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समाज

अब राजस्थान में सुलग रही है आरक्षण की आग

आमिर अंसारी
२८ सितम्बर २०२०

राजस्थान में पिछले चार दिनों से शिक्षक भर्ती को लेकर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंसा में दो लोगों की मौत भी हो गई है. दरअसल यह मामला काफी समय से उबल रहा था और अचानक ज्वालामुखी की तरह फट गया.

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फाइल तस्वीर.तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui

साल 2018 में राजस्थान में 5,400 शिक्षकों की भर्ती निकली थी. इनमें आधे यानी 2700 पद आरक्षित थे, जिनमें 45 फीसदी अनुसूचित जनजाति (एसटी), 5 फीसदी अनुसूचित जाति (एससी) और बाकी 50 फीसदी सामान्य श्रेणी के लिए थे. आरक्षित श्रेणी के 2700 पद तो भर लिए गए थे लेकिन जो योग्यता सामान्य वर्ग के लिए तय की गई थी उसके मुताबिक सिर्फ 1,533 पद भरना संभव हो पाया. नतीजन, सामान्य वर्ग की श्रेणी में 1,167 सीटें खाली रह गईं. चूंकि सामान्य श्रेणी में उम्मीदवार पात्रता मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे, इसलिए इसके बाद खाली पदों को एसटी वर्ग के उम्मीदवारों से भरने की मांग उठने लगी.

राजस्थान के डूंगरपुर जिले की पहाड़ी पर अपनी मांगों को लेकर एसटी उम्मीदवार 6 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं. यह पहाड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से सटी है. लेकिन चार दिन पहले माहौल अचानक हिंसाग्रस्त हो गया और हिंसा उदयपुर तक फैल गई. 24 सितंबर को सरकार और उम्मीदवारों के बीच एक बैठक तय थी लेकिन हिंसा के कारण वह रद्द हो गई. इसके बाद 25 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 8 को जाम कर दिया और उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई. दूसरी ओर उदयपुर के खेरवाड़ा में प्रदर्शनकारियों ने पहाड़ियों पर कब्जा जमाया हुआ है और आरोप है कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है.

कांग्रेस नेता और उदयपुर के पूर्व सांसद रघुवीर मीणा ने डीडब्ल्यू को बताया कि अब आंदोलनकारियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पीटिशन दायर की जाएगी और कोर्ट के फैसले को सरकार और उम्मीदवार मानेंगे. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीणा को आंदोलनकारियों से बातचीत करने के लिए नियुक्त किया है. मीणा के मुताबिक, "पहले तो इस मामले को लेकर आंदोलनकारी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के पास गए थे और उनके पक्ष में फैसला आ गया था लेकिन अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों ने इसको डबल बेंच में चुनौती दी तो फैसला सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के पक्ष में आया. इसका हल यह है कि सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जाएगी और सु्प्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा वह सभी लोग मानेंगे."

मीणा सरकार के बचाव में कहते हैं कि सरकार इकतरफा रुख नहीं ले सकती है. वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार मानेगी और हिंसा में हुए नुकसान का सर्वे कराकर भरपाई कराई जाएगी. दो लोगों की मौत पर मीणा कहते हैं कि सरकारी नियम के मुताबिक सरकार उनके परिवार को मुआवजा भी देगी.

दूसरी ओर उदयपुर से बीजेपी के मौजूदा सांसद अर्जुन मीणा कहते हैं कि राज्य सरकार का खुफिया तंत्र नाकाम रहा और इसी वजह से हिंसा हुई और लोगों को काफी नुकसान हुआ है. अर्जुन मीणा डीडब्ल्यू से कहते हैं, "सरकार को लोगों को समझाना चाहिए था कि जो नियम के मुताबिक है वही मिलेगा. इस मामले में सरकार लोगों को समझाने में नाकाम रही है." सांसद मीणा का कहना है कि मामला शांत हो रहा है और जल्द ही यह आंदोलन खत्म हो जाएगा.

इस बीच राजस्थान पुलिस का कहना है कि डूंगरपुर और उदयपुर में हालात शांतिपूर्ण है और राजमार्ग पर पुलिस ने मार्च किया है. डूंगरपुर और उदयपुर में पुलिस के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि भी आंदोलनकारियों को समझाने में जुटे हुए हैं.

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