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कोलकाता को मदर के संत होने का इंतजार

प्रभाकर२ सितम्बर २०१६

4 सितंबर के बाद मदर टेरेसा को सेंट टेरेसा कहा जाने लगेगा. वेटिकन से लेकर कोलकाता तक इसकी तैयारियां चल रही हैं. जश्न का माहौल है और जैसा कि टेरेसा के साथ हमेशा रहे, विवाद अब भी हैं.

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AP Iconic Images Mutter Theresa 1978
तस्वीर: AP

मदर टेरेसा की कर्मस्थली रहे पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को उनके संत घोषित होने का बेसब्री से इंतजार है. मदर को चार सितंबर को वेटिकन सिटी में आयोजित एक समारोह में संत की उपाधि से विभूषित किया जाएगा. इस मौके पर महानगर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इस मौके पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अगुआई में भारत सरकार का एक 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी शिरकत करेगा. इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और बीजेपी में ठन गई है. इसके अलावा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के अरविंद केजरीवाल भी अपने प्रतिनिधमंडलों के साथ समारोह में मौजूद रहेंगे. जानी-मानी गायिका उषा उत्थुप ने तो इस मौके के लिए एक विशेष गीत भी लिखा है. यह कहना सही होगा कि पूरा महानगर मदर के रंग में डूब गया है.

कोलकाता में उल्लास

मदर को संत का दर्जा मिलने से पहले से ही कोलकाता स्थिति मिशनरीज आफ चैरिटी मुख्यालय मदर हाउस से लेकर महानगर के तमाम हिस्सों में उल्लास का माहौल है. मदर हाउस को काफी भव्य तरीके से सजाया गया है. उस दौरान वेटिकन सिटी भी कोलकाता के रंग में रंगा नजर आएगा. एक स्वयंसेवी संगठन के दर्जनों वॉलंटियर उस दौरान मदर टेरेसा की तस्वीरों के साथ वेटिकन सिटी और रोम की सड़कों पर नजर आएंगे. जाने-माने फोटोग्राफर कौंतेय सिन्हा ने मदर की जो तस्वीरें खींची हैं उनको पोस्टर के आकार में प्रिंट किया गया है. वह अपनी टीम के साथ रोम में इस महानगर की झलकी पेश करेंगे. मदर के जन्मदिन से ही यहां कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. 25 अगस्त को एक विशेष कार्यक्रम में यहां बिशप हाउस में पोप जान पॉल द्वीतीय की प्रतिमा के पास ही मदर टेरेसा की आदमकद कांस्य प्रतिमा लगाई गई. इसका अनावरण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया. भारतीय डाक विभाग ने भी इस मौके पर विशेष आवरण, सिक्का व प्रतिमा जारी करने का फैसला किया है. मदर के जीवन व कामकाज पर एक विशेष फिल्म समारोह का भी आयोजन किया जा चुका है. इसके अलावा कोलकाता के कई प्रमुख जगहों पर मदर के बड़े-बड़े पोस्टर व बैनर लगाए गए हैं जिसे देख लोग मदर की यादें ताजा कर रहे हैं.

Albanien Statue von Mutter Teresa in Tirana
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Shkullaku

आर्कबिशप थॉमस डिसूजा बताते हैं, ‘विभिन्न संगठनों की ओर से मदर टेरेसा पर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. दो अक्तूबर को नेताजी इनडोर स्टेडियम में धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसमें विभिन्न देशों के प्रतिनिधि व धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी व राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी मौजूद रहेंगे.' वह बताते हैं कि चार नवंबर को संत टेरेसा को राज्य सरकार की ओर से श्रद्धांजलि दी जाएगी. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हिस्सा लेंगी. मदर पर डाक टिकट डिजायन तैयार करने वाले आलोक के. गोयल बताते हैं, ‘वर्ष 2010 में मदर की शताब्दी के मौके पर पांच रुपये का विशेष सिक्का जारी किया गया था. आवरण पर इसकी प्रतिकृति उकेरी गई है.' वह बताते हैं कि यह आवरण अपने आप में खास होगा.

Mazedonien Mutter Teresa-Klinik in Skopje
तस्वीर: DW/P. Stojanovski

18 साल लंबा इंतजार

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर ने यहां मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की थी. उन्होंने अपने जीवन के 45 साल यहां गरीबों और बेघरों के सेवा में गुजारे थे. वर्ष 1997 में 87 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. मदर को संत का दर्जा पाने के लिए अपने निधन के बाद 18 साल लंबा इंतजार करना पड़ा. वेटिकन ने बीते साल ही मदर के दूसरे चमत्कार की पुष्टि कर दी थी. रोमन कैथोलिक चर्च के नियमों के मुताबिक, किसी को संत घोषित करने के लिए उसके दो चमत्कार साबित होना जरूरी है. पहले चमत्कार के बाद उस व्यक्ति को धन्य घोषित किया जाता है. उसके बाद दूसरे चमत्कार की पुष्टि होने के बाद उसे संत का दर्जा दे दिया जाता है. मदर के निधन के छह साल बाद वर्ष 2003 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले की एक आदिवासी युवती मोनिका बेसरा और उसके चिकित्सक के दावों के बाद तत्कालीन वेटिकन प्रमुख पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मदर को धन्य घोषित किया था. मोनिका का दावा था कि मदर के आशीर्वाद से उसे कैंसर की बीमारी से निजात मिल गई है. चर्च ने जांच के बाद उस दावे को सही पाया था. मदर को संत का दर्जा देने की प्रक्रिया में वेटिकन ने अपने कई नियमों में ढील दी थी. लेकिन दूसरे चमत्कार वाले प्रावधान से छूट नहीं दी जा सकती थी.

Mazedonien Mutter Teresa-Haus in Skopje
तस्वीर: DW/P. Stojanovski

मदर के दूसरे चमत्कार का यह मामला ब्राजील से सामने आया. वहां एक व्यक्ति दिमागी बीमारी से पीड़ित था. लेकिन दावा है कि वह मदर की प्रार्थना से ही पूरी तरह दुरुस्त हो गया. वेटिकन ने विभिन्न पहलुओं से इस मामले की जांच के बाद इसे चमत्कार के तौर पर मान्यता दे दी थी. उसके बाद ही पोप फ्रांसिस ने मदर को संत का दर्जा देने का फैसला किया.

विवाद भी

मदर पर अक्सर उंगलियां भी उठती रही हैं. इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सबसे मुखर रहा है. उनके कामकाज और विचारों पर काफी विवाद भी रहा. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बीते साल यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि मदर की सेवा का महज एक मकसद था और वह यह कि जिसकी सेवा हो रही है उसे ईसाई बनाया जाए. संघ ने मदर को भारत रत्न देने के फैसले पर भी सवाल उठाए थे. अब भारतीय प्रतिनिधिमंडल को वेटिकन सिटी भेजने के मुद्दे पर भी संघ और बीजेपी में ठन गई है. संघ के एक अधिकारी कहते हैं, ‘लोगों को पार्टी के बदले रवैये के बारे में समझाना संघ के लिए मुश्किल होगा.' उनका सवाल है कि अगर सरकार की मजबूरी थी तो सुषमा स्वराज की जगह किसी जूनियर मंत्री को भेजा जा सकता था. अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मदर की प्रशंसा भी संघ परिवार के गले नहीं उतर रही है.

Indien Mutter Teresa mit einem kranken Kind in Kalkutta
तस्वीर: picture-alliance/ZUMA Press

लेकिन मदर की कर्मस्थली रहा कोलकाता तो तमाम विवादों को भुला कर उस दिन का बेहद बेसब्री से इंतजार कर रहा है जब मदर को औपचारिक तौर पर संत का दर्जा मिलेगा.