरोपीय संघ ने गुरुवार को हुई बैठक में कहा कि यूक्रेन को फास्ट ट्रैक सदस्यता नहीं दी जाएगी. सदस्य देशों ने इस बात पर विचार किया कि और किस तरह से यूक्रेन की मदद की जा सकती है. यूरोपीय देशों ने यूक्रेन की मदद के लिए एकमत से साथ आने और रूस के खिलाफ सख्त प्रतिबंध लगाने की बात कही. लेकिन यूक्रेन को जल्द से जल्द सदस्यता देने के मसले पर 27 देश एकमत नहीं थे. रूस से ऊर्जा संबंध काटने के मुद्दे पर भी कोई सहमति नजर नहीं आई.

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने यूरोपीय संघ के समर्थन के रूप में अपने देश के लिए त्वरित सदस्यता की मांग की है. लेकिन दो दिवसीय बैठक में इस बात को लेकर कोई नतीजा निकलता नहीं दिखा. पहले दिन नौ घंटे तक चली बैठक में यूक्रेन की सदस्यता की इच्छा को माना तो सही लेकिन इससे आगे नहीं बढ़े.

रूस से ऊर्जा आयात को लेकर उलझन में है जर्मनी 

ईयू परिषद अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा, "यह यूक्रेन के प्रति एक मजबूत समर्थन दिखाने का मौका था. यानी वित्तीय और साधनों के रूप में हर तरह का समर्थन. यह स्पष्ट है कि यूक्रेन यूरोपीय परिवार का सदस्य है और हम हर तरह से उसके साथ संबंध मजबूत बनाने को प्रयास करना चाहते हैं.”

फिलहाल यूक्रेन का ईयू के साथ सिर्फ ‘एसोसिएशन अग्रीमेंट' है जिसका मकसद यूक्रेन के बाजारों को खोलना और उसके यूरोप के नजदीक लाना है. इसमें मुक्त व्यापार समझौता और देश की अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने जैसी बातें भी शामिल हैं.

एकदम ना भी नहीं

रूस द्वारा हमले के बाद यूक्रेन की सदस्यता की प्रक्रिया तेज करने की मांग को खासा समर्थन मिला है लेकिन ईयू नेता इस बात को जोर देकर कहते हैं कि यह प्रक्रिया सालों तक चल सकती है क्योंकि मौजूदा सदस्य देशों में सहमति ही नए सदस्य का रास्ता खोल सकती है.

फ्रांंस में यूरोपीय संघ के सदस्यों की बैठक
फ्रांंस में यूरोपीय संघ के सदस्यों की बैठकतस्वीर: Michel Euler/AP/picture alliance

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा कि यूरोपीय संघ को यूक्रेन के समर्थन में ‘मजबूत संकेत' भेजने चाहिए. लेकिन उन्होंने भी निकट भविष्य में यूक्रेन की सदस्यता की संभावना को खारिज कर दिया. माक्रों ने कहा, "क्या हम एक ऐसे देश के लिए सदस्यता की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं, जिसमें युद्ध चल रहा हो? मेरे ख्याल से तो नहीं. तो क्या हम दरवाजे बंद कर दें और यूक्रेन को हमेशा के लिए ना कह दें? यह तो अन्याय होगा.”

नीदरलैंड्स के प्रधामंत्री मार्क रुटे ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा कि संघ की सदस्यता की प्रक्रिया तेज नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा, "फास्ट-ट्रैक जैसा कुछ होता नहीं है. ऐसी कोई त्वरित प्रक्रिया नहीं है. हमें पश्चिमी बाल्कन देशों के बारे में भी सोचना होगा जो महज सदस्यता की उम्मीवारी पाने के लिए दसियों साल से काम कर रहे हैं. अल्बानिया और मैसिडोनिया के बारे में सोचिए. तो हमें सोचना है कि व्यवहारिकता में क्या किया जा सकता है.”

रूस ने पश्चिमी देशों को दी प्रतिबंधों की चेतावनी, कहा तकलीफ होगी

एक अन्य बाधा जो यूरोपीय संघ को यूक्रेन को सदस्यता देने से रोक रही है, वह ईयू की संधि है, जिसके तहत यदि किसी सदस्य देश पर हमला होता है तो सभी सदस्यों को अपनी पूरी ताकत से उसकी मदद करनी होगी.

सोवियत रूस में रह चुके देश लातविया के प्रधानमंत्री कृश्चानिस कारिन्स कहते हैं, "यह बहुत जरूरी है कि हम दिखाएं कि यूक्रेन के लिए दरवाजे खुले हैं, सदस्यता के लिए उनका रास्ता खुला है और लोकतांत्रिक देशों के परिवार के रूप में हम उन्हें चाहते हैं. यूक्रेन के लोगों के लिए यह बहुत-बहुत जरूरी संकेत होगा.”

रूस पर निर्भरता

ईयू के नेताओं ने रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता पर भी चर्चा की. रूस और उसके सहयोगी बेलारूस पर नए प्रतिबंधों और उन्हें स्विफ्ट सिस्टम से बाहर करने के मुद्दे भी बातचीत में शामिल थे. सभी नेता इस बात सहमत थे कि यूरोप को रूस पर निर्भरता कम करनी चाहिए.

कारिन्स ने बताया, "ऊर्जा क्षेत्र क्रेमलिन का मुख्य आय स्रोत है. इससे उन्हें रोजाना के लगभग 60 करोड़ यूरो यानी लगभग 50 अरब रुपये मिलते हैं. अगर हम रूस की ऊर्जा खरीना बंद कर देंगे तो उसकी सेना की फंडिंग बंद हो जाएगी.”

सदस्य देशों ने निर्भरता कम करने के लिए अक्षय ऊर्जा की ओर ज्यादा तेजी से बढ़ने की बात कही. यूरोपीय संघ में बिजली बनाने, घरों को गर्म रखने और उद्योगों को सप्लाई के लिए जरूरी प्राकृतिक गैस की 90 प्रतिशत पूर्ति रूस से होती है. इसके अलावा संघ की 40 प्रतिशत गैस और एक चौथाई तेल भी वहीं से आता है.

कितना गंभीर होगा रूस के तेल पर बैन का असर?

वैसे अमेरिका ने रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है और ब्रिटेन ने भी कहा है कि इस साल के आखिर तक चरणबद्ध तरीके से तेल आयात बंद कर दिया जाएगा. लेकिन फिलहाल यूरोपीय संघ इस रास्ते पर चलता नजर नहीं आता.

इसी हफ्ते की शुरुआत में यूरोपीय आयोग ने सप्लाई के लिए अलग स्रोत खोजने और रूसी गैस की मांग साल के आखिर तक दो तिहाई घटाने का प्रस्ताव पेश किया था. लेकिन आयात एकदम बंद करने के प्रस्ताव का जर्मनी और फ्रांस पहले ही विरोध कर चुके हैं.

वीके/सीके (एपी, डीपीए)

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