..और मर कर अमर हो गए कोल
समूचे यूरोप ने जर्मनी के पूर्व चांसलर और यूरोपीय एकता के बड़े पैरोकार हेल्मुट कोल को अंतिम विदाई दी. इस मौके पर नम आंखों से हर कोई उनके योगदान के आगे नतमस्तक दिखा.
अंतिम विदाई
जर्मनी के पूर्व चांसलर हेल्मुट कोल को पूरे राजकीय सम्मान के साथ जर्मन शहर स्पायर के कब्रिस्तान में दफनाया गया.
एकीकरण के जनक
हेल्मुट कोल को जर्मन एकीकरण का जनक माना जाता है. यूरोपीय एकता के भी वह बड़े पैरोकार थे. उनके अंतिम संस्कार में दुनिया के कई बड़े नेताओं ने हिस्सा लिया.
कौन कौन थे मौजूद
इस मौके पर जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के अलावा यूरोपीय आयोग के प्रमुख जाँ क्लोद युंकर, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और यूरोप के कई बड़े राजनेता मौजूद थे.
विशेष प्रार्थना
स्पायर दक्षिणी जर्मनी के राइनलैंड पलेटिनेट राज्य में पड़ता है. कोल इसी राज्य के थे और सालों तक मुख्यमंत्री भी रहे. स्पायर के कैथीड्रल में कोल के लिए विशेष प्रार्थना का आयोजन हुआ.
कोल का योगदान
अपने प्रवचन में स्पायर कैथीड्रल के बिशप कार्ल हाइंत्स विजेमन ने जर्मन एकीकरण के जनक और यूरोपीय एकता के समर्थक के रूप में कोल के योगदान पर जोर दिया.
अलविदा कोल
कोल ने 16 जून को 87 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उन्हें दफनाये जाने से पहले स्ट्रासबुर्ग में यूरोपीय संसद में उन्हें आधिकारिक तौर पर अंतिम विदाई दी गयी.
कोल का सम्मान
यूरोपीय संसद में उनके शव को यूरोपीय संघ के झंडे में लपेटा गया जबकि जर्मनी आने पर उसे जर्मन झंडे से बदल दिया गया. कोल पहले नेता हैं जिनका अंतिम संस्कार यूरोपीय संघ ने राजकीय सम्मान के साथ किया.
याद आयेंगे कोल
स्पायर के प्रसिद्ध कैथीड्रल में हुई प्रार्थना सभा में करीब 1500 आमंत्रित अतिथियों ने हिस्सा लिया. स्पायर में दो हजार लोगों ने बड़े मोनिटर पर कैथीड्रल में हुई प्रार्थना सभा देखी.
आम लोगों की विदाई
स्पायर में बड़ी संख्या में आम लोगों ने अपने महान नेता को अंतिम विदाई दी और यूरोपीय एकता के लिए उनका शुक्रिया अदा किया.
लंबी पारी
कोल के शव को स्पायर पहुंचाने के लिए शिप के जरिए राइन नदी को भी पार किया गया. अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देने वाले कोल सबसे लंबे समय तक जर्मनी के चांसलर रहे.
जिंदा रहेंगे कोल
हेल्मुट कोल स्पायर के कैथीड्रल के साथ निकट रूप से जुड़े रहे हैं. बेशक कोल दुनिया ने अलविदा कह दिया है लेकिन इतिहास के पन्ने में वह हमेशा जिंदा रहेंगे.