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कश्मीर में बनाई गई नई जांच एजेंसी

चारु कार्तिकेय
२ नवम्बर २०२१

जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एसआईए) नामक एक नई जांच संस्था के गठन की अनुमति दे दी है. सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा ऐसे समय में क्यों किया गया जब प्रदेश में चुनी हुई सरकार नहीं है और विधान सभा भंग है.

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Indien Kaschmir Srinagar Sicherheitskräfte
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance

प्रशासन की अधिसूचना के मुताबिक एसआईए का काम जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े सभी मामलों की जांच के लिए एनआईए और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिल कर काम करना होगा. राज्य पुलिस की सीआईडी शाखा के प्रमुख इसके निदेशक होंगे और बाकी अधिकारियों को समय समय पर दूसरे विभागों से प्रतिनियुक्त किया जाएगा.

प्रदेश के सभी पुलिस स्टेशनों को कहा गया है कि आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले को दर्ज करते ही उन्हें एसआईए को इसके बारे में बताना होगा. किसी साधारण मामले की जांच के दौरान भी अगर आतंकवाद से कोई संबंध निकलता है तो उसके बारे में भी एसआईए को बताना होगा.

शाह के दौरे का नतीजा?

नई एजेंसी के लिए कोई नया कानून नहीं लाया गया है, लेकिन यह कई मौजूदा कानूनों के प्रावधानों के तहत काम करेगी. इनमें आईपीसी की कई धाराएं, यूएपीए, विस्फोटक पदार्थ कानून आदि भी शामिल हैं. कश्मीर में पहले से ही सीआईडी, सीआईके, क्राइम ब्रांच, एसओजी जैसी प्रदेश स्तर की जांच एजेंसियां सक्रिय हैं.

Indien Kaschmir Srinagar Sicherheitskräfte
श्रीनगर में बाजार में लोगों के सामान टटोलता एक सुरक्षाकर्मीतस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance

इनके अलावा एनआईए और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां भी आतंकवाद और आतंकवाद से जुड़े धन शोधन के मामलों की जांच करती रही हैं. बताया जा रहा है कि नई एजेंसी का गठन उन मामलों की जांच करने के लिए किया गया है जिन्हें एनआईए को नहीं सौंपा जाएगा.

नई एजेंसी के गठन की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कश्मीर दौरे के तुरंत बाद की गई है. कश्मीर इस समय आतंकवादी गतिविधियों की एक नई लहर का सामना कर रहा है. अनुमान है कि अकेले अक्टूबर के महीने में ही अलग अलग घटनाओं में कम से कम 44 लोग मारे गए. इनमें आतंकवादियों के अलावा, सुरक्षाकर्मी और आम लोग भी शामिल हैं.

मानवाधिकारों की चिंता

जानकारों का कहना है कि नई एजेंसी की स्थापना को इन हालात से जोड़ कर देखा जा सकता है. श्रीनगर में रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार रियाज वानी कहते हैं कि ताजा आतंकी घटनाओं में इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों और आम लोगों का मारा जाना प्रशासन के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गया है.

उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि प्रशासन अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हथिया लेने के कश्मीर पर संभावित असर को लेकर भी चिंतित है और यह नया कदम इस चिंता से भी प्रेरित हो सकता है. कश्मीर में मानवाधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से आतंकवाद विरोधी कानूनों की आड़ में जबरन तलाशी, गिरफ्तारी और अन्य तरीकों से मानवाधिकारों के उल्लंघन का विरोध करते रहे हैं.

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