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गर्मी का कहर: मछली विक्रेता महिलाओं की बिक्री घटी

११ अप्रैल २०२२

कठोर मौसम का असर मुंबई की 40 हजार महिला मछली विक्रेताओं पर भी देखने को मिल रहा है. मौसम की मार की वजह से कम मछली पकड़ी जा रही है और आय घट रही है. महिला विक्रेता अब सरकार से गुहार लगा रही हैं.

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तस्वीर: Catherine Davison

मुंबई की एक तपती दोपहर में मछली विक्रेता नैना पाटिल अपनी दुकान पर बिना बिकी पॉम्फ्रेट को देख बेहद निराश हैं. पिछले एक पखवाड़े में इसकी कीमत तीन गुना बढ़ गई है. पाटिल पूछती हैं, "अब इसे 1,500 रुपये में कौन खरीदेगा?"

कुछ ग्राहक मछली खरीदने तो आए लेकिन वे ऊंची कीमतों की वजह से उन्हें बस देखकर आगे बढ़ गए. पाटिल मुंबई के अचानक बढ़ते तापमान को कम मछली पकड़े जाने के लिए जिम्मेदार मानती हैं. वे तर्क देती हैं कि अनिश्चित मौसम के कारण उनकी गिरती आय के लिए उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए.

55 वर्षीय पाटिल ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि तूफान के कारण मछुआरों की नावों को नुकसान पहुंचने के बाद सरकारी सहायता मिलती है, जबकि किसानों को सूखे और बाढ़ से फसल के नुकसान के लिए सहायता मिलती है. पाटिल कहती हैं, "पहले महिलाएं (यहां) अपनी कमाई पर 10 बच्चों की परवरिश कर सकती थीं. अब हमारे पास पैसे नहीं हैं. मेरी मां हमें स्कूल नहीं भेज सकती थी लेकिन उन्होंने हमें मछली पकड़ना सिखाया ताकि हम आत्मनिर्भर बन सकें. अब हम क्या करें अगर समुद्र में मछली नहीं हैं?"

मौसम विभाग के मुताबिक मुंबई में मार्च में गंभीर हीटवेव की स्थिति दर्ज की गई, जिसमें तापमान सामान्य से कम से कम 10 दिनों में 6-7 डिग्री सेल्सियस अधिक था.

महिला विक्रेताओं पर असर

मछली पकड़ने की मात्रा पर इन जलवायु परिवर्तनों का असर अब मुंबई की महिला मछली विक्रेताओं पर पड़ रहा है. वे पीढ़ियों से इस कारोबार से जुड़ी हैं. उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र माना जाता रहा है.

देश के कई हिस्सों में पिछले महीने की गर्मी रिकॉर्ड स्तर पर थी. हाल के दिनों में महिला मछली विक्रेताओं के सामने कई नई चुनौतियां आईं हैं, जैसे कि ऑनलाइन सीफूड डिलीवरी ऐप्स का बाजार में आना और चक्रवातों के बीच मछली पकड़ने के कम दिनों का होना भी शामिल है.

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्र सरकार मछुआरों को मृत्यु और विकलांगता के लिए बीमा देती है, जिसमें अब तक लगभग 2.8 लाख लोग कवर किए जा चुके हैं.

मछली श्रमिक संघों का कहना है कि अनिश्चित मौसम से होने वाले नुकसान के खिलाफ भी इसी तरह के बीमे की जरूरत है. एनएफडीबी द्वारा संकलित डेटा के मुताबिक पिछले दो दशकों में अरब सागर के ऊपर चक्रवातों में 52 फीसदी की वृद्धि हुई, जो समुद्र की सतह के तापमान में 1.2-1.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के कारण है.

पाटिल कहती हैं, "समुद्र हमारा खेत है और हम भी जलवायु परिवर्तन के पीड़ित हैं."

जहरीला होता समंदर

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश में मत्स्य पालन और संबंधित गतिविधियों में लगभग 2.8 करोड़ कर्मचारी हैं, मछली पकड़ने के बाद की सभी गतिविधियों का 70 फीसदी महिलाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

मुंबई में कोली समुदाय की अनुमानित 40,000 महिला मछली विक्रेता हैं, जो शहर की मूल निवासी हैं. वे मछली व्यापारियों से स्टॉक खरीदती हैं, फिर उसे छांटती हैं और पैक करने के बाद बाजार में बेचती हैं. 2020 में भारत के समुद्रों से पकड़ी गईं कुल मछली लगभग 3.7 मिलियन टन थी, जो कि 2012 में 3.2 मिलियन टन मछली से कहीं अधिक थीं.

महाराष्ट्र मछलीमार कृति समिति के देवेंद्र दामोदर टंडेल कहते हैं कि उनकी समिति पिछले महीने के लू के कारण हुए नुकसान का आकलन कर रही है. टंडेल ने कहा कि चक्रवात आने पर उन्हें एकमात्र मुआवजा मछली के लिए भंडारण बॉक्स मिलता है. वे पूछते हैं "इससे क्या उद्देश्य पूरा होगा?"

एए/सीके (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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