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समाज

अब करनाल में डटे किसान

आमिर अंसारी
८ सितम्बर २०२१

करनाल में किसानों ने 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में आंदोलन को बुधवार को भी जारी रखा. किसानों की मांग है कि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी का निलंबन हो. करनाल में किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर डेरा डाल लिया.

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तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

28 अगस्त को करनाल में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज का आदेश देने वाले अधिकारी के निलंबन की मांग पर संयुक्त किसान मोर्चा अड़ा हुआ है. मंगलवार को किसानों ने करनाल की अनाजमंडी में महापंचायत की और किसान नेताओं की अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई. लेकिन सहमति नहीं बन पाई.

किसानों ने मंगलवार को लघु सचिवालय का घेराव किया और इस दौरान पुलिस ने किसानों पर पानी की बौछारें भी की. किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. मंगलवार रात को ही किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर स्थाई धरने का ऐलान कर दिया और टेंट लगा दिए.

अधिकारी पर कार्रवाई की मांग

किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलता है प्रदर्शनकारी किसान लघु सचिवालय के बाहर डटे रहेंगे. इस बीच स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा, "हमारी एक बहुत छोटी सी मांग है, ये कोई तीन कानून रद्द करने वाला मोर्चा नहीं है. हम तो सिर्फ यह कह रहे हैं कि जिस अफसर ने किसानों का सिर फोड़ने की बात पब्लिक में बोली, वीडियो में सामने आई, उस पर आप कार्रवाई करो. और, उसके बाद जिन किसानों के ऊपर लाठीचार्ज हुआ जिसमें किसान घायल हुए उनके बारे में मुआवजे का ऐलान होना चाहिए. इतनी छोटी बात के लिए महीनों धरना चलाने का कोई इरादा नहीं है."

यादव ने कहा कि सरकार को बात नहीं बढ़ानी चाहिए और इस पर कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने कार्रवाई की जगह आरोपी अफसर के कंधे पर हाथ रखा है.

28 अगस्त को एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह लाठीचार्ज से पहले सिपाहियों को किसानों का सिर फोड़ देने के निर्देश देते नजर आए थे. हरियाणा सरकार ने एसडीएम के पद से हटाकर आयुष सिन्हा का ट्रांसफर राजधानी चंडीगढ़ में एक विभाग में कर दिया है. हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सिन्हा का बचाव किया था और कहा था कि सख्त कार्रवाई जरूरी थी.

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मोबाइल इंटरनेट पर रोक

इस बीच हरियाणा सरकार ने करनाल में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवा पर बुधवार रात तक रोक लगा दी है. बीते दिनों किसानों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक बड़ी महापंचायत की थी और करीब पांच लाख लोग इस महापंचायत में शामिल हुए थे. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल से केंद्र के तीन नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं और उन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं. केंद्र का कहना है कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं और उससे उनकी आय बढ़ेगी.

संयुक्त किसान मोर्चा ने इसी महीने की 27 तारीख को भारत बंद का ऐलान किया है और देश के 10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इस बंद के समर्थन का ऐलान किया है.

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