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अब असम में पंडित दीनदयाल के नाम पर विवाद

प्रभाकर मणि तिवारी
७ अगस्त २०१७

उत्तर प्रदेश में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने के प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद अब असम में दीनदयाल के नाम पर विवाद शुरू हो गया है.

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Indien Politiker Sarbananda Sonowal
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

राज्य सरकार ने एक दर्जन मॉडल कॉलेज खोल कर उनके नाम दीनदयाल के नाम पर रखने का फैसला किया है. लेकिन इस फैसले पर भारी राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है.  विपक्ष इसके खिलाफ तलवारें भांज रहा है. विपक्ष का सवाल है कि आखिर इन कॉलेजों के नाम राज्य की मशहूर हस्तियों के नाम पर क्यों नहीं रखे जा रहे हैं?

सर्वानंद सोनोवाल की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने राज्य के अलग-अलग इलाकों में पांच पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श महाविद्यालयों की स्थापना की अधिसूचना जारी करते हुए इनमें प्रिंसिपल और दूसरे कमर्चारियों की बहाली शुरू कर दी है. इनमें अगले महीने से पढ़ाई शुरू होगी.  सोनोवाल ने बीते शुक्रवार को गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श महाविद्यालय के नाम से स्थापित पांच कॉलेजों के प्रिंसिपलों और दूसरे शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपे.

इस मौके पर उनका कहना था कि छात्रों को महान हस्तियों के जीवन और कामकाज के बारे में बताया जाना चाहिए ताकि वह उनसे सीख लेकर एक बेहतर नागरिक बन सकें. शिक्षा मंत्री हिमंत विश्वशर्मा बताते हैं, "राज्य में ऐसे 12 मॉडल कॉलेज खोले जाएंगे और इन सबका नाम एक ही होगा. ऐसे हर संस्थान के लिए केंद्र सरकार चार करोड़ की रकम देगी और राज्य सरकार सात करोड़ की." शर्मा ने शिक्षकों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरणा लेकर छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की अपील की है.

राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार की सहायता से राज्य के पिछड़े इलाकों में ऐसे कुल 12 कॉलेज खोले जाएंगे. इनके नाम मशहूर विचारक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखे जाएंगे. फिलहाल जो पांच कॉलेज खोले गए हैं वह दरंग, ग्वालपाड़ा, बंगाईगांव, विश्वनाथ और करीमगंज जिले में हैं. इनमें 11वीं से लेकर ग्रेजुएट स्तर पर विज्ञान और कामर्स विषयों की पढ़ाई होगी.

विपक्ष का विरोध

विपक्ष ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है. अखिल असम छात्र संघ (आसू) के प्रमुख सलाहकार समुज्जवल भट्टाचार्य कहते हैं, "दो-एक कॉलेजों का नाम दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने में हमें कोई आपत्ति नहीं है. हम उनका सम्मान करते हैं." लेकिन तमाम कॉलेजों के नाम उनके नाम पर रखना राज्य की प्रमुख हस्तियों का अपमान है. वह कहते हैं कि साहित्यकार लक्ष्मीकांत बेजबरूआ, पद्मनाथ गोहांई बरूआ, गोपीनाथ बोरदोलोई, भीमबर देउरी, मोइदुल इस्लाम बोरा और कृष्णकांत हैंडिक जैसी हस्तियों के नाम पर भी कुछ कॉलेजों के नाम रखे जा सकते थे. आसू का कहना है कि सरकार को याद रखना चाहिए कि वह पहचान-जमीन और मकान के मुद्दे पर बीते साल सत्ता में आयी थी.

कांग्रेस ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे संघ की संस्कृति जबरन थोपने का प्रयास करार दिया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता देवब्रत सैकिया कहते हैं, "उपाध्याय ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया था और बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक भारत की अवधारणा के खिलाफ थे. ऐसे व्यक्ति के नाम पर कॉलेजों का नामकरण असम की धनी सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत का अपमान है." वह कहते हैं कि असम हमेशा विविधता में एकता की मिसाल रहा है. "यहां विभाजन के एजंडे पर चलने वाले किसी व्यक्ति के नाम से कॉलेज खोलना स्थानीय संस्कृति का अपमान है." सैकिया कहते हैं कि असम में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे महापुरुष हैं जिनके नाम पर शिक्षण संस्थान खोले जा सकते थे. 

बीजेपी की दलील                                                                                

बीजेपी ने सरकार के इस फैसले को सही ठहराते हुए विपक्ष की आलोचनाओं को निराधार ठहराया है. प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता अपराजिता भुंइया कहते हैं, "कांग्रेस ने नेहरू परिवार के अलावा दूसरी महान हस्तियों का हमेशा अपमान किया है. वह बीते 60 वर्षों से तुष्टिकरण की राजनीति की पुरोधा रही है." बीजेपी की दलील है कि राष्ट्र निर्माण में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के योदगान और त्याग की जानकारी नहीं होने की वजह से ही विपक्ष ऐसी बातें कह रहा है. लेकिन स्थानीय हस्तियों के नाम पर कॉलेज खोलने की विपक्ष की मांग पर भुंइया कहते हैं कि अगर ऐसा था तो कांग्रेस ने यहां जालुकबाड़ी चौक का नाम राजीव गांधी चौक क्यों रखा था?

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि असम के विकास के दावे के साथ सत्ता में आयी बीजेपी अब धीरे-धीरे यहां भी भगवा एजेंडा लागू करने का प्रयास कर रही है. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर एक साथ एक दर्जन मॉडल कॉलेज खोलना इसी दिशा में पहला कदम है.