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समाज

जवानों के सामने दोहरी चुनौती

आमिर अंसारी
१२ जनवरी २०२१

पिछले दिनों एक थिंक टैंक ने शोध में दावा किया था कि फौज में आधे से ज्यादा जवान तनाव की चपेट में हैं. सेना का कहना है कि शोध के लिए सैंपल साइज बहुत छोटा है और असली तस्वीर के लिए इस साइज को बढ़ाने की जरूरत है.

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तस्वीर: Musaib Mushtaq/Pacific Press/picture alliance

रक्षा मंत्रालय के थिंक टैंक द युनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (यूएसआई) ने पिछले दिनों एक शोध में कई अहम जानकारी दी थी. उसके शोध में दावा किया गया था कि 13 लाख जवानों वाली भारतीय फौज में आधे से अधिक गंभीर तनाव के शिकार हैं. अध्ययन में कहा गया था कि भारतीय सेना हर साल दुश्मन या आतंकवादी हमलों की तुलना में आत्महत्या, भयावह घटनाओं और अप्रिय घटनाओं के कारण अधिक जवानों को खो रही है. शोध में दावा किया गया था कि दो दशक में भारतीय सेना में तनाव का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ा है. रिपोर्टों के मुताबिक साल 2010 से अब तक सेना के अलग-अलग पदों पर तैनात 1100 कर्मियों ने खुदकुशी की है. हालांकि शोध के सामने आने के बाद ही मीडिया में सूत्रों के हवाले से आई खबरों में कहा गया था कि केवल 400 जवानों के छोटे नमूने के कारण सेना ने अध्ययन को नहीं माना है, हालांकि उसने माना कि तनाव एक मुद्दा है.

बताया जाता है कि अध्ययन एक सेवारत कर्नल द्वारा किया गया था और पिछले महीने यूएसआई की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था, हालांकि इसे बीते दिनों वेबसाइट से हटा दिया गया था. यूएसआई ने एक साल के शोध के बाद यह रिपोर्ट जारी की थी.

मंगलवार 12 जनवरी को सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने अपने वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पिछले साल के बारे में बात की साथ ही जवानों में तनाव के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि पिछला साल चुनौतियों से भरा था. एक तरफ कोरोना महामारी से निपटना बड़ी चुनौती था तो दूसरी तरफ देश के उत्तरी सीमाओं पर उत्पन्न हुई स्थिति.

इस शोध पर सेना प्रमुख ने कहा है कि जवानों में तनाव को लेकर यूएसआई की रिपोर्ट में सैंपल साइज काफी कम था. उन्होंने कहा, "99 प्रतिशत सटीकता के लिए कम से कम 19,000 सैंपल साइज होना चाहिए. हम जवानों में तनाव कम करने के लिए लगातार उपाय अपना रहे हैं. पिछले साल की तुलना में जवानों की आत्महत्या करने के मामलों में कमी आई है."

यूएसआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि बिना काम का तनाव भी बहुत ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया था कि तनाव का असर सैनिकों के स्वास्थ्य के अलावा युद्ध क्षमता पर भी पड़ रहा है.

चीन के साथ तनाव कायम

इस बीच चीन के साथ तनाव के मुद्दे पर भी सेना प्रमुख ने बताया, "हम चीन के साथ सीमा पर शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद कर रहे हैं, पर हम हर तरह की स्थिति से निपटने को तैयार हैं."

भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर अब तक आठ दौर की बातचीत हो चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत के लिए एक शक्तिशाली खतरा पैदा करते हैं और टकराव की आशंका को दूर नहीं किया जा सकता है.

कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा था कि पूर्वी लद्दाख में चीन ने अपने 10 हजार जवानों को पीछे हटा लिया है, हालांकि इस पर सेना प्रमुख ने कहा कि हर साल चीन के सैनिक ट्रेनिंग के लिए आगे आते हैं और फिर बाद में वो चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि विवाद वाली जगह से कोई भी पीछे नहीं हटा है और पूर्वी लद्दाख के हालात में कोई बदलाव नही आया है.

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