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भारत: स्कूलों में बच्चों की खुदकुशी रोकने के लिए दिशानिर्देश

आमिर अंसारी
४ अक्टूबर २०२३

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में छात्रों की खुदकुशी को रोकने के लिए "एवरी चाइल्ड मैटर्स" मकसद के तहत मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं.

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भारतीय स्कूल
भारतीय स्कूलतस्वीर: Satyajit Shaw/DW

शिक्षा मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कई कदम उठाने के बारे में कहा गया है. दिशानिर्देशों (ड्राफ्ट गाइडलाइंस) में कहा गया है कि छात्रों के बीच तुलना बंद होनी चाहिए. इसमें कहा गया है कि स्कूलों की जिम्मेदारी है कि बच्चों के बीच हीनभावना न पनपने दे.

दिशानिर्देशों में स्कूल वेलनेस टीम, खुदकुशी रोकने के लिए एक एक्शन प्लान और प्रभावित छात्रों के शुरुआती चेतावनी संकेतों का पता लगाने के लिए स्कूलों को कदम उठाने के लिए कहा गया है.

"स्कूल में वेलनेस टीम का गठन हो"

ये व्यापक दिशानिर्देश एक अहम समय पर आए हैं, जब 2023 में छात्रों की खुदकुशी के मामले रिकॉर्ड संख्या पर पहुंच गए. खासकर कोटा में इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों में खुदकुशी के मामले बढ़े हैं.

कोटा में जनवरी से लेकर अब तक इसी साल 27 छात्र खुदकुशी कर चुके हैं. अगस्त और सितंबर के महीने में कोटा में इंजीनियरिंगग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे नौ छात्रों ने अपनी जान दे दी.

मंत्रालय द्वारा मंगलवार को "उम्मीद" (समझें, प्रेरित करें, प्रबंधित करें, सहानुभूति रखें, सशक्त बनाएं, विकसित करें) दिशानिर्देशों का मसौदा जारी किया गया.

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि स्कूल वेलनेस टीम (एसडब्ल्यूटी) का गठन स्कूल प्रिंसिपल के नेतृत्व में किया जाना चाहिए. अगर कोई मुश्किल की स्थिति होती है तो यह टीम तुरंत प्रभाव से जरूरी कार्रवाई करे. ड्राफ्ट मसौदे में कहा गया है कि स्कूल और अभिभावक के बीच बेहतर तालमेल होना चाहिए.

दिशानिर्देश में कहा गया है कि ऐसे छात्रों की पहचान के लिए गंभीर उपाय किए जाएं, जो खुद को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

तनाव को दूर करेगी हरियाली

स्कूल के लिए अहम सिफारिशें

दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जो छात्र चेतावनी के संकेत प्रदर्शित करते हैं, उनकी तुरंत मदद की जानी चाहिए. दिशानिर्देशों में जोखिम पर तत्काल प्रतिक्रिया को दो स्तरों में वर्गीकृत किया जा सकता है.

पहला उन छात्रों से संबंधित है जो चेतावनी के संकेत प्रदर्शित कर रहे हैं, दूसरा उन छात्रों को संबोधित करता है जो सक्रिय रूप से खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए कदम उठा रहे हैं या संकट के लक्षण प्रदर्शित कर रहे हैं.

साथ ही दिशानिर्देशों में कहा गया है कि खाली कमरों पर ताला लगाएं, अंधेरे गलियारों में रोशनी का इंतजाम हो और अतिरिक्त घास वाले क्षेत्रों को साफ किया जाए ताकि पूरे स्कूल का वातावरण बेहतर बनाया जा सके.

यह मानते हुए कि छात्रों को अपने स्कूली जीवन के दौरान विभिन्न बदलावों का सामना करना पड़ता है जो अत्यधिक तनाव का कारण बन सकता है, ड्राफ्ट दिशानिर्देशों में शिक्षकों, स्कूल कर्मचारियों, छात्रों और परिवारों समेत सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण का आह्वान किया गया है.

दिशानिर्देशों में साथियों के बीच समर्थन को बढ़ावा देना, तनाव-राहत गतिविधियों का आयोजन करना और स्कूल के कामकाज में मानसिक कल्याण को एकीकृत करने की भी सिफारिश की गई है.