1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भीगी अंगुलियों में क्यों पड़ती हैं सिलवटें?

ओंकार सिंह जनौटी
३ फ़रवरी २०१७

हाथों के बहुत देर तक पानी में रहने पर अंगुलियों की त्वचा सिलवटें सी पड़ जाती हैं. आपको पता है कि ऐसा क्यों होता है? जानकर आप चौंक जाएंगे.

https://p.dw.com/p/2WuH6
Eine Hand im Wasser mit Wasserstrahl
तस्वीर: Fotolia/PiChris

अब तक यह माना जाता था कि अगर हाथ बहुत देर तक भीगे रहें तो त्वचा के भीतर से पानी निकलने लगता है. नमी की कमी के चलते अंगुलियों के सिरों में सिलवटें सी आ जाती है. ऐसा ही पैरों में भी होता है. भीगे पैरों के तलवे भी लहरदार से हो जाते हैं.

लेकिन अब वैज्ञानिकों को लगता है कि उन्हें सही कारण मिल गया है. यह कारण है, जिंदा रहने के लिए शरीर का जबरदस्त इंतजाम. सिलवटों की वजह से हाथ-पैरों की पकड़ बेहतर हो जाती है और भीगे हाथों से किसी भी चीज को पकड़ना आसान हो जाता है. सिलवटों वाले पैर के तलवे फिसलन से बचाने का काम करते हैं.

त्वचा से पानी निकलने की बात ठीक नहीं है. न्यूकासल यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, त्वचा के भीतर स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र काम करता है और यही तंत्र नसों को सिकोड़ देता है. नसों की सिकुड़न का असर त्वचा पर पड़ता है और उसमें सिलवटें पड़ जाती है. स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र ही सांस, धड़कन और पसीने को भी नियंत्रित करता है.

डॉक्टर टॉम श्मलडर्स की अगुवाई में हुए इस प्रयोग का रिसर्च पेपर बायोलॉजी लेटर्स में छपा है. लेख के मुताबिक, "हमने साबित किया है कि सिलवट वाली अंगुलियां गीली परिस्थितियों में बेहतर ग्रिप देती हैं. यह कार के टायरों में बनी ग्रिप की तरह काम करती हैं, ताकि सड़क से ज्यादा से ज्यादा संपर्क रहे."

प्रयोग के दौरान छात्रों के एक ग्रुप को पानी में भीगे संगमरमर के टुकड़े दिये गये. छात्रों ने जब उन टुकड़ों को उठाने की कोशिश की तो बड़ी मुश्किल हुई. टुकड़े बार बार फिसलते रहे. लेकिन फिर वैज्ञानिकों ने छात्रों के हाथ आधे घंटे तक पानी में भिगा दिये. इसके चलते अंगुलियों में सिलवट आ गई और संगमरमर के गीले टुकड़े आसानी से पकड़ में आने लगे.

डॉ. श्मलडर्स इसे क्रमिक विकास से जोड़ते हैं, "बहुत ही पुराने समय में जाएं तो अंगुलियों की इन्हीं झुर्रियों ने शायद पानी और गीले इलाकों में खाना खोजने में हमारी मदद की. पैरों में भी ऐसा होता है और शायद इसी की वजह से हमारे पुरखे बारिश में भी आसानी से चल फिर सके."