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भारत दस साल में टीबी और कुष्ठ रोग खत्म करेगा

१ फ़रवरी २०१७

भारत सरकार ने दस साल के भीतर टीबी और कुष्ठ रोग को खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. लाखों भारतीयों को प्रभावित करने वाली इन बीमारियों से निपटने के लिए बजट में खास प्रावधान किया गया है.

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Pakistan Peshawar Röntgenbild mit Tuberkulose Verdacht
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Arbab

केंद्र सरकार ने अपने बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च में 23 प्रतिशत की वृद्धि का ऐलान किया है. इसके तहत टीबी, कुष्ठ रोग और काला अजार जैसी बीमारियों से निपटना भी शामिल है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि गरीब ग्रामीण इलाकों में खास तौर से ध्यान दिया जाएगा जहां लोगों के पास स्वास्थ्य सेवाएं ज्यादा नहीं पहुंची हैं और वहां इन बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा है.

उन्होंने कहा, "गरीबी के साथ आम तौर पर खराब स्वास्थ्य भी जुड़ा है. गरीब लोग ही बार बार होने वाली इन बीमरियों का शिकार बनते हैं." उन्होंने कहा कि मच्छर के काटने से होने वाली काला अजार और फिलारियासिस जैसी बीमारियों को 2017 के खत्म होने तक मिटाने का लक्ष्य तय किया गया है जबकि कुष्ठ रोग को सरकार अगले साल तक उखाड़ फेंकना चाहती है.

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वहीं टीबी को 2025 तक और खसरे को 2020 तक खत्म करने का लक्ष्य तय किया गया है. इन दोनों ही बीमारियों से हर साल लाखों भारतीय मरते हैं. जेटली ने प्रसव के समय मां और शिशुओं की मृत्युदर को घटाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जो शहरों के मुकाबले गांवों में लगभग दोगुनी है.

इसके अलावा देश में फैले डेढ़ लाख स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर बनाया जाएगा जहां अभी कर्मचारियों की बहुत कमी है. दुनिया का हर सातवां आदमी भारत में रहता है जबकि स्वास्थ्य देखभाल पर देश की जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत ही खर्च किया जाता है, जो वैश्विक औसत से बहुत कम है.

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यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने इन बीमारियों से लड़ने और बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की बात कही है. भारत ने 2014 में अपने यहां से पोलियो को खत्म कर दिया. लेकिन लाखों लोग अब भी संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं. साफ सफाई और इलाज की उचित व्यवस्था न होने के कारण समस्या और गंभीर बन रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि भारत में 2015 में टीबी के 25 लाख मामले सामने आए. इस बीमारी से हर साल दो लाख लोग मारे जाते हैं. भारत में 2015 में दो लाख मामले कुष्ठ रोग के भी सामने आए, हालांकि इसे जड़ से खत्म करने के लिए भारत में 1955 से कार्यक्रम चल रहा है. इसके अलावा काला अजार और फिलारियासिस से भी भारत में हर साल बीस हजार लोग मरते हैं.

एके/वीके (एएफपी)