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सऊदी वालों को बुलाती हैं 'छोड़ी गईं औरतें'

वीके/आईबी (रॉयटर्स)११ अगस्त २०१६

सिर्फ तमिलनाडु में 10 लाख ऐसी महिलाएं हैं जिनके पति उन्हें अकेले छोड़कर खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं. इन महिलाओं की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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Katar Baustelle Gastarbeiter am al-Wakrah Stadion
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Naamani

भाग्यम की शादी की ऐल्बम की तस्वीरें फेड हो चुकी हैं, और शायद उम्मीदें भी. लेकिन यादें अभी धुंधली नहीं पड़ी हैं. वह कहती हैं कि उन्हें अपने पति की बहुत याद आती है. उनका पति सऊदी अरब में वेल्डर का काम करता है. तमिलनाडु के कलपक्कम जिले की ई. भाग्यम को नहीं पता है कि आजकल सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के साथ क्या दिक्कत चल रही है. उन्हें नहीं पता है कि वहां हजारों भारतीय मजदूर बेघर और बेरोजगार हो चुके हैं. भाग्यम को बस इतना ही पता है कि उन्होंने होम लोन ले रखा है जिसकी हर महीने किश्त जाती है.

दो बच्चों की मां 36 साल की भाग्यम सोच रही हैं कि उनके पति तो ठीक ही होंगे. वह कहती हैं, "वे तो कई लोग साथ गए थे. ठीक ही होंगे. अगर वहां हालात खराब भी होंगे तो वह मुझे नहीं बताएंगे. वह कहेंगे कि सब ठीक है. वह तो बस मुझे हर महीने पैसे भेजते रहेंगे."

सऊदी अरब में भी महिलाों की स्थिति कुछ अच्छी नहीं है, देखिए

कलपक्कम जिले के सदरासकुप्पम में लगभग हर घर से कोई ना कोई खाड़ी देश में काम करने गया हुआ है. और गांव में बची हैं 100 से ज्यादा अकेली औरतें. पूरे तमिलनाडू में ऐसी 10 लाख औरतें हैं. ये महिलाएं अक्सर अवसाद में होती हैं. हमेशा चिंतित रहती हैं. राज्य सरकार ने इसी साल फरवरी में एक आयोग बनाकर अध्ययन कराया तो पता चला कि इन महिलाओं की जिंदगी परेशानी के अलावा कुछ भी नहीं है. 70 फीसदी महिलाएं एंग्जाइटी का शिकार हैं. वे डर और अकेलेपन से घिरी रहती हैं.

सर्वे में पता चला कि 60 फीसदी महिलाओं को अतिरिक्त जिम्मेदारियां उठानी पड़ती हैं क्योंकि घर में और कोई नहीं है. इनमें बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल से लेकर बैंक-बाजार के काम तक शामिल हैं. 32 जिलों के 20 हजार घरों में हुए इस सर्वे ने दिखाया कि बच्चों की सेहत और पढ़ाई भी अच्छी हालत में नहीं है. चेन्नई के लोयोला इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च के माध्यम से हुआ यह सर्वे प्रवासी भारतीयों की और प्रवास की समस्याओं को सामने लाता है. इंस्टीट्यूट के बर्नार्ड डे सामी कहते हैं, "विडंबना यह है कि जो महिलाएं अकेली पीछे छूट गई हैं उनमें से बहुत सारी तो अपने पतियों से ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं. उनकी पढ़ाई का स्तर बेहतर है."

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ज्यादातर महिलाओं की शादी तब हुई जब उनके पति विदेश से कुछ दिन की छुट्टी पर आए थे. 90 फीसदी महिलाएं अपने पति के देश कभी नहीं गई हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक छह खाड़ी देशों बहरीन, कुवैत, कतर, सऊदी अरब, युनाइटेड अरब अमीरात और ओमान में लगभग 60 लाख भारतीय कामगार हैं. भारत सरकार को उनकी शिकायतें मिलती रहती हैं. उनके शोषण की खबरें आती रहती हैं. जैसे पिछले दिनों खबर आई थी कि 10 हजार भारतीय मजदूर भूखे मरने के कगार पर आ गए हैं क्योंकि उनकी कंपनी बंद हो गई थी और उन्हें महीनों से तन्ख्वाह नहीं मिली थी. उन मजदूरों के बारे में पूरी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

हालांकि भारत से खाड़ी देशों में काम करने के लिए जाने का चलन तो दशकों से चला आ रहा है. कलपक्कम इसकी मिसाल है. वहां से हजारों लोग हर साल खाड़ी देशों को जाते हैं. ऐसा इसलिए भी है कि उन्हें अपने शहरों में ही नौकरियां नहीं मिलती हैं. कलपक्कम में न्यूकलियर पावर उद्योग है लेकिन वहां उन्हें काम नहीं मिल पाता. स्थानीय बिल्डर भी स्थानीय लोगों को काम नहीं देते क्योंकि दूसरे राज्यों से सस्ते मजदूर आसानी से मिलते हैं. विदेश से आए एस प्रभु ने नौकरी की काफी तलाश की. नहीं मिली तो अब वह दोबारा विदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं. वह कहते हैं, "हम जानते हैं कि खाड़ी में जिंदगी हमेशा आसान नहीं होती लेकिन हमें वहां लौटना पड़ता है क्योंकि और कोई चारा नहीं है."

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