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माली में हेलीकॉप्टर क्रैश, दो जर्मन पायलट मारे गये

२७ जुलाई २०१७

अफ्रीकी देश माली में जर्मन सेना का एक हेलीकॉप्टर गिर गया जिसमें दो जर्मन पायलट मारे गये हैं. हादसे के वक्त हेलीकॉप्टर वहां पर हो रहे "टकराव" की निगरानी कर रहा था.

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Mali - Kampfhubschrauber Tiger in Gao
तस्वीर: picture-alliance/Bundeswehr/M. Tessensohn

जर्मन सेना ने बुधवार को बताया कि यह दुर्घटना माली में गाओ नाम की जगह के पास हुई. इसके कारणों का अभी पता नहीं चला है. जर्मन सेना बुंडेसवेयर ने एक बयान जारी कर कहा, "हेलीकॉप्टर पर दो सर्विस मेंबर सवार थे, जो इस दुर्घटना में मारे गये."

ये जर्मन सैनिक माली में शांति बनाये रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मिशन में हिस्सा ले रहे थे. जर्मन सेना का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के बलों को घटनास्थल पर जांच करने के लिए भेजा गया है. संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि हेलीकॉप्टर जमीन पर चल रहे टकराव की निगरानी कर रहा था. इसका मतलब है कि घटनास्थल पर पीसकीपिंग मिशन की टीम के पहुंचने से पहले उसे सुरक्षित बनाना होगा.

शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि हेलीकॉप्टर का गिरना एक दुर्घटना थी और इस पर हमला किये जाने का कोई संकेत नहीं मिलता है. इस समय माली में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में 13 हजार सैनिक तैनात हैं जिनमें से 875 जर्मन हैं. इस शांति मिशन का उद्देश्य देश के हालात को स्थिर बनाना और सरकार और विद्रोहियों के बीच हुए शांति समझौते को लागू करने में मदद करना है.

माली को दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के सबसे खतरनाक शांति अभियानों में से एक माना जाता है. पिछले चार साल में वहां यूएन शांति सेना के 120 सैनिक मारे गये हैं. माली में 2012 से अस्थिरता है. पांच साल पहले राजधानी बमाको में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद कोई प्रभावी सरकार न होने का फायदा उठाकर तुआरेग और अन्य विद्रोहियों ने उत्तरी माली को अपने नियंत्रण में ले लिया और आजादी की मांग उठायी.

लेकिन स्वायत्ता के लिए इस तुआरेग विद्रोह पर जल्द ही इस्लामी चरमपंथियों ने कब्जा कर लिया और इनमें अल कायदा से जुड़े गुट भी शामिल थे. इलाकों में हथियारों की बाढ़ से संघर्ष को और हवा मिली. इसके अलावा लीबिया में मुआम्मर गद्दाफी को हटाये जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के कारण पैदा हुई अस्थिरता ने माली के लिए हालात और मुश्किल कर दिये.

जिहादियों को मजबूत होता देख पूर्व औपनिवेशिक ताकत फ्रांस ने 2013 में माली में सैन्य हस्तक्षेप किया. फ्रांस की सेना जिहादियों को पीछे धकेलने में कामयाब रही लेकिन अब भी वे हमले करने में सक्षम बने हुए हैं. जून 2015 में माली की सरकार और तुआरेग और अन्य विद्रोहियों के बीच शांति समझौता हुआ, लेकिन जिहादियों को इसमें शामिल नहीं किया गया था.

एके/एनआर (डीपीए, एएफपी)