इन विश्व धरोहरों का दर्जा खतरे में
संयुक्त राष्ट्र की संस्था युनेस्को ने एक रिपोर्ट का मसौदा जारी किया है, जिसमें कई विश्व धरोहरों का दर्जा कम करके उन्हें खतरे की सूची में डालने का प्रस्ताव है. कौन कौन सी हैं ये धरोहरें, जानिए...
लिवरपूल, इंग्लैंड
ब्रिटेन के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले इस शहर का ऐतिहासिक समुद्रतट एक विरासत माना जाता है. लेकिन युनेस्को कहना है कि शहर नई इमारतों की ऊंचाई पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है. और नया फुटबॉल स्टेडियम बनाने की योजना ने भी शहर के दर्जे को खतरे में डाला है.
ग्रेट बैरियर रीफ, ऑस्ट्रेलिया
उत्तर-पूर्वी तट पर फैले 2,300 किलोमीटर लंबे कोरल रीफ के कारण ऑस्ट्रेलिया की पहचान दुनियाभर में है. लेकिन कई साल से ये कोरल खतरे में हैं. 2015 और 2017 में भी यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहरों की सूची से हटाने की सिफारिश की थी लेकिन तब यह खूबसूरत जगह बच गई थी.
बुडापेस्ट, हंगरी
डेन्यूब नदी पर बसा बुडापेस्ट अपने आधुनिकीकरण के कारण खतरे में है. बुडा कासल क्वॉर्टर को दूसरे विश्वयुद्ध से पहले वाला रूप देने की योजना ने इसके दर्जे को खतरे में डाल दिया है.
वेनिस, इटली
पानी पर बसे शहर वेनिस को 1987 में विश्व धरोहर का दर्जा मिला था. लेकिन युनेस्को कई बार बहुत ज्यादा पर्यटकों के कारण शहर के अस्तित्व पर मंडराते खतरे के बारे में चेता चुका है. अब इसके दर्जे पर ही खतरा है.
सिलोस रिजर्व, तंजानिया
तंजानिया के सिलोस रिजर्व को 1982 में विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया था. लेकिन 2014 में हाथियों की आबादी में भारी कमी के कारण इसका दर्जा घटा दिया गया और इसे ‘खतरे में धरोहर’ की सूची में डाल दिया गया. इस रिजर्व के बीच से बहने वाली रूफीजी नदी पर बांध बनाने की योजना के बाद इसे विश्व धरोहरों की सूची से पूरी तरह हटाने की सिफारिश की गई है.