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समाज

कोरोना काल में फैशन ब्रांड्स पर श्रमिकों के शोषण के आरोप

१६ अक्टूबर २०२०

वैश्विक फैशन ब्रांड्स टेक्सटाइल कंपनियों से दाम में कटौती और माल के बदले भुगतान करने में देरी की मांग कर रहे हैं जिससे लाखों श्रमिकों के रोजगार जाने का खतरा गहरा होता जा रहा है. एक शोध में यह खुलासा हुआ है.

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तस्वीर: Greenpeace/Jeff Lau

टेक्सटाइल उद्योग कोरोना महामारी से उभरने की जद्दोजहद में लगा हुआ लेकिन अमेरिका में हुए एक ताजा शोध में कहा गया है कि ग्लोबल फैशन ब्रांड्स दाम में कटौती करने और माल के बदले में भुगतान में देरी की मांग कर रहे हैं जिस वजह से लाखों श्रमिकों पर नौकरी जाने का संकट गहरा रहा है. पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर ग्लोबल वर्कर्स राइट्स (सीजीडब्ल्यूआर) के द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि सप्लायर्स से 2019 के मुकाबले 12 फीसदी सस्ता मामला बेचने को कहा जा रहा है. शोध में कहा गया है कि यह "फायदा उठाने" की कवायद है.

शोध के लिए 15 देशों की 75 फैक्ट्रियों का सर्वे किया गया और सप्लायर्स ने कहा उन्हें भुगतान के लिए औसतन 77 दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है, जबकि महामारी के पहले तक 43 दिन इंतजार करने पड़ते थे. भुगतान में देरी का मतलब फैक्ट्री को बंद करना भी हो सकता है. दुनिया भर में छह करोड़ लोग टेक्सटाइल उद्योग में काम करते हैं.

इस शोध के लेखक और सीजीडब्ल्यूआर के निदेशक मार्क एन्नर कहते हैं, "हम कीमतों में नाटकीय रूप से गिरावट देख रहे हैं, ऑर्डर कम हो रहे हैं और भुगतान में देरी हो रही है. यह मुझे चिंता में डालता है क्योंकि सप्लायर और श्रमिकों की यह भलाई का मामला है. सबसे पहले यह छोटे और मध्यम सप्लायर्स को प्रभावित करेगा."

कोविड-19 के कारण फैशन कंपनियों ने अरबों डॉलर के ऑर्डर रद्द कर दिए और इस साल महामारी के कारण स्टोर बंद हो गए. एक अनुमान के मुताबिक श्रमिकों को बतौर वेतन 5.8 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. सीजीडब्ल्यूआर को कंबोडिया, इथियोपिया, ग्वाटेमाला, भारत, मेक्सिको, पेरू और विएतनाम के सप्लायर्स ने बताया कि उन्होंने पहले ही 10 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है और अगर ऑर्डर कम आते हैं तो 35 फीसदी और कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा सकता है. सीजीडब्ल्यूआर का कहना है कि अगर यह आंकड़े पूरे उद्योग के लिए सही साबित होते हैं वैश्विक स्तर पर लाखों श्रमिक बिना काम के रह जाएंगे."

दूसरा संकट

कपड़ा निर्माता और श्रमिक अधिकार समूहों का कहना है कि जो ऑर्डर कोरोना की वजह से रद्द कर दिए गए थे वे दोबारा बहाल किए गए हैं लेकिन उनकी संख्या कम है और ऑर्डर चाहने वाले उद्योगों की संख्या अधिक है. एन्नर कहते हैं, "खरीदार इसका फायदा उठा रहे हैं. अरबों डॉलर के ऑर्डर रद्द होने और सप्लाई का भुगतान नहीं होने के कारण यह एक तरह का दूसरा संकट है."

सर्वे में शामिल आधे से अधिक कपड़ा उद्योग ने कहा कि अगर ऑर्डर सिकुड़ते हैं तो उन्हें टेक्सटाइल उद्योग बंद करना होगा.

थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने बांग्लादेश में पांच कपड़ा उद्योगों से बात की है. उसके मुताबिक उद्योगों ने बताया कि उन्हें 5 से 15 फीसदी तक दाम में कटौती करने को मजबूर किया गया. कपड़ा उद्योग मालिक और बांग्लादेश गार्मेंट मैनुफैक्चर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के हामिद कुरैशी के मुताबिक सितंबर से ऑर्डर तो बढ़े हैं लेकिन दाम में कटौती हुई है. उनके मुताबिक, "ब्रांडों के साथ बातचीत की ज्यादा गुंजाइश नहीं है. वे कहते हैं कि हम अगर उनकी कीमत के लिए सहमत नहीं हैं तो वे अन्य सप्लायर के पास जा सकते हैं."

ब्रिटेन स्थित एथिकल ट्रेडिंग इनिशिएटिव, जिसके सदस्य एच एंड एम और प्रिमार्क हैं, ने कहा कि महामारी मानवाधिकारों से पीछे हटने का कोई बहाना नहीं है और हर कोई चाहता है कि सप्लाई चेन मजबूत बने.

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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