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क्यों बार बार लग रही है अमेजन के जंगलों में आग

२२ अगस्त २०१९

ब्राजील में अमेजन बेसिन के जंगलों में आग लगने की 72 हजार से भी ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं. पिछले साल के मुकाबले ये 83 प्रतिशत ज्यादा है.

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Brasilien Manaus Feuer Brand
तस्वीर: Reuters/B. Kelly

ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो जंगलों की कटाई और आग को लेकर पहले भी अजीबोगरीब बयान दे चुके हैं. आग की घटनाओं पर उनका कहना है कि कुछ एनजीओ उन्हें और सरकार को बदनाम करने के लिए आग लगा रहे हैं.

अमेजन के जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं में इस साल 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. इस साल अभी तक इन जंगलों में आग की 72 हजार से भी ज्यादा घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इनमें से कुछ प्राकृतिक रूप से हुई आग लगने की घटनाएं थीं तो कुछ मानव निर्मित आपदाएं भी शामिल हैं. ब्राजील के कई राज्य फिलहाल अमेजन की आग से निकले धुएं की चपेट में है. नासा द्वारा जारी की गईं सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि अमेजोनाज, रॉन्डोनिया, पारा और माटो ग्रोसो राज्य इस धुएं से प्रभावित हैं. गर्मियों में लगने वाली जंगल की आग के चलते अमेजोनाज राज्य में अगस्त के महीने में ही आपातकाल लागू करना पड़ा था.

ब्राजील की स्पेस एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस रिसर्च के मुताबिक इस साल अमेजन के जंगल में आग लगने के 72,843 मामले सामने आए. 2018 की तुलना में इन मामलों में 83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 2013 से आग की घटनाओं का रिकॉर्ड रखा जाने लगा था. तब से अब तक की यह सबसे बड़ी संख्या है. आग की ये बढ़ती घटनाएं ब्राजील के राष्ट्रपति बोल्सोनारो की नीतियों पर भी सवाल खड़ा कर रही हैं. इस एजेंसी के मुताबिक सैटेलाइट की तस्वीरों से अमेजन बेसिन में 9,507 नई आग की घटनाओं का पता चलता है. अमेजन के जंगल को दुनिया का सबसे बड़ा जंगल माना जाता है. यह जंगल पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाए रखने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. दुनिया की कुल ऑक्सीजन का 20 प्रतिशत हिस्सा अमेजन के जंगलों से पैदा होता है. ब्राजील में अमेजन के 60 प्रतिशत वर्षा वन हैं. 

Brasilien Brandrodung im Amazonas-Regenwald
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/G. Fischer

सैटेलाइट द्वारा जारी की गईं तस्वीरों से पता चलता है कि ब्राजील का उत्तरी राज्य रोराइमा  धुएं और धुंध की चपेट में है. अमेजोनाज में 9 अगस्त से आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. पेरू से लगी सीमा पर स्थित एकरे शहर को भी 16 अगस्त से अलर्ट पर रखा गया है. आग लगने की घटनाएं माटो ग्रोसो और पारा राज्यों में ज्यादा बढ़ी हैं. इन दोनों राज्यों में खेती करने के लिए जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है. गर्मियों के मौसम में जंगलों में आग लगना आम बात है लेकिन कई सारी आग वहां के किसानों द्वारा भी लगाई जाती हैं. जंगलों में आग लगने से खाली हुई जमीन पर वो खेती करते हैं.

बोल्सोनारो के जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से आग लगने की इन घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. बोल्सोनारो की नीति में अमेजन के इलाके में खेती और खनन करना शामिल है. वो जंगलों की कटाई को लेकर चिंतित नहीं दिखते हैं. आग की बढ़ती घटनाओं पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ये खेती के लिए जंगलों की सफाई का मौसम है इसलिए किसान जंगलों को आग लगाकर जमीन तैयार कर रहे हैं. स्पेस एजेंसी का भी मानना है कि आग की इतनी घटनाएं प्राकृतिक नहीं हो सकती हैं.

Brasilien Feuer
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Mendonca

स्पेस एजेंसी से जुड़े शोधकर्ता अल्बैर्तो सेत्जेर कहते हैं, "इस साल प्रकृति के हिसाब से ज्यादा कुछ अलग नहीं है. इस बार अमेजन में बारिश सामान्य से कम हुई है. लोग कहते हैं कि गर्मी के मौसम की वजह से आग लगती है. ये बात सही नहीं है. गर्मी के मौसम में आग तेजी से फैलती है लेकिन आग हमेशा इंसानों द्वारा ही लगाई जाती है. चाहे वो जानबूझकर आग लगाएं या दुर्घटनावश उनसे ऐसा हो जाए." बोल्सोनारो ने पिछले दिनों इस एजेंसी के डायरेक्टर को निलंबित कर दिया था. एजेंसी ने अमेजन में घटते जंगलों के आंकड़े जारी किए थे. बोल्सोनारो ने कहा था कि ये आंकड़े सही नहीं हैं. इसलिए उन्हें निलंबित किया गया. बोल्सोनारो ने कहा, "मैं अगले आंकड़ों का इंतजार कर रहा हूं. उनमें सही जानकारी दी जाएगी. अगर जंगल कम होते दिखेंगे तो हम उस पर भी बात करेंगे."

Infografik Waldbestand Amazonas 1985 vs 2017 EN
1985 से 2017 के बीच हुई अमेजन के जंगलों की कटाई.

बोल्सोनारो ने आग की बढ़ती घटनाओं पर एक विवादित बयान भी दिया. उन्होंने कहा,"ये भी संभव है कि कुछ एनजीओ से जुड़े हुए लोग आग की इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हों. ताकि इससे वो मेरे और ब्राजील की सरकार के खिलाफ लोगों में माहौल बना सकें." हालांकि बोल्सोनारो ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया. सोशल मीडिया पर बोल्सोनारो के इस बयान की लोग निंदा कर रहे हैं. बोल्सोनारो कम होते जंगलों को लेकर पहले भी कई अजीबोगरीब बयान दे चुके हैं.

आरएस/आरपी (रॉयटर्स)

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