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फिर चुनी स्पेन ने त्रिशंकु संसद

रोहित जोशी (एएफपी, रॉयटर्स)२७ जून २०१६

स्पेन में पिछले 6 म​हीनों में दूसरी बार हुए आम चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. हालांकि प्रधानमंत्री मारियानो राखोय की पी​पुल्स पार्टी की सीटें तो बढ़ी हैं लेकिन सरकार बना पाने के लिए अब भी नाकाफी हैं.

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Spanien Madrid Mariano Rajoy
तस्वीर: Reuters/J. Medina

स्पेन में पिछले आम चुनावों के बाद से चला आ रहा गतिरोध ​दूसरी बार हुए आम चुनावों के नतीजों के बाद भी बरकरार है. रविवार को हुए संसदीय चुनावों में कार्यवाहक प्रधानमंत्री मारियानो राखोय की अनुदारवादी पीपुल्स पार्टी पीपी को सबसे अधिक 135 सीटें मिली हैं. दिसंबर में हुए चुनावों में पीपी को 122 सीटें मिली थी. यानि इस बार के चुनावी नतीजों में पार्टी को 15 सीटें ज्यादा मिली है, लेकिन इसके बावजूद वह बहुमत के आंकड़े से अब भी दूर है.

संसद की 350 सीटों में से सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 176 सीटों की जरूरत है. ऐसे में 6 महीने के गतिरोध के बाद दो​बारा हुए चुनाव भी स्पेन के राजनीतिक माहौल का गतिरोध तोड़ पाने में कामयाब नहीं हुए हैं. हालांकि चुनावों में अपनी जीत के बाद प्रधानमंत्री राखोय ने मैड्रिड में उत्साही समर्थकों ​की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा है, ''हमने चुनाव जीता है. हम सरकार बनाने का दावा करेंगे.'' 6 महीने पहले हुए आम चुनावों में ब​हुमत गठबंधन नहीं बना पाने के कारण कोई भी पार्टी सरकार बनाने में का​म​याब नहीं हो पाई थी.

137 साल पु​रानी सोशलिस्ट पार्टी को इन चुनावों में सिर्फ 85 सीटें मिली हैं जबकि पिछले साल हुए चुनावों में उसे 90 सीटें मिली थी. इसके अलावा वामपंथी पार्टियों का गठबंधन यूनिडोज पोडेमोस 71 सीटों के साथ तीसरे पायदान पर रहा है. चुनावी परिणामों से निराश पोडेमोस गठबंधन के प्रमुख पाब्लो इग्लेसियास का कहना था, ''हमने उम्मीद की थी कि हम बेहतर करेंगे.''

नए विकल्प

चुनाव परिणामों ने सारी ही पार्टियों को फिर से राजनीतिक गुणा भाग करने पर मजबूर कर दिया है. और अगर यह गुणा भाग अगले दो महीनों के भीतर किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंचा तो स्पेन को फिर से एक और आम चुनाव से गुजरना होगा. लेकिन उससे पहले राजनीतिक तौर पर विरोधी रही इन पार्टियों के पास गठबंधन सरकार बनाने का ​कुछ विकल्प है. दक्षिणपंथी पीपुल्स पार्टी पीपी और मध्यमार्गी पार्टी स्युदादानोस अगर गठबंधन बनाते हैं तो उनके पास 169 सांसद होंगे. फिर भी यह गठबंधन पूर्ण बहुमत से 7 सीट पीछे रहेगा. ऐसे में राखोय को इन सीटों के लिए क्षे​त्रीय दलों की मदद लेनी होगी. लेकिन पिछले चुनावों में स्युदादानोस के नेता अल्बर्ट रिवेरा ने पीपी के साथ गठबंधन में रूचि नहीं दिखाई थी.

Spanien Wahlen Albert Rivera
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. J. Guillen

दूसरी ओर पीपुल्स पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी भी साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं. अगर इन दोनों बड़ी पार्टियों का गठबंधन संभव हुआ तो उसके पास 222 सीटों का प्रचंड बहुमत होगा. हालांकि सोशलिस्ट नेता पेड्रो सांचेज पहले कई बार इस विकल्प से इनकार कर चुके हैं लेकिन रविवार को आए परिणामों के बाद उनका कहना था, ''सोशलिस्ट सांसद सबके भले के लिए सेवा करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे.'' सारी ही वामपंथी पार्टियां साथ आ भी जाएं तो उनका गठबंधन सिर्फ 156 सीटें ही जुटा पाएगा. ऐसे में पूर्ण बहुमत के लिए उसे मध्यमार्गी सोशलिस्ट पार्टी के सहयोग की जरूरत होगी. लेकिन इन दोनों ही पार्टियों की नीतियों में भारी फर्क है.

भारत पर असर

स्पेन की इस राजनीतिक अस्थिरता का भारत के महत्वाकांक्षी अभियानों में भी सीधा असर है. स्पेन यूरोपीय संघ में भारत का 7 वां सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. स्पेन में भारतीय फिल्मों की लोकप्रियता को देखते हुए इस बार का आईफा अवार्ड समारोह भी स्पेन की राजधानी मैड्रिड में हुआ है. पिछले सालों में स्पेन ने बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को भी आकर्षित किया है. स्पेन की दिलचस्पी भारत से पर्यटकों को आकर्षित करने में भी है.

Indien Narendra Modi Werbekampagne Make In India
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

2015 के आंकड़ों के ​मुताबिक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 3 ​अरब डॉलर का रहा. जिसमें स्पेन का भारत में निर्यात 1 अरब डॉलर रहा ज​बकि भारत का स्पेन को निर्यात 2.2 अरब डॉलर के करीब था. साथ ही भारत में होने वाले विदेशी निवेश में स्पेन 12वें पायदान पर एक बड़ा निवेशक है. स्पेन का भारत में 1.8 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है. ऐसे में स्पेन की राजनीतिक स्थिरता भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्तों में स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी है.

रोहित जोशी (एएफपी, रॉयटर्स)