जापानी प्रधानमंत्री के पर्ल हार्बर जाने के मायने
२७ दिसम्बर २०१६मंगलवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा पर्ल हार्बर पर मिलेंगे. यह मुलाकात उस दोस्ती का एक प्रतीक होगी, जिसने दशकों पुरानी दुश्मनियों को पूरी तरह दफन कर दिया है.
1951 में युद्ध के छह साल बाद जापानी नेता शिगेरू योशिदा अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को संधि पर समझौता करने के बाद जब लौट रहे थे, तो ऐरिजोना में पर्ल हार्बर पर रुके थे. उसके बाद आबे हैं जो पर्ल हार्बर पहुंचे हैं. लेकिन आबे उस स्मारक पर जाने वाले पहले नेता होंगे जो पर्ल हार्बर के हमले में मारे गए अमेरिकी सैनिकों की याद में बनाया गया था. ओबामा ने मई महीने में जापान दौरे के दौरान हिरोशिमा की यात्रा की थी. दूसरे विश्व युद्ध में जिस जगह को अमेरिका ने परमाणु बम से नष्ट कर दिया था, वहां जाने वाले ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे. इस तरह दोनों देशों के नेताओं ने इन मुलाकातों को ऐतिहासिक बताया है.
7 दिसंबर 1941 को पर्ल हार्बर पर जापान के 300 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने बमबारी की थी. इस हमले में 2300 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मारे गए थे. एक हजार से ज्यादा घायल हुए थे. इस हमले के बाद ही अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध में कूदा था. इस हमले का सबसे बुरा नतीजा अमेरिका में रह रहे जापानियों को भुगतना पड़ा था. करीब एक लाख 20 हजार अमेरिकी-जापानियों को कैद कर लिया गया था और कैंपों में रखा गया था. फिर 1945 के अगस्त में अमेरिका ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए. इन दो हमलों में दो लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई.
जापान ने कहा है कि आबे पर्ल हार्बर की यात्रा के दौरान इस हमले के लिए माफी नहीं मांगेंगे. ओबामा ने भी हिरोशिमा के लिए माफी नहीं मांगी थी. पर्ल हार्बर हमले में बच गए एक अमेरिकी नौसैनिक एल्फ्रेड रोड्रिग्ज अब 96 साल के हो चुके हैं. वह कहते हैं, "माफी की कोई जरूरत नहीं है. युद्ध तो युद्ध होता है. उन्होंने वही किया जो उन्हें करना चाहिए था. और हमने वही किया जो हमें करना चाहिए था."
देखिए, दूसरा विश्व युद्ध तस्वीरों में
चीन ने जापान के इस कदम पर आपत्ति जताई है. उसका कहना है कि आबे जापान के युद्ध अपराधों को हल्का करने का बहुत ही हल्का प्रयास कर रहे हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "पर्ल हार्बर के दौरे और मरने वालों से संवेदनाएं जताकर दूसरे विश्व युद्ध के इतिहास को हल्का करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन जापान ऐसा कर नहीं पाएगा." हुआ ने कहा कि जापान इतिहास के उस पन्ने को तब तक नहीं पलट सकता जब तक कि वह चीन और एशिया के उन देशों से सुलह नहीं कर लेता, जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में उसके जुल्मों को सहा है. उन्होंने कहा, "जापान के नेताओं को बचकर निकलने की ये कोशिशें बंद करनी चाहिए. बेहतर होगा कि कि वे इतिहास और भविष्य के प्रति जिम्मेदार रवैया अपनाएं. इतिहास पर गंभीरता और ईमानदारी से विचार करें और जो बीत गया है उससे खुद को एकदम अलग करें."
पर्ल हार्बर को लेकर जापानियों के मन में अक्सर अफसोस देखा जाता है क्योंकि देश के ज्यादातर लोग दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अपने देश के रवैये को लेकर नाखुश हैं. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अब तक अमेरिका और जापान के संबंध पूरी तरह बदल चुके हैं. ओबामा के शासनकाल में तो दोनों देश काफी नजदीक आए हैं और संबंध बहुत मजबूत हुए हैं. हालांकि डॉनल्ड ट्रंप के शासन में संबंधों को लेकर संदेह के बादल हैं. अपने चुनाव प्रचार में ट्रंप ने कहा था कि जापान और दक्षिण कोरिया को अपने अपने परमाणु बम बना लेने चाहिए ताकि अमेरिका को उनकी सुरक्षा की भारी-भरकम कीमत ना उठानी पड़े. इस बात ने एशिया के बहुत से देशों को परेशान कर दिया था. लेकिन एक तथ्य यह भी है कि ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद उनसे मिलने वाले पहले विदेशी नेताओं में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी थे.
वीके/एके (एपी)