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येरुशलम के मुद्दे पर अरब देशों की अमेरिका को चेतावनी

४ दिसम्बर २०१७

अरब लीग, फलस्तीन और जॉर्डन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए इस्राएल में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम न ले जाने को कहा है. इस शहर का दर्जा इस्राएलियों और फलीस्तीनियों के बीच शांति वार्ता में एक बड़ा रोड़ा है.

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Israel | Palästina Jerusalem - Felsendom
तस्वीर: picture alliance/dpa/R.Holschneider

अरब लीग ने कहा है कि अमेरिकी दूतावास को येरुशलम ले जाने जैसे कदम भविष्य में किसी तरह की शांति वार्ता के लिए धक्का होंगे और इनसे संकटग्रस्त इस क्षेत्र में हिंसा की नई लहर पैदा हो सकती है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप इस्राएल में अपने दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम ले जाना चाहते हैं. इसका मतलब इस प्राचीन शहर को इस्राएल की राजधानी के रूप में मान्यता देना होगा जबकि पूर्वी येरुशलम पर फलस्तीनी अपना दावा जताते हैं. अमेरिका सोमवार को अपने दूतावास को येरुशलम ले जाने की घोषणा कर सकता है.

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फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के एक वरिष्ठ सलाहकार नाबिल शाथ ने रविवार को कहा, "हम अमेरिकी पक्ष को चेतावनी देते हैं कि अगर अमेरिकी सरकार संयुक्त येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने की कोशिश करती है और अपने दूतावास को येरुशलम लेकर आती है तो इससे शांति प्रक्रिया की सभी संभावनाएं खत्म हो जाएंगी."

अब्बास इस तरह के कदम के खिलाफ दुनिया भर में समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. अरब लीग के महासचिव अहमद अब्दुल गेट ने भी फलस्तीनियों के रुख का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, "हम बिल्कुल साफ कर देना चाहते हैं कि इस तरह के कदम को उचित नहीं ठहराया जा सकता है. इससे शांति या स्थिरता नहीं आएगी बल्कि इससे चरमपंथ और हिंसा को ही हवा मिलेगी." उन्होंने कहा, "इससे सिर्फ एक ही पक्ष को फायदा होगा, इस्राएली सरकार को जो शांति नहीं चाहती है."

रविवार को ही जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने भी इस मुद्दे पर अमेरिका को चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के सामने उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है.

व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप प्रशासन येरुशलम को इस्राएल की आधिकारिक राजधानी के तौर पर मान्यता देने पर विचार कर रहा है. इस तरह का वादा उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान किया था. हालांकि ट्रंप के दामाद और मध्य पूर्व पर उनके सलाहकार जेरार्ड कुशनर ने कहा कि अमेरिका अभी इस बारे में सभी संभावनाओं पर विचार कर रहा है कि येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के तौर पर मान्यता दी जाये या नहीं या फिर अमेरिकी दूतावास को येरुशलम ले जाया जाये या नहीं.

फलस्तीनी चरमपंथी गुट हमास ने भी कहा है कि अगर अमेरिकी येरुशलम को इस्राएली राजधानी के तौर पर मान्यता देता है तो वह फिर से अपना हिंसक अभियान शुरू कर देगा.

एके/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)