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सबकी चिंता: क्या दुनिया शीत युद्ध के कगार पर है?

विवेक कुमार
२८ अक्टूबर २०१६

रूस और नाटो के बीच तनाव अपने चरम पर है. दोनों तरफ की तैयारियां देखकर लग रहा है कि दुनिया शीत युद्ध के कगार पर है.

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Moskau zieht Anfrage zur Betankung von Kriegsschiffen in Ceuta zurück
तस्वीर: Reuters/Norwegian Royal Airforce

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को कहना पड़ा है कि रूस किसी नाटो देश पर हमले की तैयारी नहीं कर रहा है. सोची में एक सम्मेलन में उन्होंने कहा, "रूस किसी देश पर हमले की योजना नहीं बना रहा है. यह सोचना भी हास्यास्पद है. मैंने रूस, अमेरिका और यहां तक कि यूरोपीय विश्लेषकों के विचार पढ़े हैं. लेकिन ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता. ऐसा सोचना मूर्खतापूर्ण और सच्चाई से परे की बात है."

रूसी राष्ट्रपति का इतना कहना भर इस बात का स्पष्ट संकेत है कि रूस और पश्चिम के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. बल्कि हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है उसके बाद तो यूरोप और अमेरिका में इस बात का डर बढ़ा है कि दुनिया एक बार फिर शीत युद्ध के कगार पर है. पहले रूस की यूक्रेन और जॉर्जिया में आक्रामक दखलअंदाजी और फिर सीरिया में राष्ट्रपति असद के साथ मिलकर अलेपो में विद्रोहियों पर हमलों ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को इतना बढ़ा दिया है कि शीत युद्ध का डर पैदा हो गया है. और अब स्थिति यह है कि रूस की छोटी सी हरकत से भी पारा कई डिग्री बढ़ जाता है.

देखिए, रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया

मसलन रूस के युद्धक पोत एडमिरल कुजनेत्सोव के जब सीरिया जाते समय उत्तरी अफ्रीका में ईंधन भरवाने की खबरें आईं तो नाटो देशों ने फौरन आपत्ति जताई. इसके बाद एडमिरल कुजनेत्सोव का स्पेन में एक बार रुकने का कार्यक्रम भी रद्द कर दिया गया. नाटो देशों का कहना था कि इस जहाज का इस्तेमाल सीरियाई शहर अलेपो में मासूम नागरिकों पर हमले के लिए किया जा सकता है. ब्रिटिश अखबारों ने इस बारे में रूस पर तीखी टिप्पणियां की थीं. इससे पहले भी नाटो देश रूस पर आरोप लगाते रहे हैं कि अलेपो में रासायनिक हथियारों से हमले किए जा रहे हैं. रूस इन आरोपों को खारिज करता रहा है लेकिन इससे दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ा है. और यहां तक बढ़ा है कि नाटो ने रूस के साथ लगती सीमा पर फौजों की तैनाती बढ़ाने जैसे फैसले किए हैं. उधर ब्रिटेन ने ऐलान किया है कि वह एस्टोनिया में और ज्यादा फौजी भेजेगा. पहले 500 सैनिक भेजे जाने की बात थी लेकिन अब ब्रिटेन ने कहा है कि टैंक और अन्य बख्तरबंद गाड़ियों के साथ कुल मिलाकर 800 सैनिक एस्टोनिया में नाटो मिशन के तहत तैनात किए जाएंगे. शीत युद्ध खत्म होने के बाद से रूसी सीमा के आसपास यह नाटो की सबसे बड़ी तैनाती होगी. जर्मनी भी अपने 600 सैनिक और लेपर्ड टैंक लिथुआनिया भेजने की तैयारी कर रहा है.

जाहिर इस तरह के कदमों को आक्रामक नेता व्लादीमीर पुतिन चुपचाप नहीं देख सकते. उन्होंने सोची में कहा, "अब तक हम खुद पर नियंत्रण बनाए रखे हुए हैं. और हम अपने सहयोगियों के साथ रूखा व्यवहार नहीं कर रहे हैं. लेकिन हर चीज की एक हद होती है. हम जवाब भी दे सकते हैं."

देखिए, शीत युद्ध ने दुनिया को क्या दिया

शीत युद्ध के बाद रूस और नाटो के बीच तनाव अब तक का सबसे ज्यादा है. और तो और, रूस तो अपने यहां अभ्यास कर रहा है कि परमाणु हमला हो जाए तो क्या किया जाएगा. मॉस्को में इसी हफ्ते यह अभ्यास किया गया जिसके बाद अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि क्रेमलिन के मिनिस्ट्री ऑफ इमरजेंसी सिचुएशंस में तो शीत युद्ध आ चुका है. कुछ समय पहले एक रूसी अखबार ने खबर छापी थी कि रूस ने अपने सरकारी अधिकारियों से कहा है कि वे ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका में पढ़ रहे अपने बच्चों को वापस बुला लें. इस तरह की घटनाओं ने इस डर को बढ़ाया है कि दोनों पक्ष एक शीत युद्ध की तैयारी कर रहे हैं.

ऑस्ट्रेलिया की वेबसाइट न्यूज डॉट कॉम से बातचीत में कैनबरा की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्रेग ऑस्टिन ने कहा कि मध्य पूर्व, कोरियाई प्रायद्वीप और यूक्रेन में बढ़ते तनाव को देखते हुए तो दूसरे शीत युद्ध की चिंता जायज है. ब्रिटेन के अखबार इंडिपेंडेंट की वेबसाइट पर छपे एक लेख में अखबार के डिप्टी मैनेजिंग एडिटर शॉन ओ गार्डी लिखते हैं कि दुनिया एक खतरनाक और विनाशक शीत युद्ध के कगार पर है. वह लिखते हैं, "सवाल ये है कि अभी जो छोटे छोटे युद्ध हो रहे हैं वे कम से कम अमेरिका, चीन और रूस के बीच एक बड़े विवाद को तो पैदा नहीं कर देंगे."