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कोरोना से लेकर अंतरिक्ष तक के खतरे पर चर्चा करेगा नाटो

२२ अक्टूबर २०२०

नाटो देशों के रक्षा मंत्री 22-23 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर रहे हैं. उनकी चर्चा के केंद्र में अंतरिक्ष के खतरों से निपटने की तैयारी, धन जुटाने और अफगानिस्तान व इराक में नाटो मिशन जैसे मुद्दे होंगे.

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ब्रसेल्स स्थित नाटो मुख्यालय.तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Thys

पिछले कई महीनों से जर्मनी के रामश्टाइन में नया नाटो स्पेस सेंटर बनाने की योजना चर्चा में रही है. नाटो सदस्य देशों के मंत्री अपने सम्मेलन में इस पर अमल करने का अंतिम फैसला ले सकते हैं. जर्मनी के दक्षिण-पश्चिम में स्थित रामश्टाइन शहर में पहले से ही मित्र सेनाओं का अमेरिका-नाटो बेस है. इस नए स्पेस सेंटर का इस्तेमाल ऐसी जानकारियों को एक दूसरे से साझा करने के लिए किए जाने की योजना है जिससे वे अपने सैटेलाइट के सामने आने वाले संभावित खतरों के बारे में जान सकें. नाटो के महासचिव येन्स श्टोल्टेनबेर्ग ने बताया कि इसका मकसद "अंतरिक्ष का सैन्यीकरण करना नहीं बल्कि अंतरिक्ष में मौजूद चुनौतियों के बारे में नाटो की जागरुकता को बढ़ाना और उनसे निपटने के लिए खुद को तैयार करना है.”

श्टोल्टेनबेर्ग ने परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखने के अपने मकसद के बारे में कहा कि बीते 30 सालों में हमने यूरोप में "नाटो के परमाणु हथियारों में करीब 90 फीसदी की कटौती की है. नाटो के नाम से पूरे विश्व में मशहूर संयुक्त रक्षा मोर्चे 'नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना 1949 में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 12 देशों ने मिलकर की थी. अब इसके 30 सदस्य हैं और इसका मकसद सदस्य देशों के लोगों और उनके इलाके की रक्षा है.

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नाटो महासचिव येन्स श्टोल्टेनबेर्ग (बीच में) जुलाई 2020 में स्पेन में कोरोना पीड़ितों के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाते हुए.तस्वीर: Reuters/S. Perez

सम्मेलन के पहले दिन कोविड-19 से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा होगी. कई सदस्य देशों ने नाटो के माध्यम से इस महामारी से निपटने में मदद मांगी है जिसमें वेंटिलेटरों की आपूर्ति भी शामिल है. इस बारे में महासचिव ने कहा कि नाटो सेनाएं नागरिकों को मदद पहुंचा रही हैं और सभी मित्र देश नए अस्पताल बनाने से लेकर मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं. सदस्य देशों के मंत्रियों के सामने धन की व्यवस्था करने का मुद्दा भी है. कौन सा देश वित्तीय मदद का कितना बड़ा हिस्सा मुहैया कराएगा इसे लेकर भी चर्चा होनी है.

पिछले कुछ सालों से अमेरिका बाकी के देशों के बारे में कहता आया है कि उन्हें अपने बजट का और बड़ा हिस्सा नाटो को देना चाहिए. बुधवार को जारी हुए आंकड़े दिखाते हैं कि नाटो देशों की ओर से रक्षा खर्च में लगातार छठे साल बढ़ोत्तरी हुई है.

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नाटो के सदस्य तुर्की और जर्मनी में मतभेद बढ़े हैंतस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka

ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि कैसे लगातार अपना योगदान बढ़ाते हुए इस साल भी जर्मनी दो प्रतिशत के रक्षा खर्च के लक्ष्य के और पास पहुंच गया है. जर्मनी के अलावा अमेरिका के दूसरे नाटो पार्टनरों ने भी इस साल अपना रक्षा खर्च बढ़ाया है.

सम्मेलन के दूसरे और आखिरी दिन सदस्य देश अफगानिस्तान और इराक में नाटो मिशन पर चर्चा करने वाले हैं. महासचिव ने दोहराया है कि संगठन अफगान शांति प्रक्रिया का समर्थन करता है और वहां दीर्घकालीन शांति और सुरक्षा लाने के लिए समर्पित है. ऐसी उम्मीद है कि सदस्य देश इराक में नाटो के ट्रेनिंग मिशन का विस्तार करने पर सहमत हो सकते हैं. इसके माध्यम से नाटो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में इराक की मदद करना चाहता है.

आरपी/एनआर (डीपीए)

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