यूरोप में भारत जैसे देश इटली की राजनीतिक व्यवस्था
३ मई २०१९भारत के चुनावों में अकसर इटली का जिक्र आता रहता है. भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की लगातार 18 साल अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी इटैलियन मूल की हैं. बोफोर्स और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के चलते भी इटली लगातार खबरों में बना रहता है. इटली में रहने वाले भारतीय लोग अक्सर कहते हैं कि इटली का माहौल भारत जैसा है और यहां के लोग भी भारतीय लोगों की तरह व्यवहार करते हैं. ब्रिटेन के ईयू से बाहर हो जाने के बाद इटली यूरोपीय संघ की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जाएगी. इटली की जनसंख्या करीब छह करोड़ है और क्षेत्रफल 3,01,340 किलोमीटर है. पिछली बार इटली से यूरोपियन संसद में 73 सदस्य चुने गए थे. इस बार यह संख्या बढ़कर 76 हो जाएगी.
इटली की राजनीतिक व्यवस्था
इटली की राजनीतिक व्यवस्था भारत से मिलती जुलती है लेकिन चुनाव व्यवस्था अलग है. इटली में राष्ट्रपति देश का मुखिया होता है लेकिन यह सांकेतिक ही होता है. असली शक्तियां प्रधानमंत्री के पास होती हैं. राष्ट्रपति को भारत की तरह ही चुना जाता है. इसका कार्यकाल सात साल का होता है. प्रधानमंत्री सांसदों द्वारा चुना जाता है. इटली में संसद के दो सदन होते हैं. एक चैंबर ऑफ डेपुटीज जो लोकसभा की तरह निचला सदन होता है और दूसरा सीनेट ऑफ रिपब्लिक जो राज्यसभा की तरह उच्च सदन होता है. सीनेट में 320 सदस्य होते हैं जिनमें 5 विदेशों में रह रहे इटली के नागरिक होते हैं. देश के पूर्व राष्ट्रपति इसके मनोनीत सदस्य होते हैं. चैंबर ऑफ डेपुटीज में 12 सदस्य विदेशों में रह रहे इटली के नागरिक होते हैं. इटली में 2017 में नया चुनाव कानून पास हुआ जिसके बाद दोनों सदनों के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव जनता द्वारा होने लगा.
इटली में दोनों सदनों में 37 प्रतिशत सदस्य प्रत्यक्ष मतदान से और 63 प्रतिशत सदस्य सामानुपातिक प्रतिनिधित्व से चुने जाते हैं. मतलब 37 प्रतिशत सीटों पर सीधे उम्मीदवारों को वोट दिया जाएगा और 63 प्रतिशत सीटों पर पार्टियों को. जिस पार्टी को जितने प्रतिशत वोट मिलेंगे उसको उतनी सीटें दे दी जाएंगी. वोट डालने के लिए वोटर्स को दो बैलेट मिलते हैं. एक अपर हाउस के लिए और एक लोअर हाउस के लिए. वोटर दोनों में अलग-अलग पार्टी को भी वोट दे सकता है. निचले सदन के लिए 18 साल की उम्र से अधिक के लोग वोट डाल सकते हैं जबकि उच्च सदन के लिए वोट डालने की उम्र 25 साल है. सामानुपातिक प्रतिनिधित्व में सीट जीतने के लिए पार्टियों को कम से कम तीन फीसदी वोट पाने ही होंगे संसद में बहुमत वाली पार्टी या गठबंधन के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री चुनता है. किसी भी बिल को दोनों सदनों में पास करवाना जरूरी होता है.
यहां पर प्रमुख पार्टियां सेंटर वाली दी फाइव-स्टार मूवमेंट, दक्षिणपंथी फोर्सा इटैलिया, फासीवादी विचारधारा समर्थक दी नॉदर्न लीग, धुर दक्षिणपंथी ब्रदर्स ऑफ इटली, वामपंथी फ्री ऐंड इक्वल और उदारवादी दी डेमोक्रैटिक पार्टी हैं. अभी इटली में दी लीग और फाइव स्टार मूवमेंट की साझा सरकार है.