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मिशेल ओबामा ने दिखाया व्हाइट हाउस पर 'धब्बा'

वीके/आईबी (एपी)२७ जुलाई २०१६

पूरी दुनिया में व्हाइट हाउस के नाम से मशहूर अमेरिकी इमारत के इतिहास में एक काला धब्बा है. यह धब्बा दिखाया है वहां रहने वालीं मिशेल ओबामा ने.

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USA Homoehe das Weiße Haus in Regenbogen Farben
तस्वीर: Reuters/G. Cameron

अमेरिका में राष्ट्रपति के घर यानी मशहूर वाइट हाउस पर एक धब्बा लगा है. और इसकी ओर ध्यान दिलाया है अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी और देश की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने. उन्होंने कहा है कि 2009 से वह एक ऐसे घर में रह रही हैं जिसे गुलामों ने बनाया था. इस बात पर चर्चा छिड़ गई है.

अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने डेमोक्रैट पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि वह और उनके पति 2009 से दासों के बनाए घर में रह रहे हैं. उनका कहना सही है. इस बात की पुष्टि इतिहासकार भी करते हैं कि व्हाइट हाउस को बनाने में दासों से भी काम लिया गया था. व्हाइट हाउस का अध्ययन करने वाले इतिहासकारों और लेखकों का कहना है कि 1792 में व्हाइट हाउस के निर्माण के दौरान दासों का इस्तेमाल किया गया था. इस इमारत का निर्माण 1792 में शुरू हुआ था. 1800 में इसे खोला गया था.

मिशेल ओबामा ने अपने भाषण में कहा, "हर रोज सुबह मैं एक ऐसे घर में उठती हूं जिसे गुलामों ने बनाया था." वैसे उन्होंने यह बात पहली बार नहीं कही है. कुछ ऐसा ही उन्होंने साल की शुरुआत में न्यू यॉर्क में भी कहा था. लेकिन सिटी कॉलेज में एक समारोह में जब उन्होंने यह बात कही थी तब मौका राष्ट्रीय सम्मलेन जैसा गंभीर और बड़ा नहीं था.

व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल असोसिएशन ने इस बात को माना है कि इमारत में दासों से भी काम लिया गया. अपनी वेबसाइट में असोसिएशन लिखती है, "व्हाइट हाउस और दूसरी सरकारी इमारतों को बनाने के लिए बड़ी मात्रा में कामगारों की जरूरत थी. तब वॉशिंगटन डीसी के कमिश्नर इंचार्ज ने अफ्रीकी-अमेरिकियों का रुख किया. इनमें दास भी थे और आजाद भी."

राष्ट्रीय राजधानी बनाने के लिए जिम्मेदार कमिश्नर की तरफ से लिखे गए पत्र दिखाते हैं कि दासों को मैरीलैंड और वर्जीनिया के खेतों से किराये पर लिया गया था. उन्होंने ही व्हाइट हाउस की नींव खोदी और ईंटों के लिए गारा बनाया.

कमिश्नर के दफ्तर से पिएर ला इनफांट को लिखा गया एक पत्र बताता है कि उन्हें गुलामों को किराये पर लाने का आदेश दिया गया था. इस पत्र में उन्हें आदेश दिया गया था कि साल भर के भीतर मेहनत कर सकने लायक मजबूत नीग्रो लाएं जो राष्ट्रपति भवन और कैपिटोल की इमारतों के लिए गारा तैयार कर सकें. उन खदानों में भी दास काम कर रहे थे जहां से ईंटें बनाने के लिए मिट्टी खोदी गई. अखबार में एक विज्ञापन भी मिला है जिसमें लिखा गया, "60 मजबूत नीग्रो मर्द चाहिए. अच्छा वेतन मिलेगा. अच्छा काम कराया जाएगा और अच्छा खिलाया भी जाएगा."

व्हाइट हाउस के आर्किटेक्ट जेम्स होबन ने दासों से इमारत के भीतरी निर्माण में भी काम कराया था. होबन के निजी दास थे जो आयरिश बढ़इयों की मदद कर रहे थे. होबन के ये दास तब व्हाइट हाउस के कामगारों की तरह ही तन्ख्वाह पा रहे थे. कुछ और ऐसे लोग थे जिनके पास निजी दास थे. व्हाइट हाउस के निर्माण के लिए उन्होंने भी अपने दास किराये पर दिए थे.