इन्हें लालच आ गया तो?
सदियों तक सोई रही स्पीति घाटी अब जगने लगी है. बौद्ध मठ के इर्द-गिर्द इस उनींदी घाटी को टूरिस्टों की आहटों ने जगा दिया है. देखिए...
बांट कर जियो
पहाड़ी रेगिस्तान पर स्पीति के लोगों के लिए जीवन का एकमात्र मंत्र है, बांट कर जियो. वे मानते हैं कि धरती पर सबका बराबर हक है इसलिए लालच की कोई जगह नहीं है.
बदलाव के संकेत
कुछ वक्त पहले मंत्र में मिलावट सुनाई देने लगी. 1990 के दशक में यहां टूरिस्टों को आने की इजाजत मिली और माहौल एकदम बदल गया. अब कंक्रीट की इमारतें, असफाल्ट की सड़कें और सोलर पैनल जैसी चीजें नजर आने लगीं हैं.
सैलानियों में लोकप्रिय
स्पीति घाटी 4000 मीटर पर है. ईको टूरिज्म एजेंसी ईकोस्फीयर की संस्थापक इशिता खन्ना बताती हैं कि बहुत टूरिस्ट आने लगे हैं. 2016 सबसे व्यस्त साल रहा. अगस्त तक 847 विदेशी आए. पिछले साल 726 आए थे. भारतीय टूरिस्टों की गिनती उपलब्ध नहीं है लेकिन 70 फीसदी भारतीय ही होते हैं.
मेहमाननवाज लोग
घाटी की अपनी आबादी है 13000. तिब्बती मूल के ये लोग मेहमाननवाज और गर्मजोश होते हैं. अभी तक बहुत ज्यादा होटल नहीं बने हैं लेकिन जैसे ही टूरिस्ट सीजन शुरू होता है लोगों के घर होमस्टे बन जाते हैं.
कमाई के लिए जुगाड़
देमूल गांव में 250 लोग रहते हैं. टूरिस्ट सीजन में आधे घर खाली कर दिए जाते हैं टूरिस्टों के लिए. उन घरों में रहने वाले लोग पड़ोसियों के यहां रहने लगते हैं. फिर दोनों परिवार कमाई बांट लेते हैं.
अभाव की व्यवस्था
टूरिस्टों को भी यह व्यवस्था अच्छी लगती है. ब्रिटिश टूरिस्ट टॉम वेल्टन को यह बात जानकर बड़ा अच्छा लगा कि सब बारी बारी से घर बदलते हैं. यानी पूरा गांव मिलकर कमाता है और गांव के विकास पर खर्च करता है.
बदलता पारंपरिक पेशा
वैसे, घाटी का पारंपरिक पेशा तो भेड़-बकरी पालना और मटर आदि की खेती है. लेकिन पर्यटन इलाके में कमाई का नया जरिया बनकर उभर रहा है. अब लोगों की आय बढ़ने लगी है.
धार्मिक पुट
बौद्ध मठ भी इस बयार में बह निकला है. वह आने वाले टूरिस्टों को बौद्ध धर्म का पाठ पढ़ाता है. लामा तेनजिन रिजिन कहते हैं कि बौद्ध धर्म के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानना चाहिए.
बदलाव का विरोध
लेकिन कुछ ग्रामीणों को यह नई हवा अच्छी नहीं लग रही है. उन्हें लगता है कि इस तरह पैसा आएगा तो फिर लालच भी बढ़ेगा और लालच नुकसान करता है. वह परंपराओं को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
जायज शिकायत
अब घाटी में जंक फूड भी आ गया है. दाल रोटी खाने वाले समाज के बच्चों के बीच बर्गर पैठ बना रहा है. तेनजिन थिनली कहते हैं कि ज्यादा टूरिस्ट मतलब ज्यादा पैसा और मैं लालची नहीं होना चाहता.