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समाज

कोरोनाः वेश्यालयों की हालत कैसी है?

आमिर अंसारी
९ अप्रैल २०२०

यौनकर्मियों पर पहले से ही संक्रमण का खतरा रहता है. तंग कमरे, तरह-तरह के ग्राहक और साफ-सफाई की कमी. ऐसे में इन लोगों के लिए कोरोना वायरस एक नया संकट बनकर सामने आया है. वेश्यालय बंद होने से आय का जरिया भी बंद है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल्ली का जीबी रोड हो या कोलकाता का सोनागाछी या फिर मुंबई का कमाठीपुरा, ये तीन ऐसे इलाके हैं जो यौनकर्मियों के लिए बड़े बाजार हैं. इन तीनों बाजारों में कुछ चीजें समान हैं. जैसे स्वच्छता की कमी, निजी साफ सफाई की कमी और तंग कमरे. ऐसे में कोरोना वायरस का संकट यहां रहने वाली यौनकर्मियों और इनके परिवार पर भी उतना ही मंडरा रहा है जितना किसी भी आम इंसान पर. तीनों बाजारों में रोजाना हजारों ग्राहक आते हैं. इन बाजारों में आम दिनों में ही यौनकर्मी बेहद बदतर जिंदगी बिताती हैं और अब कोरोना वायरस के चलते तालाबंदी नई-नई मुसीबतें लेकर आई हैं. सोशल डिस्टैंसिंग तो दूर यौनकर्मियों के लिए भोजन का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है.

23 साल की नेहा (बदला हुआ नाम) दिल्ली के जीबी रोड में बतौर यौनकर्मी काम करती है. वह वहां रहती नहीं है लेकिन वह अपने ग्राहकों के लिए वहां जाती है. कुछ साल पहले नेहा के पिता की मौत हो गई और वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गई. नेहा का परिवार हरियाणा में रहता है. नेहा जो कमाती है वह अपने घर भेजती है. नेहा के पैसे से ही घर का खर्च चलता है, मां की दवा, छोटे भाई और बहन की पढ़ाई का खर्च सब नेहा ही उठाती है. लेकिन इस महीने नेहा अपने घर पर पैसे नहीं भेज पाई और ना ही वह मकान मालिक को किराया चुका पाई. डीडब्ल्यू से फोन पर बात करते हुए नेहा बताती है, "अगर हालात इसी तरह से रहे तो खुदकुशी के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचेगा."

नेहा का परिवार नहीं जानता है कि वह किस तरह से कमाई करती है और यह बात उसके मकान मालिक को भी नहीं पता है. परिवार और मकान मालिक को बस इतना पता है कि वह एक छोटी सी कंपनी में सेल्सगर्ल का काम करती है. मकान मालिक ने इस महीने का किराया माफ कर दिया है. लेकिन अगले महीने नेहा को ब्याज के साथ किराया चुकाना होगा. नेहा कहती है, "लेकिन मैं यह कैसे कर पाऊंगी. मुझे जरा भी इस बात का अंदाजा नहीं है."

नेहा की कहानी लाखों यौनकर्मियों से मिलती जुलती है. सूत्रों का कहना है जीबी रोड में ही करीब 5,000 सेक्स वर्कर काम करती हैं और कई यौनकर्मी शहर के अलग अलग इलाकों में किराए के मकान में रहती हैं.

जीबी रोड के वेश्यालयों में करीब 1,500 यौनकर्मी रहती हैं और वहां हालात अच्छे नहीं है. लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद है. ग्राहकों के नहीं आने से आय का जरिया बंद हो गया और कई दिनों तक खाने का भी संकट पैदा हो गया था. कुछ एनजीओ और सरकार की तरफ से जीबी रोड की यौनकर्मियों की मदद के लिए इंतजाम किए गए हैं. गैर-लाभकारी संगठन कट-कथा भी ऐसी यौनकर्मियों के लिए मदद कर रहा है. एनजीओ के लिए काम करने वाले अनुराग गर्ग कहते हैं, "हम समाज के स्तर पर इन यौनकर्मियों के लिए धनराशि इकट्ठा कर रहे हैं. कई लोग अपने-अपने स्तर पर योगदान भी कर रहे हैं. लोगों की मदद से हमने करीब 800 यौनकर्मियों की सहायता की है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.”

‘ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स‘  के अमित कुमार कहते हैं दिल्ली के जीबी रोड की 30 फीसदी यौनकर्मी अपने गांव या शहर लौट गईं है. उनके मुताबिक जो अभी दिल्ली में हैं उनकी जिंदगी बहुत मुश्किलों से चल रही हैं.

अमित कुमार कहते हैं, "कई महिलाओं के पास खाने तक के लिए कुछ नहीं है." दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने यौनकर्मियों की स्थिति को लेकर दिल्ली पुलिस से उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था के बारे में जानकारी मांगी है.

दूसरी ओर कोलकाता में यौनकर्मियों के संगठन दुरबार महिला समन्व्य समिति (डीएमएसएस) की निदेशक महाश्वेता मुखर्जी कहती हैं, "यौनकर्मी लॉकडाउन खत्म होते ही अपना काम नहीं शुरू कर सकती हैं. उन्हें कम से कम एक महीना इंतजार करना होगा. महामारी जब पूरी तरह से खत्म हो जाएगी तभी वह अपने काम पर लौट पाएंगी."

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