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समाजउत्तरी अमेरिका

अमेरिकी सरकार के फैसलों से चिंतित हैं वैज्ञानिकों

लुइजा राइट
३१ दिसम्बर २०२१

अमेरिका में बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन में रखने की समयसीमा आधी कर दी गई है. साथ ही, उन्हें इसके बाद जांच कराने की भी जरूरत नहीं है. वैज्ञानिकों को चिंता है कि कहीं इससे महामारी और ना फैले.

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USA | Coronavirus | Testzentrum am Times Square in New York
तस्वीर: Seth Wenig/AP/DPA/picture alliance

अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी ने बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन में रखने की समयसीमा को कम कर दिया है. स्वास्थ्य एजेंसी के इस फैसले ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस फैसले से कोरोना वायरस महामारी तेजी से फैलेगी और अस्पतालों पर बोझ बढ़ेगा.

हाल ही में अमेरिकी एजेंसी 'सेंटर फॉर डिजीज ऐंड प्रिवेंशन' (सीडीसी) ने कहा था कि बिना लक्षण वाले कोविड-19 पॉजिटिव लोगों को सिर्फ पांच दिन आइसोलेशन में रहना होगा. इसके बाद, उन्हें पीसीआर या रैपिड एंटीजन की नेगेटिव रिपोर्ट की भी जरूरत नहीं होगी. पांच दिन आइसोलेशन के बाद, उन्हें अगले पांच दिनों तक मास्क पहनना अनिवार्य है.

यह नियम उन लोगों पर भी लागू होगा जिनकी स्थिति आइसोलेशन में पांच दिन रहने के दौरान पहले से बेहतर होती है. सरकार का यह फैसला ऐसी स्थिति में आया है जब स्वास्थ्य और पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी की आशंका जताई जा रही है. देश को हाल के हफ्तों में रैपिड-एंटीजन टेस्ट की कमी का सामना भी करना पड़ा है.

हालांकि सीडीसी का कहना है कि आइसोलेशन से जुड़ा यह फैसला वैज्ञानिक डेटा पर आधारित है. वैज्ञानिक डाटा से पता चलता है कि किसी व्यक्ति में लक्षण दिखने के एक से दो दिन पहले या लक्षण दिखने के एक से दो दिन बाद तक ही वह कोरोना वायरस का प्रसार कर सकता है.

डाटा देखना चाहते हैं वैज्ञानिक

सीडीएस जिस आंकड़े के आधार पर अपने फैसले को सही साबित करना चाहती है वह सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है. अगस्त महीने में जेएएमए (जामा) इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, किसी व्यक्ति में कोरोना का लक्षण दिखने की शुरुआत से, एक से दो दिन पहले और तीन दिन बाद तक वायरस का प्रसार करने की क्षमता सबसे अधिक थी. हालांकि, इसके बाद भी वह व्यक्ति वायरस का प्रसार कर सकता है.

स्विट्जरलैंड स्थित बर्न विश्वविद्यालय में आण्विक महामारी विशेषज्ञ एमा होडक्रॉफ्ट ने डीडब्ल्यू को बताया, "क्वॉरन्टीन की अवधि इस आधार पर तय होनी चाहिए कि हमारे शरीर में कितने समय तक वायरस जीवित रहता है. दूसरे शब्दों में, संक्रमित व्यक्ति संभावित तौर पर कितने दिनों तक किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.

वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में महामारी विशेषज्ञ जोई हाइड ने डीडब्ल्यू को बताया, "लक्षण दिखने के शुरुआती कुछ दिनों में संक्रमित लोग तेजी से दूसरे लोगों के बीच वायरस का प्रसार कर सकते हैं. हालांकि, बाद में यह क्षमता कम हो जाती है. इसके बावजूद, आइसोलेशन की अवधि तभी कम करनी चाहिए, जब संक्रमित व्यक्ति की जांच रिपोर्ट नेगेटिव हो."

हाइड ने कहा, "नेगेटिव रिपोर्ट की जरूरत को खत्म करना सही फैसला नहीं है. ऐसा करने पर वायरस का प्रसार तेज हो सकता है. साथ ही बिना लक्षण वाले व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे लोग भी संक्रमित और बीमार हो सकते हैं. उनकी जान खतरे में पड़ सकती है."

राजनीतिक फैसला

वैज्ञानिकों को आशंका है कि बिना लक्षण वाले और तेजी से ठीक होने वाले रोगियों के लिए आइसोलेशन के समय को आधा करने का फैसला सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से जुड़ा हुआ नहीं है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित शारिटे अस्पताल में सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के प्रोफेसर टोबियास कुर्थ ने कहा, "यह निश्चित तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देश नहीं है. यह पक्का करने के लिए कि हम कई चीजों को संभाल सकते हैं, इसलिए यह आर्थिक दिशानिर्देश है. कुछ क्षेत्रों में नियमों में थोड़ी छूट दी जा सकती है, लेकिन इसे सामान्य नियम के तौर पर लागू नहीं किया जाना चाहिए."

हाइड भी कुर्थ की चिंताओं का समर्थन करती हैं. वह कहती हैं, "यह फैसला वैज्ञानिक आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक आधार पर लिया गया है. यह पूरी तरह राजनीतिक फैसला है." वहीं, एमा होडक्रॉफ्ट का कहना है कि कार्यस्थल पर कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए कोरोना के प्रसार को रोकना होगा, ताकि कम के कम लोग इसकी चपेट में आएं. उन्होंने कहा, "जो लोग कोरोना वायरस का प्रसार कर सकते हैं उन्हें काम करने की अनुमति देने से ज्यादा लोग संक्रमित हो सकते हैं."

अस्पतालों पर दबाव

अगर बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोग लंबे समय तक आइसोलेशन में नहीं रहते हैं और उनकी जांच नहीं होने की वजह से तेजी से संक्रमण फैलता है, तो अस्पताल इस स्थिति को कैसे संभालेंगे? कुर्थ चेतावनी भरे लहजे में कहते हैं कि ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में अगर ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है तो स्वास्थ्य से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाएंगी. हाइड का कहना है ,"यह वाकई डरावना है कि एक ओर ओमिक्रॉन वैरिएंट फैल रहा है और दूसरी ओर पाबंदियों में छूट दी जा रही है." 

सीडीसी का यह फैसला तब आया है जब कई देश टीकाकरण की स्थिति के मुताबिक, आइसोलेशन के नियम बदलने पर चर्चा कर रहे हैं. जर्मनी में बिना लक्षण वाले उन लोगों के लिए आइसोलेशन के नियमों में बदलाव पर विचार किया जा रहा है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं. हालांकि, अमेरिका के विपरीत यहां आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की जांच होगी और निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही वे सामान्य रूप से जीवन जी सकते हैं.

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