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खराब भोजन बिगाड़ रहा लोगों और पृथ्वी का स्वास्थ्य

२३ नवम्बर २०२१

एक नई वैश्विक रिपोर्ट ने दावा किया है कि दुनिया की लगभग आधी आबादी को खराब पोषण मिल रहा है. इसकी वजह से लोगों का स्वास्थ्य तो खराब हो ही रहा है, पृथ्वी पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है.

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Welthunger-Index | Hungersnot in Madagaskar
तस्वीर: Rijasolo/AFP

ये नतीजे ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट (जीएनआर) में जारी किए गए हैं. इनके मुताबिक दुनिया की लगभग आधी आबादी को पोषण ठीक से नहीं मिल पा रहा है, जिसका कारण या तो कम या ज्यादा मात्रा में खाना मिल पाना है.

ये जीएनआर का सालाना सर्वेक्षण है और इसमें पोषण और उससे संबंधित विषयों पर ताजा डाटा का विश्लेषण होता है. इस साल की रिपोर्ट में पाया गया कि पूरी दुनिया में 48 प्रतिशत लोग या तो बहुत ज्यादा खाना खा रहे हैं या बहुत काम, जिसकी वजह से या तो उनका वजन बहुत ज्यादा बढ़ रहा है या बहुत कम हो जा रहा है.

लक्ष्य हासिल करना मुश्किल

अगर यही हालात रहे तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिए गए 2025 तक हासिल करने वाले नौ लक्ष्यों में से आठ हासिल नहीं हो पाएंगे. इन लक्ष्यों में लंबाई के हिसाब से दुबले बच्चों, उम्र के हिसाब से बहुत छोटे बच्चों और मोटापे वाले वयस्कों की संख्या में कमी लाना शामिल हैं.

Äthiopien Hungersnot in Tigray
खराब भोजन की वजह से दुनिया में कहीं कुपोषण है तो कहीं मोटापातस्वीर: privat

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पांच साल से कम उम्र के लगभग 15 करोड़ बच्चे उनकी उम्र के हिसाब से बहुत छोटे हैं, 4.5 करोड़ बच्चे उनकी लंबाई के हिसाब से दुबले हैं और लगभग चार करोड़ बच्चों का वजन ज्यादा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वयस्कों में भी 40 प्रतिशत से ज्यादा (2.2 अरब) लोगों का या तो वजन ज्यादा है या वो मोटापे से पीड़ित हैं.

जीएनआर के स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष रेनाटा मीचा ने बताया, "खराब डाइट की वजह से जिन्हें होने से रोका जा सकता था ऐसी मौतों में 2010 के बाद से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है. वयस्कों में करीब एक चौथाई मौतों के लिए खराब डाइट ही जिम्मेदार है."

हर जगह खराब भोजन

उन्होंने यह भी कहा, "हमारे वैश्विक नतीजे दिखाते हैं कि पिछले एक दशक में हमारी डाइट सुधरी नहीं है और अब यह लोगों के स्वास्थ्य और पृथ्वी के लिए एक बड़ा खतरा है." इस साल के सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया भर में लोगों को फलों और सब्जियों जैसा स्वास्थप्रद खाना नहीं मिल पा रहा है.

Symbolbild | Wort der Woche | Schmerbauch
वयस्कों में भी मोटापा एक बड़ी समस्या हैतस्वीर: Colourbox

ऐसा विशेष रूप से कम आय वाले देशों में हो रहा है. अधिक आय वाले देशों में लाल मांस, दूध से बने उत्पाद और चीनी वाले पेय पदार्थों जैसी नुकसानदेह चीजों का सबसे ज्यादा सेवन हो रहा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा वैश्विक पोषण लक्ष्यों में सोडियम को कम करने के अलावा डाइट का कोई जिक्र नहीं है. रिपोर्ट ने नए और पहले से ज्यादा व्यापक लक्ष्यों की अनुशंसा की है.

बढ़ाना होगा खर्च

मीचा ने बताया, "विज्ञान स्वास्थ्य और पर्यावरण पर असर को मापने के लिए भोजन-आधारित दृष्टिकोण या डाइट-पैटर्न दृष्टिकोण का समर्थन करता है." जीएनआर ने यह भी हिसाब लगाया कि पूरी दुनिया में खाने की मांग से 2018 में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब 35 प्रतिशत उत्पन्न हुआ.

Taiwan droht, China in neuem Streit um Obst vor die WTO zu bringen
फल, सब्जियों जैसा अच्छा भोजन सबको मिल नहीं पा रहा हैतस्वीर: Jerome Favre/AP/picture alliance

रिपोर्ट के मुताबिक, "पशुओं से मिलने वाले भोजन का सामान्य रूप से पौधों से मिलने वाले भोजन से प्रति उत्पाद ज्यादा पर्यावरणीय पदचिन्ह होता है. परिणामस्वरूप वे भोजन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जमीन के अधिकांश इस्तेमाल के लिए जिम्मेदार पाए गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी दुनिया में पोषण बढ़ाने के लिए तुरंत फंडिंग की जरूरत है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि कोविड-19 ने अनुमानित 15.5 करोड़ लोगों को चरम गरीबी में धकेल दिया.

जीएनआर का अनुमान है कि 2030 तक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हर साल पोषण पर खर्च को लगभग चार अरब डॉलर से बढ़ाना होगा.

सीके/एए (एएफपी)

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