1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिश्रीलंका

भारत अब श्रीलंका को नहीं देगा मदद: रिपोर्ट

१५ सितम्बर २०२२

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत श्रीलंका को अब और वित्तीय सहायता नहीं देगा. भारत श्रीलंका को इस साल करीब चार अरब डॉलर की मदद दे चुका है और इस साल मदद करने वाले देशों में सबसे आगे रहा है.

https://p.dw.com/p/4GtrJ
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघेतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

रॉयटर्स समाचार एजेंसी के दो सूत्रों ने उसे बताया है कि भारत अब श्रीलंका की और वित्तीय मदद नहीं करेगा. दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत से वाकिफ भारत सरकार में के सूत्र ने एजेंसी को बताया, "हमने पहले ही 3.8 अरब डॉलर की सहायता कर दी है. अब सब कुछ आईएमएफ देखेगा. देश निरंतर सहायता नहीं करते रह सकते हैं."

श्रीलंका सरकार में एक सूत्र ने बताया कि भारत का फैसला चौंकाने वाला नहीं है क्योंकि भारत ने इस विशय में "संकेत" कुछ महीने पहले ही दे दिए थे. हालांकि इस सूत्र ने बताया कि इसके बावजूद भारत को उस डोनर सम्मलेन के लिए न्योता भेजा जो श्रीलंका जापान, चीन और संभवतः दक्षिण कोरिया के साथ आयोजित करने की योजना बना रहा है.

श्रीलंका का आर्थिक संकट
कोलंबो की सड़कों पर प्रदर्शनतस्वीर: Eranga Jayawardena/AP Photo/picture alliance

श्रीलंका सरकार में एक और सूत्र ने बताया कि भारत और श्रीलंका के बीच एक अरब डॉलर की अदला बदली के समझौते और ईंधन खरीदने के लिए 50 करोड़ की एक और ऋण रेखा के अनुरोध पर मई से कोई खास प्रगति नहीं हुई है.

सूत्रों ने नाम बताने से मना कर दिया क्योंकि वो मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं थे. भारत और श्रीलंका के वित्त मंत्रालयों और श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत कोई जवाब नहीं दिया.

भारत ने इस साल श्रीलंका को सबसे ज्यादा वित्तीय मदद दी है. श्रीलंका 70 सालों से भी ज्यादा में सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, हालांकि अब स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितनी मई और जुलाई के बीच थी.

दिवालिएपन के कगार पर श्रीलंका

सितंबर की शुरुआत में श्रीलंका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच करीब 2.9 अरब डॉलर के कर्ज के लिए प्रारंभिक समझौता हुआ था, लेकिन इसे पाने के लिए श्रीलंका को आधिकारिक ऋणदाताओं से वित्त पोषण के वादे हासिल करने होंगे और निजी ऋणदाताओं से भी बातचीत करनी होगी.

श्रीलंकाई सूत्रों में से एक ने कहा, "हम आईएमएफ के कार्यक्रम को आगे ले जाने और अपने दम पर इस अव्यवस्था से निकलने पर ध्यान दे रहे हैं." दूसरे सूत्र ने बताया कि सरकार ने अपने सीमित विदेशी मुद्रा के भंडार का इस्तेमाल आयातित ईंधन के भुगतान के लिए किया है और बहुपक्षीय संस्थाओं से मिली मदद का इस्तेमाल खाद, रसोई गैस और दवाओं जैसे अन्य अति-आवश्यक सामान का आयात करने में किया है.

2.2 करोड़ आबादी वाला यह देश महीनों से आवश्यक सामान की कमी से जूझ रहा है, जिनमें ईंधन, खाना और दवाएं शामिल हैं. उसका विदेशी मुद्रा भंडार गिर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था, जिससे आयात रुक गया था और अभूतपूर्व स्तर पर जनता का गुस्सा सड़कों पर आ गया था.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी