देखिए, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्या हुआ
देखिए, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में क्या हुआ
10 बरस पूरे
जयपुर साहित्य सम्मलेन ने अपने 10 बरस पूरे कर लिए हैं. 10 साल में 13 लाख से ज्यादा पुस्तक प्रेमियों और 1300 से ज्यादा लेखकों ने इस में शिरकत कर इसे विश्व का सबसे बड़ा निशुल्क साहित्य सम्मलेन होने का दर्जा दिला दिया है.
गुलजार हुई फिजा
गुलजार साहब की आमद तो जैसे जयपुर में वसंत का ऐलान कर देती है. उनके हाथों में जैसे जैसे झुर्रियों की संख्या बढ़ रही है, वैसे वैसे उनके लफ्जों में पैनापन और गहरापन भी नये नये रूप ले रहा है. इस बार वे पुस्तक प्रेमियों के बीच अपनी नयी किताब "सस्पेक्टेड पोयम्स" ले कर पहुंचे. ऐसी छोटी- छोटी कविताएं जिनमें बड़े-बड़े मतलब व्यंग्य के रूप में छिपे हुए हैं.
जावेद का जादू
हमेशा जयपुर साहित्य सम्मलेन में अपनी हाजरी लगाने वाले प्रख्यात लेखक और शायर जावेद अख्तर ने इस बार फिल्मों में परंपरावादी नायिका से ले कर एंग्री यंग मैन तक के सफर को अपने परिचित अंदाज में बखान किया. उनका कहना था कि फिल्में जहां समाज का आईना होती हैं तो कई बार उसे आईना भी दिखा देती हैं. सामाजिक अलगाववाद और आर्थिक विभाजन ही सामाजिक बुराइयों का प्रमुख कारण है जिन से रेप जैसी घटनाएं जन्म लेती हैं.
प्रसून का बाल मन
'फ्रीडम टू ड्रीम' सेशन में मशहूर लेखक प्रसून जोशी ने बच्चों के सपनों को उड़ान और सम्मान देने का अभिभावकों से विशेषकर पिताओं से अनुरोध किया. उनका कहना था कि हम सोचते हैं कि हमारे बच्चे कन्फ्यूज्ड हैं जबकि हकीकत में वे कुछ सोच रहे हैं जिसमें हमें उनकी मदद करनी चाहिए.
युवा जोश
प्रणय लाल सरीखे युवा लेखक इस बार अपनी किताब 'इंडिका' ले कर सम्मलेन में उपस्थित हुए. लाखों साल पहले भारत वहां था जहां आज दक्षिण अफ्रीका है. भारत में दुनिया के सबसे बड़े डायनासोर मौजूद थे और विभिन्न जीवों की उत्पत्ति यहां हुई थी. ऐसी सैकड़ों खोजें प्रणय की पुस्तक में बतायी गई हैं. पुस्तक का लक्ष्य है भूगोल और इतिहास को आसानी से जानना और समझाना.
ब्रिटिश हुकुमत पर निशाना
इस बार साहित्य सम्मलेन में ब्रिटिश हुकूमत निशाने पर रही. भारतीय और ब्रिटिश लेखकों ने अंग्रेजी हुकुमत को भयानक दानव और लुटेरा तक कह डाला. शशि थरूर इसमें सबसे आगे रहे जिन्होंने अंग्रेजों पर भारत की मिलों और बैंकिंग सिस्टम को बर्बाद करने का आरोप लगाया.
खुल्लम-खुल्ला
फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर अपनी पत्नी नीतू सिंह के साथ पहली बार सम्मलेन में बतौर लेखक शामिल हुए. ऋषि कपूर की किताब 'खुल्लम-खुल्ला' इस बार बाजार में आई है. इसके बारे में ऋषि कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन की प्रमुख घटनाओं को ईमानदारी से बताया है. उधर नीतू का कहना था कि कपूर और खाने का रिश्ता बेमिसाल है जिसे वह आज तक नहीं बदल पाईं.
तस्वीरों में कल्पनाएं
योगी सदगुरु भी इस बार सम्मलेन में शामिल हुए. अपनी नयी पुस्तक 'इनर इंजीनियरिंग - ए योगीज गाइड टू जॉय' पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि वह शब्दों में नहीं तस्वीरों में सोचते हैं. उन्होंने कहा कि योग एक तरह का झूला है जो इंसान को आनंद की अनुभूति देता है.
और फिर संगीत
साहित्य सम्मलेन में जहां दिन भर पुस्तकों पर चर्चा होती तो वही सांझ ढलते ही सुमधुर संगीत थके दिमागों को सकून दे डालता. देश और दुनिया के प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से सरहदों की दूरियों को संगीत की डोर से बाध डाला. मलावी की इन्ना मोड्जा की दिलकश आवाज ने तो पुस्तक प्रेमियों को दीवाना कर दिया.
किताबें करती हैं बातें
ट्विटर के 140 शब्दों और वॉट्सऐप के मोह जाल में फसीं युवा पीढ़ी को किताबों से उलझते देखना वाकई सुकून देता है.