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हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों पर चीनी लोगों की राय

२१ अगस्त २०१९

चीन में अधिकांश लोगों के पास सूचना पाने का एक ही जरिया है - सरकारी मीडिया. इसलिए अधिकांश मुद्दों पर उनकी राय सरकार की राय ही होती है. हांगकांग के मुद्दे पर भी ऐसा ही नजर आता है.

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Massenprotest in Hong Kong
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Wallace

चीन के पूर्वी तट पर स्थित है शंघाई. सवा दो करोड़ से भी ज्यादा जनसंख्या वाला शहर. चीन के सबसे बड़े शहरों और आर्थिक स्तंभों में से एक. इससे करीब 1200 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हांगकांग भी एक बड़ा आर्थिक शहर है जो आज कल थोड़ा अस्त-व्यस्त है. लेकिन शंघाई में हांगकांग में प्रदर्शन कर रहे लोगों के प्रति थोड़ी सहानुभूति है. एक 30 वर्षीय चीनी कामकाजी नौजवान ने जर्मनी के पब्लिक ब्रॉडकास्टर एआरडी से कहा," वे लोग क्या कर रहे हैं. वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. उन लोगों को अपने काम कर ध्यान देना चाहिए और शांति से अपना जीवन गुजारना चाहिए." इस नौजवान का मानना है कि इस प्रदर्शन की कोई तुक नहीं है. ये विचार सिर्फ इस एक आदमी के नहीं हैं, बल्कि चीन के अधिकांश लोगों का यही मानना है.

हिंसा का डर

पत्रकार जोस कियान का मानना है कि करीब 90 प्रतिशत चीनी लोग हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों की निंदा करते हैं. कियान शंघाई में ही रहते हैं और कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के लिए काम करते हैं और इस शहर की नब्ज को अच्छे से समझते हैं. वे कहते हैं कि शंघाई के लोगों को अच्छे से पता है कि हांगकांग में कुछ तो चल रहा है," वे यह तो नहीं जानते कि इसके पीछे की असल वजह क्या है या कितने लंबे समय से यह चल रहा है और इसके पीछे और क्या क्या हुआ है. उन्हें शायद यह भी ना पता हो कि इन प्रदर्शनकारियों की मांगें क्या हैं. शंघाई के लोगों की राय सिर्फ हांगकांग के लोगों की नाराजगी और वहां के हिंसा के डर तक सीमित है.

Hongkong Protest gegen China & Auslieferungsgesetz
तस्वीर: Reuters/K. Hong-Ji

हांगकांग शहर की एक पूर्व कर्मचारी कहते हैं, " मैं हांगकांग पुलिस का समर्थन करती हूं. जब से हांगकांग चीन का हिस्सा बना है तब से आर्थिक विकास तेजी से हुआ है. हालांकि यह सिर्फ चीन की वजह से नहीं हुआ है. फिर भी मैं कहती हूं कि इस तरह का जिद्दी व्यवहार गलत है." कियान का मानना है कि इस तरह की राय चीनी सरकारी चैनलों की मदद से बनाई जाती है. वे आजकल हांगकांग में हो रही गतिविधियों को दिखा तो रहे हैं लेकिन वे चीन सरकार के निर्देशों का पालन कर उनके मुताबिक ही लोगों को दिखाते हैं.

खबरों का मुख्य स्रोत

कियान कहते हैं," आप इसे प्रोपेगैंडा भी कह सकते हैं, आप इसे आधिकारिक मीडिया कैंपेन भी कह सकते हैं लेकिन यहां कहानी का सिर्फ एक पहलू दिखाया जाता है. सरकारी चैनल यह नहीं दिखाते कि लोग क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं. वे बस यह दिखाते हैं कि हांगकांग में तनाव बना हुआ है. वहां पर हुई हिंसा इन रिपोर्टों में प्रमुखता से होती है. और अधिकांश वही तस्वीरें बार-बार दिखाई जाती हैं जिनमें प्रदर्शनकारी ताकत का इस्तेमाल करते नजर आ रहे होते हैं."

Hongkong Protestkundgebung vor dem Chater Garden
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Fischer

कियान के अनुसार," चीन में सरकारी मीडिया के अलावा जानकारी का कोई दूसरा माध्यम नहीं है. यही वजह है कि चीन में अधिकांश लोगों के विचार वही हैं जो उनकी सरकार के हैं. उनका मानना है कि हांगकांग के अधिकतर प्रदर्शनकारी हिंसक हैं. वे चरमपंथी हो चुके हैं और सरकारी संपत्ति का नुकसान कर रहे हैं. उन्हें आतंकवादी समझा जाने लगा है. यही वजह है कि यहां के लोग चीन या हांगकांग की सरकार के समर्थन वाली बातों को ही दोहराते हैं क्योंकि उन्हें यही बातें पता हैं."

यही वजह है कि अब शंघाई में भी लोगों की इस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. रिटायर हो चुके एक 70 वर्षीय व्यक्ति कहते हैं कि हांगकांग में जो लोग प्रदर्शन कर रहे हैं वे गलत कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्हें सारी सूचनाएं सरकारी माध्यमों जैसे सीसीटीवी चैनल या चीन नेशनल रेडियो से मिलती हैं. उनके अनुसार हांगकांग हमेशा से एक अच्छा आर्थिक केंद्र रहा है. ऐसे में वहां ऐसे प्रदर्शन होना ठीक नहीं है. उनका मानना है कि इन प्रदर्शनकारियों ने अब तक सिर्फ बुरा ही किया है, कुछ अच्छा नहीं किया है.

रिपोर्ट: आर्न्ट रीकमन/आरएस

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