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नोटबंदी के जख्मों पर मरहम है बजट: विशेषज्ञ

अपूर्वा अग्रवाल
१ फ़रवरी २०१७

कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे शायरी से भरा बजट कहा तो अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. लेकिन बाजार ने इस पर काफी संतुलित प्रतिक्रिया दी है.

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Indien Frauen reisen im Zug
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Adhikary

वित्त मंत्री अरुण जेटली के वर्ष 2017-18 के बजट को विशेषज्ञ नोटबंदी के दर्द की भरपाई करने वाले से लेकर संतुलित तक बता रहे हैं.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री डी. के. पंत ने कहा, "इस बजट में कुछ नया नहीं है, लेकिन नोटबंदी के दर्द को कम करने का खास खयाल रखा गया है. पिछले सालों में पेश किये गये बजटों की ही तरह इस बार भी कृषि और बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया है. राजकोषीय गुणाभाग थोड़ा पेचीदा है लेकिन एक बार जीएसटी लागू हो जाने के बाद इसमें बदलाव संभव है." पंत कहते हैं कि 7-7.4 फीसदी की वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) दर के बाद न्यून विकास दर को 11.75 फीसदी पर रखा गया है जिसमें 4-4.4 फीसदी का मार्जिन है जो जीडीपी में डिफ्लेटर (अपस्फीतिकारक) का काम कर सकता है, इस वजह से अगले दो वित्त वर्ष में मौद्रिक सहजता के आसार कम नजर आते हैं. पंत को लगता है कि राजस्व व्यय में बढ़ोतरी और विशेष रूप से गैर-ब्याज व्यय में बढ़ोतरी अच्छे कदम हैं. साथ ही विनिवेश लक्ष्य, राजकोषीय घाटे को पटरी पर लाने की संभावना को बढ़ाता है. वह कहते हैं, "आर्थिक सर्वेक्षण में यूनिवर्सल बेसिक इनकम का आइडिया अच्छा नजर आता है लेकिन इसके लागू होने को लेकर तमाम सवाल हैं."

यह भी देखें: बजट में आम आदमी को क्या मिला

वहीं केपीएमजी के जयजित भट्टाचार्य के मुताबिक, "इस साल का बजट बुनियादी ढांचे, खासकर डिजिटल ढांचे पर जोर देने वाला नजर आ रहा है, जिसमें निजी निवेश, व्यय बढ़ोतरी और सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों को तवज्जो दी गई है." भट्टाचार्य के मुताबिक इस बजट की खास बात रही कि इसमें कई लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक समयसीमा निर्धारित की गई है मसलन टीबी जैसे रोग को साल 2025 तक जड़ से मिटाने का लक्ष्य. वह कहते हैं कि ऐसी बातें बजट को जवाबदेह बनाती हैं क्योंकि इनका समय-समय पर आकलन किया जा सकेगा. नए कदमों में जयजित पॉलिटिकल बॉन्ड और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर बने रहने को अच्छा कदम मानते हैं. उन्होंने कहा, "कुल मिलाकर पिछले साल की तुलना में इस साल बजट आवंटन 3.5 फीसदी अधिक रहा है जिसे सामाजिक कल्याण और बुनियादी ढांचे में संतुलित करने की अच्छी कोशिश की गई है."

देखिए, बजट डायरी से निकली शायरी

मैक्स बूपा हेल्थ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ आशीष मेहरोत्रा के कहते हैं कि इस साल के बजट में कर प्रस्तावों और राजकोषीय प्रबंधन के साथ-साथ डिजिटल भारत के निर्माण पर जोर दिया गया है. वह कहते हैं, "कर में रियायतें और एसएमई को मिले प्रोत्साहन से मध्यम आय वर्ग में आने वाले लोग ज्यादा खर्च करेंगे और स्वास्थय सेवाओं की ओर इनका रुझान बढ़ेगा. कुल मिलाकर यह बजट विकास को बढ़ावा देगा और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगा."