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सेहत के लिए कितना ज्यादा खतरनाक है प्रोसेस्ड फूड

फ्रेड श्वालर
२३ फ़रवरी २०२४

फूड प्रोसेसिंग उत्पादन का एक तरीका है. इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि प्रोसेस्ड फूड में पोषक तत्वों की कमी और कैलोरी की मात्रा ज्यादा हो सकती है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या ये हमारे सेहत के लिए वाकई नुकसानदायक हैं?

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फास्ट फूड को जानकार सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते. तस्वीर में: बर्गर, फ्रेंच फ्राय और कोला ड्रिंक.
खाने-पीने की ज्यादातर प्रोसेस्ड चीजों में कैलोरी तो बहुत सारी होती है, लेकिन पोषक तत्व कम होते हैं. तस्वीर: Markus Mainka/picture alliance

यह सामान्य धारणा है कि प्रोसेस्ड फूड सेहत के लिए हानिकारक हैं. इनकी वजह से वजन और मोटापा बढ़ सकता है. यह बात कभी-कभी सच भी लगती है. उदाहरण के लिए, प्रोसेस्ड फूड में सामान्य खाद्य पदार्थों की तुलना में चार गुना अधिक कैलोरी हो सकती है.

प्रोसेस्ड फूड का मतलब ऐसे खाद्य पदार्थों से है, जिनके उत्पादन के दौरान उनमें कुछ बदलाव किया गया है. यह ऐसा खाद्य पदार्थ हो सकता है, जिसमें विटामिन या रंग मिलाया गया हो या जिसे लंबे समय तक इस्तेमाल करने लायक बनाने के लिए कुछ अन्य तरीके अपनाए गए हों, जैसे कि पाश्चराइज्ड मिल्क.

तकनीकी रूप से देखा जाए, तो साबुत अनाज का बेक किया हुआ ताजा ब्रेड भी एक ‘प्रोसेस्ड' फूड ही है. ऐसा इसलिए कि इसे बनाने की प्रक्रिया में इसके मूल तत्वों में बदलाव हो जाता है. हालांकि, हम अभी कहते हैं कि ‘प्रोसेस्ड फूड' हमारे स्वास्थ्य के लिए खराब हैं, जबकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि खाद्य पदार्थों को किस हद तक प्रोसेस किया गया है.

हाल में किए गए अध्ययन के नतीजों का उद्देश्य यह दिखाना है कि अगर कोई खाना प्रोसेस्ड या ज्यादा प्रोसेस्ड है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह सीधे तौर पर स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. हालांकि, यह जरूर है कि इनमें ज्यादा कैलोरी हो सकती हैं और पोषक तत्व व विटामिन कम हो सकते हैं.

प्रोसेस्ड फूड में औसतन ज्यादा कैलोरी

ब्रिटिश जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि ब्रिटेन में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में सामान्य तौर पर प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों की तुलना में औसतन चार गुना अधिक कैलोरी होती है. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में प्रति 100 ग्राम औसतन 378 कैलोरी होती है. वहीं, सामान्य तौर पर प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों में 94 कैलोरी होती है.

हालांकि, जिन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड को अध्ययन में शामिल किया गया था उन सभी में कैलोरी की मात्रा अधिक नहीं थी. कई अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में सामान्य तौर पर प्रोसेस किए गए खाद्य पदार्थों के बराबर ही पोषक तत्व थे.

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पोषण वैज्ञानिक नेरीस एस्टबरी ने एक बयान में कहा, "ये पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड, जैसे कि रेडी-टू-ईट फूड, पैकेटबंद केक, चिप्स, बिस्किट, कुकीज, मिठाई और चॉकलेट से सेहत पर जो बुरा असर पड़ता है, वह इस वजह से होता है कि इन्हें बहुत ज्यादा प्रोसेस किया जाता है या फिर इस वजह से कि इनमें जरूरी पोषक तत्व और विटामिन कम होते हैं.” हालांकि, एस्टबरी सीधे तौर पर इस अध्ययन में शामिल नहीं थे.

क्या प्रोसेस्ड फूड वाकई में नुकसानदायक हैं?

पिछले शोध से पता चलता है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि खाद्य पदार्थों को प्रोसेस करने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. हालांकि, इस बात से असर पड़ सकता है कि वह खाद्य पदार्थ किस चीज से बना है और किस तरीके से तैयार किया गया है. खाद्य पदार्थ को जिस तरीके से तैयार किया जाता है, उससे इसे खाने की आदत पर असर पड़ सकता है. इसका नतीजा यह हो सकता है कि लोग इसे ज्यादा खा सकते हैं और ज्यादा खाना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.

अध्ययन में प्रोसेस किए गए जिन खाद्य पदार्थों को सेहत के लिए लाभदायक माना गया है, उनमें पैकेटबंद सैनविच, पौधों से मिलने वाले ऐसे खाद्य पदार्थ जो दूध के विकल्प हो सकते हैं और नाश्ते के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले ज्यादा फाइबर वाले अनाज शामिल हैं.

किंग्स कॉलेज लंदन में पोषण विज्ञान के प्रोफेसर थॉमस सैंडर्स ने अपने बयान में कहा कि अध्ययन का दायरा काफी सीमित था. इसमें प्रोसेस्ड फूड से मिलने वाले पोषण पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.

उन्होंने कहा, "इस शोध से यह नहीं पता चलता है कि प्रोसेस्ड फूड की अलग-अलग श्रेणियों, जैसे कि पैकेटबंद स्नैक्स, पेय पदार्थ या डिब्बाबंद खाने में जरूरी पोषक तत्वों की मात्रा कितनी होती है. इसमें प्रोटीन, कैल्सियम, आयरन, विटामिन और फाइबर जैसे पोषक तत्वों की मात्रा के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.”

इसका मतलब, यह पता लगाना मुश्किल है कि अलग-अलग खाद्य पदार्थों में ज्यादा कैलोरी होने से उसमें पोषक तत्व कम होंगे या ज्यादा. यह साफ नहीं है कि क्या सिर्फ कैलोरी की मात्रा के आधार पर ही ये कहा जा सकता है कि कोई खाना कितना अच्छा या बुरा है. हालांकि, सैंडर्स सीधे तौर पर इस अध्ययन में शामिल नहीं थे.

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अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड क्या है?

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का मतलब है औद्योगिक तौर पर तैयार किया गया भोजन. यह भोजन भी प्राकृतिक और/या संश्लेषित खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है. अधिकांश अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड में काफी ज्यादा कैलोरी होती है और पोषक तत्व कम होते हैं.

उदाहरण के लिए फ्रोजन पिज्जा, डोनट्स और चिप्स. इन्हें गेहूं, टमाटर, डेयरी और आलू से तैयार किया जाता है, लेकिन ये प्रोसेस्ड फूड मूल खाद्य पदार्थ से काफी अलग होते हैं. इसके अलावा, प्रोसेस्ड फूड में अक्सर काफी ज्यादा केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है और इससे उनकी लत लग सकती है.

2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने बताया कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड के सेवन से शरीर में पोटेशियम, जिंक, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों और विटामिन की कमी हो सकती है.

ये विटामिन हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में काफी मददगार साबित होते हैं. जैसे, विटामिन ए आंखों के लिए जरूरी है और शरीर को सर्दी से बचाता है. विटामिन सी त्वचा और हड्डियों के लिए जरूरी है. विटामिन डी हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों के लिए महत्वपूर्ण है. विटामिन ई हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखता है. विटामिन बी12 लाल रक्त कोशिकाओं और तंत्रिका तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है.

चाहे पैकेटबंद स्नैक्स हों या घर का बना खाना, अगर उनमें ज्यादा वसा, चीनी और नमक है, तो वे सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं. इससे मोटापा, दिल की बीमारी, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और जल्दी मरने का खतरा भी बढ़ जाता है.

दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी मोटापा या ज्यादा वजन से ग्रस्त है. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोसेस्ड फूड इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं. एस्टबरी ने बताया, "हालांकि मोटापे के कई कारण हो सकते हैं. सिर्फ अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड ही नहीं, बल्कि खाने-पीने की गलत आदतें और खराब जीवनशैली भी मोटापे का कारण बन सकती हैं.”