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निजी डाटा के दुरुपयोग पर आएगा सख्त कानून

आमिर अंसारी
५ दिसम्बर २०१९

दुनिया भर में इंटरनेट डाटा को लेकर कड़े कानून है, भारतीय यूजर के लिए भी जल्द सरकार डाटा संरक्षण विधेयक संसद में पेश करने जा रही है.

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Symbolbild Apps Facebook und Google Anwendungen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Stache

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में लगभग हर काम इंटरनेट के जरिये ही होता है. महानगरों में राशन से लेकर खाना, दवा, अस्पताल में समय लेना, रेल-बस टिकट और कपड़े तक ऑनलाइन खरीदे जा रहे हैं. ऐसे में यूजर का डाटा हर वक्त इंटरनेट कंपनियों के पास होता है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने ऐसे बिल को मंजूरी दी है जिसके तहत इंटरनेट कंपनियां अगर यूजर डाटा का गलत इस्तेमाल करती है तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा.

नरेंद्र मोदी सरकार ने निजता की सुरक्षा के लिए डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 को मंजूरी दे दी है. इस बिल को संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि इस विधेयक में आम यूजरों के निजी डाटा की सुरक्षा पर खास जोर दिया गया है. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जिस विधेयक को मंजूरी दी है उसके मुताबिक डाटा को दो भागों में बांटा गया है. संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा और अति महत्वपूर्ण व्यक्तिगत डाटा. संवेदनशील डाटा के तहत पासवर्ड, वित्तीय जानकारी, स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी , बायोमेट्रिक, यौन अभिरूचि, शारीरिक जानकारी, जीन से जुड़ी सूचनाएं, जाति आदि शामिल हैं. जबकि अति महत्वपूर्ण व्यक्तिगत जानकारियों की परिभाषा सरकार समय-समय पर तय करेगी.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यूजरों के निजी डाटा कहीं भी रखे जा सकते हैं जबकि संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा देश में ही रखना होगा. साथ ही कंपनी अगर निजी डाटा बाहर भेजना चाहती है तो यूजर की सहमति जरूरी है. अगर कंपनियां बिना सहमति के ऐसा करती हैं तो उस पर जुर्माने का भी प्रावधान होगा. एक रिपोर्ट के मुताबकि अगर डाटा का गलत इस्तेमाल होता है तो कंपनी पर 15 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान होगा.

सरकार ने विधेयक में कई प्रावधान बनाए हैं और कहा गया है कि बिना इजाजत किसी भी तरह का डाटा लेना या उसे साझा करना कानूनी तौर पर अपराध होगा. साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है, "हमें इस बारे में थोड़ा इंतजार करना होगा क्योंकि बिल अभी संसद में पेश नही हुआ है. हालांकि अगर डाटा भारत के बाहर नहीं जाएगा तो यह देश के लिए ही लाभदायक है क्योंकि ऐसा लगता है कि सरकार का उद्देश्य अच्छा है और भारत अपने डाटा का इस्तेमाल सकारात्मक रूप से करना चाहता है. इसको लागू करने की प्रणाली क्या होगी यह अब तक साफ नहीं है. "

नए प्रावधान का असर गूगल, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी कंपनियों पर पड़ेगा जिनका सर्वर विदेशों में हैं, अधिकतर कंपनियां भारत से जुड़े डाटा विदेश में ही रखती हैं. एक और बदलाव के तहत सरकार यह अनिवार्य करती है कि कंपनियां गैर व्यक्तिगत डाटा उसके साथ साझा करे. उदाहरण के तौर पर सेवाओं में सुधार, नीति निर्धारण या राहत पहुंचाने जैसे कामों के लिए सरकार डाटा साझा करने का आदेश कंपनी को दे सकती है. 

Deutschland Anonym surfen | Tor-Browser
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Warnecke

सोशल मीडिया यूजर के लिए क्या होगा

इस विधेयक के दायरे में सोशल मीडिया कंपनियां जैसे फेसबुक, ट्विटर भी आएंगी. इन कंपनियों को अपने यूजर की पहचान का तरीका मुहैया कराना होगा. प्रावधान के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफार्म पर यूजर को खुद को सत्यापति या वेरिफाइड करने का विकल्प देना होगा. हालांकि यह फैसला यूजर का निजी होगा कि वह वेरिफाइड होना चाहता है या नहीं. इस प्रावधान एक फायदा यह हो सकता है कि गुमनाम ट्रोल और वेरिफाइड यूजर को आसानी से पहचाना जा सकेगा.

पवन दुग्गल कहते हैं, "सवाल यह है कि एक आम यूजर के पास क्या-क्या नियंत्रण होगा इस बात पर जोर देने के लिए कि उसका डाटा भारत के बाहर नहीं जाना चाहिए." दुग्गल विधेयक के प्रावधानों को सैद्धांतिक रुप से सकारात्मक मानते हैं, लेकिन साथ ही कहते हैं कि वास्तविक तौर पर इसे किस तरह अमल किया जाएगा इस पर स्पष्टता अभी बाकी है.

भारत में मोजिला के पब्लिक पॉलिसी एडवाइजर उद्भव तिवारी कहते हैं, "कई देशों में डाटा प्रोटेक्टशन कानून मौजूद है लेकिन भारत में नहीं है, लेकिन एक बार संसद से विधेयक के पास होने जाने के बाद कंपनियों को भारतीय कानून के मुताबिक ही अनुपालन करना पड़ेगा. "

उद्भव तिवारी कहते हैं कानून बन जाने के बाद सबसे बड़ा लाभ एक आम यूजर को होगा. उन्होंने बताया अगर यूजर को लगता है कि उसके डाटा का दुरुपयोग हो रहा है तो वह नियामक एजेंसी के पास जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. 

सरकार ने पिछले साल डाटा संरक्षण के लिए जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी ने पिछले साल अपनी सिफारिशों के साथ डाटा संरक्षण कानून का मसौदा भी सरकार को सौंपा था.

गौरतलब है कि यूरोपीय संघ ने पिछले साल ही जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (जीडीपीआर) लागू किया था, इसके तहत यूजर को यह अधिकार मिलता है कि वो कंपनी को अपने ऑनलाइन डाटा को पूरी तरह से डिलीट करने को कह सकता है. साथ ही यूजर अपने ऑनलाइन डाटा को भी डाउनलोड कर यह जान सकता है कि कंपनी के पास उसकी कौन-कौन सी जानकारी है.

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