अंदर बैठक, बाहर विरोध...
जी20 का विरोध कर रहे समूहों ने दावा किया कि वे इस दो दिवसीय सम्मलेन को शांतिपूर्ण ढंग से नहीं होने देंगे. ये समूह जी20 देशों से मध्यपूर्व देशों से हटने और यूरोप आ रहे शरणार्थियों की जिम्मेदारी लेने की मांग कर रहे थे.
बॉन में प्रदर्शन
बॉन में जुटे लगभग 300 से भी अधिक प्रदर्शनकारियों ने जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक की निंदा की. इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये बैठक व्यापक प्रतिनिधित्व नहीं करती.
जी20 के खिलाफ
जी20 वैश्विक जीडीपी का 90 प्रतिशत और दुनिया की 65 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन इसके बावजूद नेटवर्क ऑफ द जर्मन पीस मूवमेंट, वामपंथी दल और बॉन कुर्दिस्तान सॉलिडेरिटी कमेटी जैसे संगठन इसके विरोध में उतरे.
अमेरिका पर नजर
अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर की कॉन्फ्रेंस है इसलिए नेताओं समेत इन प्रदर्शनकारियों की भी नजर अमेरिका के नए विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन पर थी.
जाहिर की नाखुशी
इन लोगों ने अमेरिका राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के फैसलों पर नाखुशी जाहिर की. यहां विदेश मामलों में ट्रंप की समझ के साथ-साथ वैश्विक संस्थाओं की भूमिकाओं पर भी सवाल उठे.
Advocating for political prisoners
राजनीतिक बंदियों की पैरवी
सीरिया पर खासा विरोध
प्रदर्शनकारी सीरियाई गृह युद्ध में जी20 देशों की भूमिका की आलोचना कर रहे है. इनकी मांग हैं जर्मनी जैसे देशों को सेना की मदद करने की बजाय संसाधनों को शरणार्थियों पर खर्च करना चाहिए.
मध्यपूर्व के खराब हालात
प्रदर्शनकारियों ने मध्यपूर्व समेत अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में हो रही आम लोगों की मौतों को प्रतीकात्मक रूप से दिखाने के लिए जमीन पर लेट कर भी प्रदर्शन किया.
मध्यपूर्व से हों बाहर
प्रदर्शनकारियों का मानना है कि जी20 देशों को मध्यपूर्व के संघर्ष से बाहर रहना चाहिए. बॉन यूथ मूवमेंट के निल्स जैनसन ने कहा कि अमेरिका, रूस, जर्मनी और नाटो जैसे देशों की इस लड़ाई में सीरियाई जनता पिस रही है.