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वहम बन चुका है 500 साल पुराना जर्मन बियर कानून!

विवेक कुमार१७ जून २०१६

जर्मनी में एक कानून है बियर शुद्धता कानून. इस कानून को इस साल 500 साल पूरे हो गए हैं. लोग इसे सबसे पुराना उपभोक्ता कानून कहते हैं. लेकिन इस पर विवाद भी बहुत हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. H. Eiferle

जर्मन बियर कानून ने इस साल अपने 500 साल पूरे कर लिए हैं. बियर कानून सुनकर आप चौंक तो नहीं गए? यह सच है. जर्मनी में एक बियर कानून है जो 1516 में बनाया गया था और तब से चला आ रहा है. हालांकि अब इसमें बदलाव की मांग सुनाई दे रही है.

जर्मनी का बियर कानून एक अद्भुत कानून है. कई बार तो इसे दुनिया का सबसे प्रसिद्ध खाद्य कानून भी कहा जाता है. जब किसी को उपभोक्ता अधिकारों का ख्याल भी नहीं आया था तब यह कानून बना दिया गया था. इसके जरिये सुनिश्चित किया गया कि बियर बनाने में पानी, होप्स और जौं का इस्तेमाल ही हो ताकि उसकी शुद्धता कायम रहे. और इसकी वजह सच में उपभोक्ताओं का ख्याल ही था. हुआ यूं कि 500 साल पहले पीने का पानी नहीं मिल पाता था. लोग अक्सर उसकी जगह बियर पी लेते थे. और खूब पीते थे ताकि प्यास न लगे. तब इस बात का ख्याल आया कि बियर की गुणवत्ता उच्च कोटि की हो ताकि लोगों को नुकसान न हो. इसके लिए बियर शुद्धता कानून बनाया गया.

क्या है बियर शुद्धता कानून

जर्मन में इस कानून के लिए शब्द है राइनहाइट्सगेबॉट जो कि शब्दशः इस कानून का मकसद जाहिर कर देता है कि आपको बियर की शुद्धता बनाए रखनी है. इसके अनुसार होप्स, पानी और जौ के अलावा बियर बनाने में किसी और चीज का इस्तेमाल नहीं हो सकता. 1516 में इस कानून को बावेरिया राज्य में ही लागू किया था. 1871 में जब बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण की बात की तो बावेरिया ने शर्त रखी कि बियर शुद्ता कानून को पूरे जर्मनी में लागू करना होगा. तब से यह पूरी जर्मनी का कानून बन गया.

कानून पर हमले

भले ही यह कानून अपने आप में एक गाथा है लेकिन इस पर हमले भी होते रहे हैं. कई आलोचक मानते हैं कि इसकी वजह से जर्मन बियर उद्योग को नुकसान हुआ है. यूरोपीय संघ भी इस कानून को लेकर कई बार नाराजगी जाहिर कर चुका है. बियर बनाने वाले इस कानून के कुछ आलोचकों का कहना है जर्मन बियर में इतनी सहनशीलता तो होनी ही चाहिए कि वह कुछ और तत्वों को अपने अंदर मिला सके.

इंस्टिट्यूट फॉर प्योर बियर के मानद अध्यक्ष हर्बर्ट फ्रांकेनहाउसेर ने अंग्रेजी पत्रिका श्पीगल से कहा कि यह कानून अक्षमताओं के खिलाफ एक ढाल है और विदेशी बियर की बुराइयों से भी लड़ता है. लेकिन हैम्बर्ग के रहने वाले बियर व्यापारी ओलिवर वेसलोह का कहना है कि यह दुनिया की सबसे पुराना मार्किटिंग अभियान है और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उन्हें धोखे में रखने के काम आता है. प्रोविजनल बियर लॉ ऑफ 1993 के तहत बियर में अगर कुछ ऐसे तत्व हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता तो उसके खिलाफ बियर शुद्धता कानून कुछ नहीं कहता. मसलन सिंथेटिक पॉलिमर का इस्तेमाल ब्रू को बांधने के लिए किया जाता है. उसके तत्व ब्रू में मिल जाते हैं. लेबल पर इन तत्वों का जिक्र बस इस तरह किया जाता है कि "टेक्निकल अनअवॉएडेबल अमाउंट्स" भी मिलाए गए हैं. ऐसे कई तत्व हैं जो बियर बनाने की अलग-अलग प्रक्रियाओं के दौरान उस द्रव का हिस्सा बनते जाते हैं जिसे लोग पीते हैं.

वहम है, प्यार है

2013 में जर्मन बियर असोसिएशन ने कोशिश की कि यूनेस्को इस कानून को हेरिटेज लिस्ट में शामिल कर ले. यूनेस्को ने मना कर दिया. जर्मन लोगों को बुरा लगा. वे अपनी बियर से, उसकी शुद्धता से और इस कानून से प्यार करते हैं. लेकिन यह भी सच है कि तकनीक बियर में घुल चुकी है. उसकी वजह से बियर में तरह-तरह की मिलावट हो चुकी है. मसलन होप ही अब 200 तरह का मिलता है. लिहाजा शुद्धता अब एक वहम है और जर्मनों को इस वहम से प्यार है. इसीलिए शुद्धता कानून के 500 साल पूरे होने का जश्न खूब धूमधाम से मनाया जा रहा है.

विवेक कुमार